Tuesday 1 November 2016

★★★ सर्वोत्तम हार्ट टॉनिक है अर्जुन धृत ★★★


अर्जुन घृत, एक हर्बल आयुर्वेदिक घी है। इसे अर्जुन पेड़ की छाल और गाय के घी से बनाया गया है। इसका प्रयोग हर प्रकार के हृदय रोग में किया जाता है। यह अधिक पित्त और वायु से राहत देता है। यह दिल को ताकत देता है और उसके कार्य को व्यवस्थित करता है। आयुर्वेद में अर्जुन पेड़ की छाल , हृदय रोगों के लिए बहुत ही लाभप्रद मानी गयी है। अर्जुन की छाल शरीर में पित्त और वात को संतुलित करती है तथा शरीर को शीतलता देती है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है। ● अर्जुन घृत के घटक पार्थ (अर्जुन) 16 किलो घृत 4 किलो पार्थ कल्क 1 किलो अर्जुन धृत बनाने की विधि― एक साफ़ बर्तन में रातको सारी चीजें मिलाकर अच्छे से हिलाकर ढँक कर रखे सुबह धीमी आंच पर पकाए बिच बिच में हिलाते जाए जब कल्क और काढ़ा का पानी जल जाय और घी शेष बचे तब ठंडा होने पर छान कर स्वच्छ पात्र में भर लेवे। ● अर्जुन घृत के फ़ायदे― यह एक कार्डियक टॉनिक है। यह सभी प्रकार के हृदय रोगों, और रक्त पित्त विकारों में लाभप्रद है। यह अत्यधिक पेट में गैस और संबद्ध समस्याओं से राहत देता है। यह अत्यंत पौष्टिक है। यह स्निग्ध है और आन्तरिक रूक्षता दूर करता है। यह वज़न, कान्ति, और पाचन को बढ़ाता है। यह कब्ज़ से राहत देता है। यह दिमाग, नसों, मांस, आँखों, मलाशय आदि को शक्ति प्रदान करता है। यह धातुओं को पुष्ट करता है। यह पित्त विकार को दूर करता है। ● अर्जुन घृत के चिकित्सीय उपयोग कार्डियक टॉनिक एनजाइना दिल की धड़कन दिल की कमजोरी शरीर में पित्त की वृध्दि पेट में गैस ● सेवन विधि और मात्रा ― 3-6 gram दिन में दो बार, सुबह और शाम लें। इसे मिश्री+ दूध अथवा गर्म पानी के साथ लें।

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