Wednesday 2 November 2016

संतान प्राप्ति के चमत्कारिक योग


A. चन्द्रामृत घृत – यह केवल स्त्री के गर्भाशय विकार के योग है। पुरुष इसका दूसरा पहलू है। वह दुर्बल है (पौरुष में, नपुंसक है, तो उसकी चिकित्सा अलग है। कंघी, मूलेठी, नाग केशर, कायफल, बड़ के अंकुर,खांड, नागौरी असगंध, शिवलिंग के बीज, कौंच की बड़, – 200 – 200 ग्राम। इन सबको पीसकर लुगदी बनाकर चार गुणा पानी, बराबर घी डालकर घोंटे और आग पर गर्म करके पानी लुगदी जलाकर घी मात्र शेष रहे तो ठंडा करके छानकर चाँदी भस्म 2 ग्राम। इस दवा के योग से तीन महीने में बन्ध्या भी पुत्रवती होती है ; ऐसा सभी प्राचीन आचार्यों का कथन है। मात्रा – 10 ग्राम प्रातः 10 ग्राम सांय गाय के दूध के साथ। B. फलामृत घृत – मंजीठ, मुलेठी , मीठा कूट, त्रिफला, सांड, बबरियारा की जड़ , मेदा , विदारीकन्द , असगंध , अजमोद , हल्दी , दारूहल्दी, हिंग , कुटकी , लाल कमल , कुमुदनी , दास , काकोली , गजपिपर , खिरैटी, विधारे की जड़- एक चौथाई धुली हुई भाँग – इन सब को खूब महीन पिसे (बकरी या गाय के दूध में ) प्रत्येक की मात्रा 50 ग्राम होगी , भांग की मात्रा 350 ग्राम होगी। शतावरी का 16 किलो रस , 4 किलो गाय का घी , 16 किलो गाय का दूध – इन सब को घोंट कर आग पर चढ़ा दें। जब सब जलकर घी बच जाये; तो ठंडा करके निचोड़ छानकर बोतल में बंद करने से पूर्व 10 ग्राम चाँदी का भस्म मिलाएं और हिला-मिला कर रख लें। मात्रा – इसकी मात्रा 5 ग्राम की है। 5 ग्राम प्रातः, 5 ग्राम सांय – 3 ग्राम से शुरू करें। लाभ- 108 दिन में स्त्री का कायाकल्प होता है। लिकारिया , खुनीविकोरिया, रूका हुआ मासिक , गर्भाशय विकार, योनी विकार , नेत्रविकार, रक्तविकार सभी दूर होता है।झड़ते बाल मजबूत होकर घने होते है, त्वचा कोमल चमकदार होती है, नेत्रों की ज्योति बढती है। वह इनही दिनों में या इसके बाद तीन महीनो के अन्दर बलबान संतान को धारण करती है। विशेष – यह एक ही औषधि स्त्री के सभी रोगों को दूर करती है। यह सच में अमृत है।

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