Wednesday 2 November 2016

नीबू का छिलका गंभीर बीमारियों से बचा सकता है.


अधिकतर लोग नीबू निचोड़कर छिलका ऐसे ही फेंक देते हैं लेकिन इस पोस्ट को पढने के बाद आप ऐसा कभी नहीं करेंगे. नीबू के छिलके के उपरी पीले भाग में 5 से 10 गुना अधिक विटामिन C होता है. इस उपरी भाग को ZEST कहते हैं. यह शरीर से विषैले पदार्थों को निकाल फेंकता है. ब्लड प्रेशर मानसिक तनाव को दूर करता है.स्किन के हर तरह के इन्फेक्शन फंगस खाज खुजली को ठीक करता है. नीबू का छिलका 12 से भी ज्यादा तरह के कैंसर से निपटने में सक्षम है. यह स्वभाव से ठंडा होता है. इसलिए पेशाब में जलन गर्मी को भी ठीक कर देता है. #कैसे_प्रयोग_करें ----- अच्छे स्वस्थ पीले नीबू ठीक से धोकर पोंछ लें और फ्रीजर में डाल दें लगभग 6-7 घंटे बाद जब नीबू जमकर कड़ा हो जाए तो किसी तेज धार वाले पीलर की सहायता से नीबू की ऊपरी सतह को खुरच कर पीला भाग लछों के रूप में अलग कर लें इसे नीबू का zest कहते हैं. ध्यान रहे केवल पीला भाग लेना है नीचे का सफ़ेद भाग नहीं लेना है. इस zest को विभिन्न प्रकार से प्रयोग कर सकते हैं कुछ चुनिन्दा तरीके आपको बता रहा हूँ 1) पानी में उबालकर काढ़ा पिए या दालचीनी तुलसी की पत्ती गुलाब की पंखुरी लौंग सौंफ तेजपत्ता आदि मिला कर हर्बल tea बना सकते है. यह चाय विषैले पदार्थों को निकालेगी इम्यून सिस्टम भी अच्छा करेगी. 2) सलाद में मिक्स करके खा सकते हैं 3) किसी भी तरह की सब्जी पिज़्ज़ा चाट बर्गर पकौड़ी जैसी चीजे बनाये उसमे मिला सकते हैं 4) जिन दिनों में नीबू बहुतायात में मिले तो zest ज्यादा मात्रा में एकत्र करके सुखा कर एयरटाइट जार में रख लें और बाद के दिनों में प्रयूग करें. इस तरह से प्रयोग करने में गुणों का मात्रा कुछ कम जरुर हो जाएगी लेकिन फिर भी इसमें पाया जाना वाला एसेंशियल आयल सुरक्षित रहेगा और साधारण समस्याओं के लिए उपयोगी बना रहेगा इसे बहुत ज्यादा भूनना तलना या बेक नहीं करना चाहिए. कच्चा उपयोग करें या हल्का ही पकाएं. हमेशा ढक कर इसकी चाय या काढ़ा बनाये और भाप उठना बंद हो जाने के बाद ही ढक्कन खोले नहीं तो सब जरुरी तत्त्व तेजी से उड़ जाते हैं. इसका कोई नुक्सान नहीं है. ज्यादा मात्रा में कच्चा खाने पर गला खराब होने की शिकायत लोग करते हैं. साधारण घरेलू उपयोग के लिए इसकी हर्बल चाय सर्वोत्तम विकल्प है. यह पोस्ट कुछ लोगों पर प्रयोग करने के बाद लिखी है कई ऐसे लोग जो मूड अपसेट रहने शरीर में गर्मी होना पेशाब खुलकर न होना खांसी जुकाम बने रहने अनिद्रा से परेशान थे उनमे इसका अच्छा रिजल्ट मिला है. इसका गंभीर रोगों पर कोई अनुभव मेरा नहीं है.

लीवर की परेशानी है तो जरुर पढ़े


आज कल चंहु और लीवर के मरीज हैं, किसी को पीलिया हैं, किसी का लीवर सूजा हुआ हैं, किसी का फैटी हैं, और डॉक्टर बस नियमित दवाओ पर चला देते हैं मरीज को, मगर आराम किसी को मुश्किल से ही आते देखा हैं। लीवर हमारे शरीर का सबसे मुख्य अंग है, यदि आपका लीवर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पा रहा है तो समझिये कि खतरे की घंटी बज चुकी है। लीवर की खराबी के लक्षणों को अनदेखा करना बड़ा ही मुश्किल है और फिर भी हम उसे जाने अंजाने अनदेखा कर ही देते हैं। * लीवर की खराबी होने का कारण ज्यादा तेल खाना, ज्यादा शराब पीना और कई अन्य कारणों के बारे में तो हम जानते ही हैं। हालाकि लीवर की खराबी का कारण कई लोग जानते हैं पर लीवर जब खराब होना शुरु होता है तब हमारे शरीर में क्या क्या बदलाव पैदा होते हैं यानी की लक्षण क्या हैं, इसके बारे में कोई नहीं जानता। * क्या आप जानते हैं कि मुंह से गंदी बदबू आना भी लीवर की खराबी हो सकती है। क्यों चौंक गए ना? हम आपको कुछ परीक्षण बताएंगे जिससे आप पता लगा सकते हैं कि क्या आपका लीवर वाकई में खराब है। कोई भी बीमारी कभी भी चेतावनी का संकेत दिये बगैर नहीं आती, इसलिये आप सावधान रहें। * मुंह से बदबू -यदि लीवर सही से कार्य नही कर रहा है तो आपके मुंह से गंदी बदबू आएगी। ऐसा इसलिये होता है क्योकि मुंह में अमोनिया ज्याद रिसता है। * लीवर खराब होने का एक और संकेत है कि स्किन क्षतिग्रस्त होने लगेगी और उस पर थकान दिखाई पडने लगेगी। आंखों के नीचे की स्किन बहुत ही नाजुक होती है जिस पर आपकी हेल्थ का असर साफ दिखाई पड़ता है। * पाचन तंत्र में खराबी यदि आपके लीवर पर वसा जमा हुआ है और या फिर वह बड़ा हो गया है, तो फिर आपको पानी भी नहीं हजम होगा। * त्वचा पर सफेद धब्बे यदि आपकी त्वचा का रंग उड गया है और उस पर सफेद रंग के धब्बे पड़ने लगे हैं तो इसे हम लीवर स्पॉट के नाम से बुलाएंगे। * यदि आपकी पेशाब या मल हर रोज़ गहरे रंग का आने लगे तो लीवर गड़बड़ है। यदि ऐसा केवल एक बार होता है तो यह केवल पानी की कमी की वजह से हो सकता है। * यदि आपके आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगे और नाखून पीले दिखने लगे तो आपको जौन्डिस हो सकता है। इसका यह मतलब होता है कि आपका लीवर संक्रमित है। * लीवर एक एंजाइम पैदा करता है जिसका नाम होता है बाइल जो कि स्वाद में बहुत खराब लगता है। यदि आपके मुंह में कडुआहर लगे तो इसका मतलब है कि आपके मुंह तब बाइल पहुंच रहा है। * जब लीवर बड़ा हो जाता है तो पेट में सूजन आ जाती है, जिसको हम अक्सर मोटापा समझने की भूल कर बैठते हैं। * मानव पाचन तंत्र में लीवर एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। विभिन्न अंगों के कार्यों जिसमें भोजन चयापचय, ऊर्जा भंडारण, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलना, डिटॉक्सीफिकेशन,प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन और रसायनों का उत्पादन शामिल हैं। लेकिन कई चीजें जैसे वायरस, दवाएं, आनुवांशिक रोग और शराब लिवर को नुकसान पहुंचाने लगती है। लेकिन यहां दिये उपायों को अपनाकर आप अपने लीवर को मजबूत और बीमारियों से दूर रख सकते हैं। करे ये घरेलू कुछ उपाय :- * हल्दी लीवर के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए अत्यंत उपयोगी होती है। इसमें एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। हल्दी की रोगनिरोधन क्षमता हैपेटाइटिस बी व सी का कारण बनने वाले वायरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए हल्दी को अपने खाने में शामिल करें या रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पिएं * सेब का सिरका, लीवर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी घटती है। सेब के सिरके को आप कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं- एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं, या इस मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण को दिन में दो से तीन बार लें। * आंवला विटामिन सी के सबसे संपन्न स्रोतों में से एक है और इसका सेवन लीवर की कार्यशीलता को बनाये रखने में मदद करता है। अध्ययनों ने साबित किया है कि आंवला में लीवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व मौजूद हैं। लीवर के स्वास्थ्य के लिए आपको दिन में 4-5 कच्चे आंवले खाने चाहिए. * पपीता लीवर की बीमारियों के लिए सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक है, विशेष रूप से लीवर सिरोसिस के लिए। हर रोज दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पिएं। इस बीमारी से पूरी तरह निजात पाने के लिए इस मिश्रण का सेवन तीन से चार सप्ताहों के लिए करें. * सिंहपर्णी जड़ की चाय लीवर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले उपचारों में से एक है। अधिक लाभ पाने के लिए इस चाय को दिन में दो बार पिएं। आप चाहें तो जड़ को पानी में उबाल कर, पानी को छान कर पी सकते हैं। सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर बड़ी आसानी से मिल जाएगा। * लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए मुलेठी का इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। इसके इस्तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंड़ा होने पर छान लें। इस चाय रुपी पानी को दिन में एक या दो बार पिएं। * फीटकोंस्टीटूएंट्स की उपस्थिति के कारण, अलसी के बीज हार्मोंन को ब्लड में घूमने से रोकता है और लीवर के तनाव को कम करता है। टोस्ट पर, सलाद में या अनाज के साथ अलसी के बीज को पीसकर इस्तेमाल करने से लिवर के रोगों को दूर रखने में मदद करता है * एवोकैडो और अखरोट को अपने आहार में शामिल कर आप लीवर की बीमारियों के आक्रमण से बच सकते हैं। एवोकैडो और अखरोट में मौजूद ग्लुटथायन, लिवर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर इसकी सफाई करता है। * पालक और गाजर का रस का मिश्रण लीवर सिरोसिस के लिए काफी लाभदायक घरेलू उपाय है। पालक का रस और गाजर के रस को बराबर भाग में मिलाकर पिएं। लीवर की मरम्मत के लिए इस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम एक बार जरूर पिएं * सेब और पत्तेदार सब्जियों में मौजूद पेक्टिन पाचन तंत्र में उपस्थित विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर लीवर की रक्षा करता है। इसके अलावा, हरी सब्जियां पित्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं। * एक पौधा और है जो अपने आप उग आता है , जिसकी पत्तियां आंवले जैसी होती है. इन्ही पत्तियों के नीचे की ओर छोटे छोटे फुल आते है जो बाद में छोटे छोटे आंवलों में बदल जाते है . इसे भुई आंवला कहते है. इस पौधे को भूमि आंवला या भू- धात्री भी कहा जाता है .यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है.इसका सम्पूर्ण भाग , जड़ समेत इस्तेमाल किया जा सकता है.तथा कई बाज़ीगर भुई आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं . ये यकृत ( लीवर ) की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है . लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा . बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पढ़े को जड़ों समेत उखाडकर , उसका काढ़ा सुबह शाम लें . सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी

स्तन में गाँठ


स्तन में गाँठ स्तन में गाँठ होना बहुत आम समस्या होती जा रही है । यह चिंता का विषय भी है । अगर 1-2 ग्राम हल्दी के पावडर को सवेरे खाली पेट प्रतिदिन ले लिया जाए तो हर प्रकार की गांठें घुलनी प्रारम्भ हो जाती हैं । काचनार गुग्गल का प्रयोग भी गांठों को खत्म करने में सहायक है । कुछ पौधों का प्रयोग गाँठ पर लगाने के लिए किया जा सकता है । इससे गाँठ घुलनी शुरू हो जाती हैं : अरंड- अरंड के पत्ते पर थोडा सा सरसों का तेल लगाकर , हल्का सा गर्म करके स्तन पर नियमित रूप से बांधें । अरंड के तेल की मालिश करने से स्तन की गांठ भी घुलती हैं और स्तन में मुलायमी भी आती है जिससे गाँठ होने की सम्भावना कम हो जाती है । अरंड के पत्तों को उबालकर भी बाँध सकते हैं । अरंड के बीजों की गिरी को पीसकर उसका पेस्ट भी लगाया जा सकता है । अरंड के एक बड़े पत्ते को 200 ग्राम पानी में उबालकर, काढ़ा बनाकर, पीने से हार्मोन्स की गडबडी ठीक होती है, periods ठीक आते हैं ; इससे स्तन में गाँठ होने की सम्भावना भी कम हो जाती है । स्तन के nipple में crack हो या त्वचा फट जाए तो अरंड का तेल लगाना चाहिए । **गेंदा-- गेंदे के पौधे की पत्तियों को पीसकर , लुगदी बनाकर गाँठ पर नियमित रूप से बांधें । **पुनर्नवा-- पुनर्नवा (साठी ) की जड़ को घिसकर गाँठ पर लगाते रहें । **सेमल सेमल की जड़ की छाल को को पीसकर लगाएँ या सेमल के तने पर उभरे मोटे कांटो को घिसकर लगाएँ । **भुई आंवला-- इसके पत्ते पीसकर, लुगदी बनाकर लगाएँ । **धतूरा पत्ते को हल्का गर्म करके बांधें । **छुईमुई केवल जड़ घिसकर लगाएँ या फिर ; **अश्वगंधा की जड़ +छुईमुई की जड़ + छुईमुई की पत्तियां , इन सबको पीसकर स्तन की गाँठ पर लगाएँ। इससे स्तन का ढीलापन भी ठीक हो जाता है और दर्द और सूजन में भी आराम आता है । **शीशम शीशम के पत्तों की लुगदी गाँठ पर लगाने से गाँठ घुलती है । इसके पत्तों को गर्म करके थोडा तेल मलकर बाँधने से गाँठ तो घुलती ही है साथ ही दर्द और सूजन हो तो उसमें भी आराम आता है । ** पत्थरचटा इसके पत्ते पर सरसों का तेल मलकर, पत्ते को हल्का गर्म करके गाँठ पर बांधते रहें । इसके साथ ही प्राणायाम तो अवश्य ही करते रहें ; विशेषकर कपालभाति प्राणायाम

दिमाग की नस फटने का उपचार


जिन लोगो का ब्लड प्रेशर हाई रहता है उनलोगों को अक्सर एक उम्र का पडाब पार करने के बाद दिमाग की नस फट जाती है जिसको मेडिकल भाषा में APOPLEXY या CEREBRAL HEMORRHAGE भी कहते हैं 95% रोगी उपचार के बाद भी बच नहीं पाते है!! शरीर में एक साइड लकवा हो जाता है, उसका कारण दिमाग में अन्दर HEMORRHAGE (खून बहना) होता है! कई बार खून बंद हो जाता है लेकिन खून का थक्का दिमाग में रह जाता है !! रोगी बेहोशी की हालत में रहता है !! उपचार:- होमियोपैथी में लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है लेकिन इस केस में एक दवा आती है जिसका नाम है ARNICA 30. इसकी 1-1-1 बूंद सिर्फ रोगी की जीभ पर डालते रहिये जब तक रोगी को होश ना आये, या इम्प्रूवमेंट न हो, जब इम्प्रूवमेंट हो जाए इसको बंद कर दे औरआगे का उपचार लक्षणों के आधार पर होमियोपैथी डॉक्टर से करवाएं,!! ARNICA 30 खून तो बंद करेगी ही साथ में खून के थक्के को भी ABSORB (सुखा देगी) देगी!! इस पोस्ट को शेयर जरुर करें, आपका एक शेयर किसी रोगी के जान बचा सकता है !

पांच सालों तक दर्द से छुटकारा पायें..!!


थोड़ा सा नमक और जैतून का तेल मिलायें और पांच सालों तक दर्द से छुटकारा पायें..!! जब हमें सेहत से सम्बंधित कोई समस्या होती है तो हम तुरंत ही दवा का सहारा लेते हैं. जब के बहुत सारी इसी कुदरतीऔशदियाँ मोजूद हैं जो दवा से भी ज़यादा असरदार होती हैं. जैसे के अगर आप गर्दन के दर्द (osteochondrosis) से पीडित हैं , जो के बहुत ही दर्दनाक और हताश करने वाली स्थिति है उसे आप दवा के जगह कुछ प्राक्रितिक औषधियो से ठीक कर सकते हैं. औषधि तैयार करने की सामग्री : 10 चमच उच्च गुणवता का नमक 20 चमच जैतून अथवा सूरजमुखी का कच्चा तेल (unrefined oil) विधि: इसको बनाने की विधि बहुत ही आसान है,एक कांच के बर्तन में दोनों चीज़े मिला लें. बर्तन को अच्छी तरह से 2 दिन के लिए बंद (air tight) कर के रखें और दो दिन बाद एक हलके रंग की औषधि तैयार हो जाएगी . इस्तेमाल का तरीका: सुबह इस औषधि को प्रभावित जगह पर लगायें और हलके हाथों से मालिश करें.शुरुआत में 2-3 मिनट के लिए करें और धीरे धीरे अवधी बढाए. विशेषज्ञों के अनुसार ज़यादा से ज़यादा 20 मिनट की मालिश काफ़ी है. मालिश करने के बाद गीले तोलिये से साफ करें . अगर आपको तव्चा पर हलकी जलन महसूस हो तो बच्चों के इस्तेमाल का पाउडर लगायें इस से आपको जलन से राहत मिलेगी. 10 दिन में ये औषधि आपके खून के बहाव को बढाएगी और आपकी मासस्पेशिओं को पुनर्जीवित कर के आपके तंत्रिका तंत्र्र और हडियो को मज़बूत करेगी. इस इलाज के बाद आपका सर दर्द हमेशा के लिए चला जायेगा कियोंकि ये औषधि खून के बहाव को बढाने में मदद करती है और अच्छी दृष्टि भी प्रदान करती है. इस के इलावा ये आपके शारीर को ज़ेहरीले तत्वों से मुक्त करेगी और आपके पाचन तंत्र को मज़बूत करेगी. याद रखें इसके इस्तेमाल से आप थोड़ा असहज महसूस कर सकते हैं मगर इस होना सौभाविक है. इस के इस्तेमाल से आपको अश्चर्यजनक नतीजे मिलेगे , और सब से अच्छी बात ये है के पारंपरिक दवाओ के उलट इसका कोई दुष्प्रभाव भी नही है .

⚫🍃एसिडिटी🍃⚫*


* ➖➖➖➖➖➖ *🖼हमारे पेट में बनने वाला एसिड या अम्ल उस भोजन को पचाने का काम करता है, जो हम खाते हैं, लेकिन कई बार पचाने के लिए पेट में पर्याप्त भोजन ही नहीं होता या फिर एसिड ही आवश्यक मात्रा से ज्यादा बन जाता है। ऐसे में एसिडिटी या अम्लता की समस्या हो जाती है।* इसे आमतौर पर दिल की चुभन या हार्टबर्न भी कहा जाता है। वसायुक्त और मसालेदार भोजन का सेवन आमतौर पर एसिडिटी की प्रमुख वजह है। इस तरह का भोजन पचाने में मुश्किल होता है और एसिड पैदा करने वाली कोशिकाओं को आवश्यकता से अधिक एसिड बनाने के लिए उत्तेजित करता है। *⚫एसिडिटी के आम कारण* ➖➖➖➖➖➖➖ *🍃लगातार बाहर का भोजन करना।* *➖भोजन करना भूल जाना।* *➖अनियमित तरीके से भोजन करना।* *➖मसालेदार खाने का ज्यादा सेवन करना।* *➖विशेषज्ञों का मानना है कि तनाव भी एसिडिटी का एक कारण है।* *➖काम का अत्यधिक दबाव या पारिवारिक तनाव लंबे समय तक बना रहे तो शारीरिक तंत्र प्रतिकूल तरीके से काम करने लगता है और पेट में एसिड की मात्रा आवश्यकता से अधिक बनने लगती है।* *⚫एसिडिटी से बचने के लिए क्या करें* ➖⚫➖⚫➖⚫➖ *➖पानी:* _*▶सुबह उठने के फौरन बाद पानी पिएं।*_ रात भर में पेट में बने आवश्यकता से अधिक एसिड और दूसरी गैर जरूरी और हानिकारक चीजों को इस पानी के जरिए शरीर से बाहर निकाला जा सकता है। *➖फल:* _*▶केला, तरबूज, पपीता और खीरा को रोजाना के भोजन में शामिल करें।*_ तरबूज का रस भी एसिडिटी के इलाज में बड़ा कारगर है। *➖नारियल पानी:* _*▶अगर किसी को एसिडिटी की शिकायत है, तो नारियल पानी पीने से काफी आराम मिलता है।*_ अदरक: खाने में अदरक का प्रयोग करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और इससे जलन को रोका जा सकता है। *➖दूध:* _*▶भोजन के अम्लीय प्रभाव को दूध पूरी तरह निष्प्रभावी कर देता है और शरीर को आराम देता है।*_ एसिडिटी के इलाज के तौर पर दूध लेने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए, क्योंकि कुछ लोगों में दूध एसिडिटी को बढ़ा भी सकता है। *➖सब्जियां:* _*▶बींस, सेम, कद्दू, बंदगोभी और गाजर का सेवन करने से एसिडिटी रोकने में मदद मिलती है।*_ *➖लौंग:* _*▶एक लौंग अगर कुछ देर के लिए मुंह में रख ली जाए तो इससे एसिडिटी में राहत मिलती है।*_ लौंग का रस मुंह की लार के साथ मिलकर जब पेट में पहुंचता है, तो इससे काफी आराम मिलता है। *➖कार्बोहाइडे्रट:* _*▶कार्बोहाइडे्रट से भरपूर भोजन जैसे चावल एसिडिटी रोकने में मददगार है, क्योंकि ऐसे भोजन की वजह से पेट में एसिड की कम मात्रा बनती है।*_ *➖समय से भोजन:* _*▶रात का भोजन सोने से दो से तीन घंटे पहले अवश्य कर लेना चाहिए।*_ इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि भोजन पूरी तरह से पच गया है। इससे आपका स्वास्थ्य बेहतर होगा। *➖व्यायाम:* _▶नियमित व्यायाम और ध्यान की क्रियाएं पेट, पाचन तंत्र और तंत्रिका तंत्र का संतुलन बनाए रखती हैं।_ *⚫एसिडिटी दूर रखने के लिए किन चीज़ों से बचें* ➖⚫➖⚫➖⚫➖ ➖▶तला भुना, वसायुक्त भोजन, अत्यधिक चॉकलेट और जंक पदार्थों से परहेज करें। ➖▶शरीर का वजन नियंत्रण में रखने से एसिडिटी की समस्या कम होती है। ➖▶ज्यादा धूम्रपान और किसी भी तरह की मदिरा का सेवन एसिडिटी बढ़ाता है, इसलिए इनसे परहेज करें। ➖▶सोडा आधारित शीतल पेय व कैफीन आदि का सेवन न करें। इसकी बजाय हर्बल टी का प्रयोग करना बेहतर है। घर का बना खाना ही खाएं। जितना हो सके, बाहर के खाने से बचें। दो बार के खाने में ज्यादा ➖▶अंतराल रखने से भी एसिडिटी हो सकती है। कम मात्रा में थोड़े-थोड़े समय अंतराल पर खाना खाते रहें। ➖▶अचार, मसालेदार चटनी और सिरके का प्रयोग भी न करें।इलाज शरीर के अंदर उत्सर्जित हुई एसिड की ज्यादा मात्रा को निष्प्रभावी करके एंटासिड एसिडिटी के लक्षणों में तुरंत राहत प्रदान करते हैं। कुछ अन्य दवाएं हिस्टैमिन अभिग्राहकों को रोक देती हैं, जिससे पेट कम एसिड बनाता है।

डायबिटीज़ रोगियों में दिल की बीमारी के लक्षण ---


यदि डायबिटीज़ को अनदेखा किया जाए और समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह बहुत घातक हो सकता है ! लगभग 80% प्रतिशत डायबिटीज़ ग्रस्त व्यक्तियों को दिल की बीमारी होती है ! यदि डायबिटीज़ के रोगी सतर्क रहे तो हार्टअटैक को टाला जा सकता है ! डायबिटीज़ से ग्रस्त कई व्यक्तियों में दिल की बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते ! इसे अक्सर साइलेंट हार्ट डिज़ीज़ कहा जाता है ! डायबिटीज़ से ग्रस्त मरीजों को नियमित तौर पर अपनी जांच करवानी चाहिए ताकि कोई बड़ी समस्या न आए ! उपचार के द्वारा समस्या को कम किया जा सकता है या टाला जा सकता है ! सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ निश्चित लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए - न ही इनके बारे में असावधानी बरतनी चाहिए न ही इनके प्रति आलस दिखाकर इसे टालना चाहिए ! नीचे कुछ लक्षण दिए गए हैं जिन्हें अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए ! आप या आपके किसी निकट व्यक्ति में ये लक्षण तो नहीं दिखाई दे रहे ?? *** कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ (सीएचडी) एनजाइना - जिसे सीने का दर्द या सीने में असुविधा महसूस होना भी कहा जाता है तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों को आक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिल पाता ! यह सीएचडी का लक्षण है - छाती में जकड़न - बेचैनी या खिंचाव महसूस होगा ! यह हाथ - गर्दन - पीठ - कंधे और जबड़े तक पहुँच सकता है ! शुरू में अपचन जैसी समस्या महसूस होगी ! इसका एक मुख्य कारण भावनात्मक तनाव है ! आप इसे मांसपेशियों का दर्द समझकर इसे टाल देंगे और केवल थोडा सा आराम करके अपने काम पर वापस लौट जायेंगे - ऐसा न करें ! यदि आप डायबिटीज़ के रोगी हैं तो इस प्रकार के दर्द को अनदेखा न करें तथा तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ ! अन्‍य लक्षणों में थकान - अधिक पसीना निकलना - चक्कर आना - सिर दर्द - उल्टी और कमज़ोरी शामिल हैं ! कुछ अत्याधिक व्यस्त लोग यह नहीं महसूस कर पाते कि उन्हें सीएचडी है जब तक उन्हें हार्ट अटैक नहीं आ जाता तथा उनके रिश्तेदार कठिन परिस्थिति में नहीं आ जाते ! हार्ट अटैक तब आता है जब कोरोनरी धमनी अवरुद्ध हो जाती है तथा यह हृदय की मांस पेशियों तक होने वाले रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर देती है ! सबसे सामान्य लक्षण जो अधिकाँश लोगों में दिखाई देता है वह है छाती में दर्द या या छाती में बाईं ओर बैचनी महसूस होना - यह अस्थिर दर्द की तरह होता है ! यह दर्द बहुत हल्का या बहुत अधिक हो सकता है ! कभी कभी आपको छाती में जलन या साँस लेने में असुविधा और बेचैनी का अनुभव हो सकता है ! यदि आप पहले से ही हृदय रोगी हैं तो आपको कुछ अन्य लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है ! डायबिटीज़ से संबंधित मांसपेशियां शरीर के दर्द के संकेतों में बाधा डालती हैं जिसके कारण डायबिटीज़ के मरीजों को बिना किसी लक्षण के भी हार्ट अटैक आ सकता है ! *** हार्ट फेल होना - यह आजकल एक आम समस्या हो गयी है जो सांस लेने में तकलीफ - पैर - पेट - एड़ी और नसों में सूजन के कारण होती है ! यह सब अधिक ब्लॉकेज होने के कारण होता है जो हृदय को ठीक तरह से कार्य नहीं करने देता - इसके कारण आपको कुछ बेचैनी के लक्षण दिखाई दे सकते हैं ! आगे अधिक कमज़ोरी होने से स्थिति अधिक बिगड़ सकती है ! *** डायबिटिक कार्डियोमायोपैथी -- डायबिटिक कार्डियोमायोमायोपैथी को प्रारंभिक चरणों में नहीं पहचाना जा सकता - इस प्रकार की बातों में शरीर को प्रतिक्रिया व्यक्त करने में अधिक समय लगता है - अधिकाँश डायबिटिक मरीजों को जिनमें शुगर का स्तर बहुत अधिक होता है उन्हें उनके शुगर के स्तर के आधार पर इन्सुलिन की दवाई या इंजेक्शन लेने की सलाह दी जाती है ! *** डायबिटीज़ के मरीजों में यह लक्षण बाद के चरणों में दिखाई देता है ! लोग सोचते हैं कि वे बहुत अधिक सक्रिय हैं परन्तु वे नहीं जानते कि उनके शरीर के अंदर क्या हो रहा है ! 40 वर्ष की आयु के बाद प्रत्येक स्त्री पुरुष को हर महीने अपनी जांच करवानी चाहिए ! ** अत: डायबिटीज़ के रोगियों को सलाह दी जाती है कि वे अपने शुगर के स्तर का ध्यान रखें तथा हृदय की बीमारी से संबंधित लक्षणों पर ध्यान दें ! हृदय की बीमारी को दूर रखने के लिए आपको नियमित तौर पर हृदय की जांच करवानी चाहिए !

मस्सा


मित्रों मस्सा शब्द से शायद ही आप अनजान हों।मस्से शरीर पर कहीं भी हों खूबसूरती को कम कर देते हैं, विशेषकर चेहरे पर होने वाले मस्से। मस्सा (wart) शरीर पर कहीं कहीं काले रंग का उभरा हुआ मांस का छोटा दाना जो चिकित्सा विज्ञान के अनुसार एक प्रकार का चर्मरोग माना जाता है। यह प्रायः सरसों अथवा मूँग के आकार से लेकर बेर तक के आकार का होता है। यह प्रायः हाथों और पैर पर होता है किन्तु शरीर के अन्य अंगों पर भी हो सकता है।त्वचा पर पेपीलोमा वायरस के कारण छोटे खुरदरे कठोर गोल पिण्ड बन जाते हैं जिसे मस्सा कहते हैं। मस्से विषाणु संक्रमण से पैदा होते हैं। प्रायः 'मानव पेपिल्लोमैविरस' नामक विषाणु की कोई प्रजाति इसका कारण होती है। लगभग दस प्रकार के मस्से होते हैं। मस्से संक्रमण (छुआछूत) से हो सकते हैं और शरीर में वहाँ प्रवेश करते हैं जहाँ त्वचा कटी-फटी हो। प्रायः ये कुछ माह में स्वयं समाप्त हो जाते हैं किन्तु कभी-कभी वर्षों तक बने रह सकते हैं या पुनः हो सकते हैं।शरीर पर अनचाहे मस्सों के उग जाने से मन से बार बार यही आवाज आती है कि इन मस्सों से छुटकारा कैसे पाया जा सकता है। ये मस्से आपकी सुदरता में धब्बा बन कर आपको परेशान कर रहे हैं तो इन आसान उपायों की सहायता से आप इनसे छुटकारा पा सकते हैं। १. रोज दो तीन बार प्याज का लेप मस्सों पर करने से ये मस्से जड़ से खत्म हो जाएंगे। प्याज को काट कर मस्से पर घिसना भी लाभप्रद है। २. शरीर की त्वचा पर यदि छोटे-छोटे काले मस्से हो गए हों तो उन पर काजू के छिलकों का लेप लगाने से मस्से साफ हो जाते हैं। 3. चूना और घी एक समान मात्रा में लेकर दोनों को खूब फेंटकर सुरक्षित रखें। उसे दिन में 3-4 बार मस्सों पर लगाएं। उससे मस्से जड़ से हट जाएंगे और दूबारा नहीं होंगे। ४. सोडा कास्टिक 6 ग्राम को 250 ग्राम की बोतल में घोलकर सुरक्षित जगह पर रख दें। सावधानी से रूई की सहायता से मस्सों पर लगाएं। मस्सों को दूर करने के लिए यह रामबाण दवा है। ५. बी काम्पलेक्स, विटामिन ए, सी, ई युक्तआहार के सेवन से मस्सों को दूर किया जा सकता है।मस्सों से छुटकारा पाने के लिए पोटेशियम बहुत लाभदायक है। पोटेशियम बहुत सी साग-सब्जी और फलों में पाया जाता है। जैसे - सेब, केला, अंगूर, आलू, मशरूम, टमाटर, पालक इत्यादि। ६. खट्टी सेब का रस मस्सों पर लगाने से मस्सों के छोटे-छोटे टुकड़े होकर गिर जाएंगे। ७. मुहासे या मस्से हों तो फिटकरी और काली मिर्च आधा-आधा ग्राम पानी में पीसकर मुहा पर मलने से लाभ होता है। ८. बरगद के पेड़ के पत्तों का रस मस्सों के उपचार के लिए बहुत ही असरदार होता है। इस प्रयोग से त्वचा सौम्य हो जाती है और मस्से अपने आप गिर जाते हैं। ९. एक चम्मच कोथमीर के रस में एक चुटकी हल्दी डालकर सेवन करने से मस्सों से राहत मिलती है। १०. कच्चे आलू का एक स्लाइस नियमित रूप से दस मिनट तक मस्से पर लगाकर रखने से मस्सों से छुटकारा मिल जायेगा। ११. मस्सा खत्म करने के लिए एक अगरबत्ती जला लें और अगरबत्ती के जले हुए गुल को मस्से का स्पर्श कर तुरन्त हटा लें। ऐसा 8-10 बार करें, इस उपाय से मस्सा सूखकर झड़ जाएगा। १२. ताजा अंजीर लें। इसे कुचलकर -मसलकर इसकी कुछ मात्रा मस्से पर लगावें और ३० मिनिट तक लगा रहने दें फ़िर गरम पानी से धोलें। ३-४ हफ़्ते में मस्से समाप्त होंगे। १३. केले के छिलके को अंदर की तरफ से मस्से पर रखकर उसे एक पट्टी से बांध लें। और ऐसा दिन में दो बार करें और लगातार करते रहें जब तक कि मस्से ख़तम नहीं हो जाते। १४. अरंडी का तेल नियमित रूप से मस्सों पर लगायें। इससे मस्से नरम पड़ जायेंगे, और धीरे धीरे गायब हो जायेंगे। अरंडी के तेल के बदले कपूर के तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं। १५. कलौंजी के कुछ दाने सिरके में पीस कर मस्सों पर लगा कर सो जाए कुछ दिनों में मस्से कट जायेंगे। १६. लहसून के एक टुकड़े को पीस लें, लेकिन बहुत महीन नहीं, और इस पीसे हुए लहसून को मस्से पर रखकर पट्टी से बांध लें। इससे भी मस्सों के उपचार में सहायता मिलती है।१७. एक बूँद ताजे मौसमी का रस मस्से पर लगा दें, और इसे भी पट्टी से बांध लें। ऐसा दिन में लगभग 3 या 4 बार करें। ऐसा करने से मस्से गायब हो जायेंगे। १८. बंगला, मलबारी, कपूरी, या नागरबेल के पत्ते के डंठल का रस मस्से पर लगाने से मस्से झड़ जाते हैं। अगर तब भी न झड़ें, तो पान में खाने का चूना मिलाकर घिसें। १९. अम्लाकी को मस्सों पर तब तक मलते रहें जब तक मस्से उस रस को सोख न लें। या अम्लाकी के रस को मस्से पर मल कर पट्टी से बांध लें। २०. कसीसादी तेल मस्सों पर रखकर पट्टी से बांध लें। २१. थूहर का दूध या कार्बोलिक एसिड सावधानीपूर्वक लगाने से मस्से निकल जाते हैं। -मस्सों पर अलो वेरा को दिन में तीन बार लगायें। ऐसा एक सप्ताह तक करते रहें, मस्से गायब हो जायेंगे। २२. बेकिंग सोडा और अरंडी तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर इस्तेमाल करने से मस्से धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं। २३. हरे धनिए को पीसकर उसका पेस्ट बना लें और इसे रोजाना मस्सों पर लगाएं। २४. चेहरे को अच्छी तरह धोएं और कॉटन को सिरके में भिगोकर तिल-मस्सों पर लगाएं। दस मिनट बाद गर्म पानी से फेस धो लें। कुछ दिनों में मस्से गायब हो जाएंगे। २५. रात को सोते वक्त और सुबह के समय मस्सों पर शहद लगाने के लाभकारी परिणाम मिले हैं। २६. ग्वार पाठा (एलोवेरा) से मस्से की चिकित्सा की जा सकती है। एलोवेरा के रस में रूई का फ़ाया (काटन बाल) एक मिनट के लिये भिगोएं फ़िर इसे मस्से पर रखें और चिपकने वाली पटी (एढीसिव टेप। से स्थिर कर दें। यह प्रक्रिया दिन में कई बार करना उचित है। ३-४ हफ़्ते में मस्से साफ़ हो जाएंगे। २७. ताजा अंजीर मसलकर इसकी कुछ मात्रा मस्से पर लगाएं। 30 मिनट तक लगा रहने दें। फिर गुनगुने पानी से धो लें। मस्से खत्म हो जाएंगे।

हकलाहट


अभी हाल ही में समूह के कुछ सदस्यों ने हकलाहट व तुतलाने के बारे में बताने के लिये सन्देश भेजे थे. तुतलाना एक शारीरिकतंत्र (फिजियोलॉजी) विकृति है जब कि हकलाने की समस्या का कारण फिजियोलॉजी के अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक भी हो सकता है. मनोवैज्ञानिक विकृति मनोवैज्ञानिक कारणों में फोबिया अहम् होता है जिस कारण बच्चे बड़े होने पर भी किसी परिस्थिति विशेष या व्यक्ति विशेष के सामने हकलाने लगते है, अन्यथा नहीं. मनोवैज्ञानिक हकलाना हमेशा नहीं होता. इस प्रकार के बच्चों को कभी भी कुंठाग्रस्त ना होने दें. जब कोई हकलाकर बोलता है तो लोग अक्सर हंस देते हैं जिससे अपमान का आभास होता है व वे कुंठित महसूस करते हैं. हकलाकर बोलने वाले बच्चों को इस दोष से मुक्ति दिलाने के लिए उन्हें हकलाने पर ताड़ना या प्रताड़ना नहीं मिलनी चाहिए. उन्हें सुधारने के लिये सलाह न देकर उनसे छोटी छोटी बातों पर सलाह लें. जैसे उनसे पूछना, आज बताओ क्या खाना बनायें, हम सभी वही खायेंगे जो तुम बताओगे. टीवी पर कौन सा चैनल लगाना है लगाओ, हम भी वही देखेंगे. यदि बाज़ार जाएँ तो उनकी पसंद ही वस्तुएं खरीदें, अपनी मर्ज़ी ना थोपें. इस प्रकार के प्रयोगों से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा; और हकलाने की प्रवृति चली जायेगी. यदि हकलाने की प्रवृति उसके अपने मित्रों के बीच हो, तो उसे प्रेम से समझाईये कि वह अपने मित्रों से बेहतर है, और उसे ये बार बार मनन व निश्चय करना चाहिए कि वह उन सब के सामने नहीं हकलायेगा. हकलाने वाले बच्चे को धीरे धीरे, आत्मविश्वास के साथ, बोलने का अभ्यास कराएं. उसे बतायें कि बोलने में जल्दबाजी न करे. स्वर और उच्चारण पर ध्यान दे. हकलाने के बावजूद भी उसे खूब बोलने और बोल कर पढ़ने का अभ्यास कराएं. फिजियोलॉजिकल विकृति हकलाने व तुतलाने की फिजियोलॉजिकल विकृति के पीछे कुछ अवयवों की कमी हो सकती है या फिर जिव्हा के लोचतंत्र की कमजोरी. इस प्रकार के रोग के लिये कुछ अति कारगर उपाय हैं. इन उपायों में मुख्यतः ऐसे घटक दिए जाते हैं जिनके खाने जीव्हा में जकड़न आये, जीव्हा से रसस्राव हो व जीव्हा तंतु शातिशाली बनें. ये योग अपनाएँ बच्चे को एक हरा आंवला रोज चबाने को दें. इससे जीभ पतली होने में मदद मिलेगी और जीभ की गर्मी भी शांत होगी| अत: बच्चे का हकलाना बंद हो जाएगा.यदि आंवला का मौसम ना हो तो अमरुद, जामुन गिरी, आम गिरी या अनार का छिलका दे सकते हैं. काली मिर्च और बादाम समभाग लेकर कुछ बूँद पानी में घिसकर चटनी बनालें इसमें मिश्री या शहद मिलाकर बच्चे को चटाते रहें. एक या दो माह में बच्चे का हकलाना बंद हो जाएगा| दालचीनी का चूर्ण बना कर शहद के साथ दें. थोडा सा अकरकरा या कुलिंजन या वच चूसने को दें. इनमें से जो भी एक मिल जाए ठीक है. इसे मुंह में रख कर चूसना ही है, जिससे जिव्हा का स्राव बढ़ जाता है व जीव्हा पतली हो जाती है. यदि मिल सके तो मालकांगनी (Celastrus paniculatus) जिसे ज्योतिष्मती भी कहते हैं, के तीन चार बीज खाने को दें. मालकांगनी मस्तिष्क के लिये उत्तम टॉनिक भी है. लेकिन ये कडवी होती है. बच्चे को नीबू चूसने को दें. नीम्बू का विटामिन C भी जिव्हा के गतितंत्र को ठीक करता है. अंत में, एक लोकप्रचलित टोटका आदिवासी बहुल कुछ जातियों में तुतलाने के लिये एक प्राचीन टोटका भी प्रचलन में है. वह ये है कि तोते का खाया हुआ अमरुद खिलाने पर बच्चों का तोतलापन व बोलने में विलम्ब ठीक होते हैं. निष्कर्ष: तुतलाना व हकलाना मुख्यत: मनोवैज्ञानिक व फिजियोलॉजिकल विकृतियाँ हैं जिन्हें आसानी से ठीक किया जा सकता है.

बाल झड़ने की समस्या के लिए नुस्खे


कुछ घरेलू उपचार आजमा कर भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है :- • कुछ दिनों तक, नहाने से पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे। • नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर सिर पर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं। • तिल खाएं। इसका तेल भी बालों को काला करने में कारगर है। • आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाए। 15 मिनट बाद बाल धो लें। बाल सफेद से काले होने लगेंगे। • प्रतिदिन घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। बाल झड़ने की समस्या • नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें। बाल झड़ना बंद हो जाएगा। • चाय पत्ती के उबले पानी से बाल धोएं। बाल कम गिरेंगे। • बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा। • दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ (रूसी) भी नहीं होगी।

all disease


150 ग्राम सोंठ, 200 ग्राम कालीमिर्च, 100 ग्राम पीपर, 50 ग्राम चव्य, 50 ग्राम तालीस पत्र, 25 ग्राम नाग केसर , 100 ग्राम पीपरामूल, 90 ग्राम तेज़पत्ता, 15 ग्राम छोटी इलाइची, 15 ग्राम सफेद जीरा, 15 ग्राम काला जीरा, 15 ग्राम दालचीनी, 15 ग्राम खस, 15 ग्राम अजमोद। इन सब को अलग-अलग कूट-पीसकर छानकर उपर्युक्त मात्रा में मिलाकर अपामार्ग के रस में घोंटे और छाया में सुखाकर फिर चूर्ण करके 1.5 किलो शहद में मिलाकर बोतलों या शिशो के बर्तन में रख लें। मात्रा- भोजन से आधा घंटा पूर्व 6 ग्राम प्रात:, 6 ग्राम शाम। लाभ – सभी प्रकार के बवासीर, खूनी बवासीर, पेशाब का रुकना या कम होना, ह्रदय रोग, दस्त, पेचिश, वमन की प्रवृति, सभी प्रकार के ज्वर, गले का रोग, कृमि रोग, दूर हो जाता है।

घमोरिया घमौरी के सरल उपाय


गर्मी के मौसम में अत्यधिक पसीना आने से पीठ पर दाने निकल आते हैं। इसे घमौरी के नाम से जाना जाता है। इसमें खुजली होने के साथ सुई सी चुभन होती है। गर्मी की अधिकता, अधिक पसीना आने, गंदगी से यह दिक्कत होती है। बचाव -अत्यधिक धूप में न निकलें। -हल्के कपड़े पहनें। -गरम और तेज मिर्च-मसाले युक्त भोजन से पहरेज करें। -ठंडे और शांतिदायक शर्बत व पेय का सेवन करें। उपचार -गुलाब के फूलों का तेल 12 मिली, सिरका 48 मिली, कपूर एक ग्राम और फिटकरी तीन ग्राम लेकर मिलाकर दानों में लगाएं। या संजीरा १०० ग्राम फिटकरी १० ग्राम कपूर १० ग्राम खुब अच्छे से मिला कर पावडर जैसे लगाये या नारियल तेल १०० ग्राम कपूर १० ग्राम ले और तेल को थोडा गरम कर के कपूर डाल दे ये तरल हो जायेगा जहा भी घमौरी हो उस जगह लगाये लाभ होगा रात को सोते समय हरय ( हरडे ) चूर्ण गुनगुने पानी या सादे पानी से ले या मुलतानी मिट्टी का दानों पर लेप करने से आराम मिलता है। या खशखश के बीज 12 ग्राम को बकरी के दूध में पीसकर दानों पर मलें। फिरआधा घंटा बाद स्नान करना लाभकारी होता है। Image may contain: one or more people

BILATERAL POLYCYSTIC CHOLELITHIASIS


निम्न लक्षण हैं…….१.दोनों पैर में सूजन है दाहिने पैर में ज्यादा व पंजे में अधिक है पैर की नसों व उँगलियों में दर्द,कुल्हे तक दर्द.२.पेशाब रुक रुक कर होता है.कभी कभी पेशाब में जलन अधिक रहती है और जलन गले तक होती है.३.पीठ में दोनों तरफ दर्द रहता है.बाएँ तरफ दर्द अधिक रहता है.४.कभी कभी मतली होती है और कभी उलटी भी हो जाती है. चूंकि जब रोग पुराना हो जाता है तो पुनः स्वास्थ्य आने में समय लगता है। इसलिये चिकित्सा काल में इच्छित परिणाम मे लिये धैर्य रखें। रोगी को निम्न उपचार दें-१. शतावरी चूर्ण एक चम्मच + मुलैहठी चूर्ण एक चम्मच मिला कर एक कप दूध के साथ सुबह-शाम दें ध्यान रखिए कि दूध गर्म न करें सामान्य ताप पर ही दें।२. अविपत्तिकर चूर्ण आधा चम्मच भोजन के आधे घंटे पहले जल से दीजिए दिन में दो बार दें।३. क्षार पर्पटी एक ग्राम + सज्जीखार एक ग्राम + पुननर्वादि गुग्गुलु एक गोली को नींबू शर्बत या शहद के साथ दिन में तीन बार सुबह दोपह शाम को दीजिये(खाली पेट न दें)४. त्रिफला २ ग्राम + कुटकी एक ग्राम + मुनक्का ३ ग्राम मिला कर मुनक्के को मसल कर बनाए शर्बत के साथ दें(इस शर्बत के स्थान पर हरीतक्यादि क्वाथ दें तो बेहतर परिणाम मिलते हैं)भोजन में अधिकतम दूध रोटी या दूध चावल का सेवन हितकर है। नमक, तेल, मिर्च, अचार, दही,कुल्थी की दाल,मसूर आदि जैसे गर्म और भारी भोजन का त्याग करें। मांसाहार(अंडे भी) पूरी तरह सख्ती से बंद कर दें यह रोगी के लिए विष के समान है। फलों में पके केले, अनार, नारियल, मोसम्बी, आंवला दे सकते हैं; लौकी, परवल, करेला, कद्दू की सब्जी दीजिये किन्तु ध्यान रहे कि ये सब मसालेदार न हो। सब्जी में देसी घी और जीरे का छौंक दे सकते हैं।

कई बीमारियों का एक साथ छोटा सा प्रयोग


* इसके तीन महीने तक सेवन करने से खांसी, सर्दी, ताजा जुकाम या जुकाम की प्रवृत्ति, जन्मजात जुकाम, श्वास रोग, स्मरण शक्ति का अभाव, पुराना से पुराना सिरदर्द, नेत्र-पीड़ा, उच्च अथवा निम्न रक्तचाप, ह्रदय रोग, शरीर का मोटापा, अम्लता, पेचिश, मन्दाग्नि, कब्ज, गैस, गुर्दे का ठीक से काम न करना, गुर्दे की पथरी तथा अन्य बीमारियां, गठिया का दर्द, वृद्धावस्था की कमजोरी, विटामिन ए और सी की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग, सफेद दाग, कुष्ठ तथा चर्म रोग, शरीर की झुर्रियां, पुरानी बिवाइयां, महिलाओं की बहुत सारी बीमारियां, बुखार, खसरा आदि रोग दूर होते हैं। * यह प्रयोग कैंसर में भी बहुत लाभप्रद है। * तुलसी की 21 से 35 पत्तियाँ स्वच्छ खरल या सिलबट्टे (जिस पर मसाला न पीसा गया हो) पर चटनी की भांति पीस लें और 10 से 30 ग्राम मीठी दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खायें। * ध्यान रहे दही खट्टा न हो और यदि दही माफिक न आये तो एक-दो चम्मच शहद मिलाकर लें। * छोटे बच्चों को आधा ग्राम दवा शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भुलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेट लें। आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं। दवा दिनभर में एक बार ही लें * कैंसर जैसे असह्य दर्द और कष्टप्रद रोगो में २-३ बार भी ले सकते हैं।

दांतों में कीड़े लगना -


यह एक आम समस्या है,खासतौर पर बच्चों में यह कष्ट अधिक देखने को मिलता है | दांतों की नियमित सफाई न करने से दांतों के बीच में अन्न कण फंसे रहते हैं और इन्ही अन्न कणों के सड़ने की वजह से दांतों में कीड़े लग जाते हैं जिससे दांतों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं | इसी कारण दांत खोखले हो जाते हैं,मसूड़े ढीले पड़ जाते हैं तथा दांत टूटकर गिरने लगते हैं | दांतों की नियमित सफाई करके इस समस्या से बचा जा सकता है | इस रोग में दांतों में तेज़ दर्द होता है और मसूड़े सूज जाते हैं | दांतों में कीड़े लगने पर कुछ घरेलू उपचारों द्वारा आराम पाया जा सकता है - १- दालचीनी का तेल रूई में भरकर पीड़ायुक्त दांत के गढ्ढे में रखकर दबा लें | इससे दांत के कीड़े नष्ट होते हैं और दर्द में शांति मिलती है | २- फिटकरी गर्म पानी में घोलकर प्रतिदिन कुल्ला करने से दांतों के कीड़े और बदबू ख़त्म हो जाती है | ३- कीड़े युक्त या सड़े हुए दांतों में बरगद (बड़) का दूध लगाने से कीड़े और पीड़ा दूर होती है | ४- हींग को थोड़ा गर्म करके कीड़े लगे दांतों के नीचे दबाकर रखने से दांत व मसूड़ों के कीड़े मर जाते हैं | ५- पिसी हुई हल्दी और नमक को सरसों के तेल में मिला लें | इसे प्रतिदिन २-४ बार दांतों पर मंजन की तरह मलने से दांतों के कीड़े मर जाते हैं | ६- कीड़े लगे दांतों के खोखले भाग में लौंग का तेल रुई में भिगोकर रखने से भी दांत के कीड़े नष्ट होते हैं | ७- दांत में कीड़े लगने से दांत खोखले हो जाते हैं तथा जगह-जगह गढ्ढे बन जाते हैं | फिटकरी,सेंधानमक,तथा नौसादर बराबर मात्रा में लेकर बारीक पाउडर बना लें | इसे प्रतिदिन सुबह-शाम दांत व मसूड़ों पर मलने से दांतों के सभी रोग ठीक होते हैं |

मंडूर


मंडूर अथवा (लौह सिंहानिका,सिंहान,किट्टी,लौह का मैल) गुण- प्राचीन ऋषियों के अनुसार जिस लोहे के जैसे गुण होते हैं वैसे ही गुण उसके मंडूर में भी उपलब्ध होते हैं. लोहे को पिघलाने पर जो मैल लौह अशुद्धि के रूप में प्राप्त होता है वह मंडूर कहलाता है.इसका रंग काला वजन में भारी तथा स्वाद कसैला होता है. औषधीय प्रयोजन के लिए 100 वर्ष या अधिक पुराना मंडूर सर्वोत्तम, 80 वर्ष पुराना मंडूर मध्यम और 60 वर्ष पुराना मंडूर अधम श्रेणी का माना गया है. 60 वर्ष से कम समय का मंडूर निकृष्ट और विष तुल्य होता है. उत्तम मंडूर कौन सा है--- जो वजन करने में भारी हो, सतह जिसकी चिकनी हो,इसे तोड़ने पर ठोस हो. औषधि निर्माण के लिए कैसा मंडूर लेना चाहिए--- पचासों वर्षों से यह वर्षा में भीगा हो, वर्षा प्रारंभ होने से पहले प्रथ्वी से निकलने वाली ऊष्मा में यह स्वेदित हुआ हो, गर्मी के दिनों में सूर्य के ताप से तप्त हुआ हो चंद्रमा की किरणों से यह सींचा गया हो. शीत ऋतू में यह सर्दी से ठंडा होता रहा हो. ऐसी प्राकृतिक परिस्थतियों में रहने के कारण पुराना मंडूर अमृत समान गुणों से युक्त हो जाया करता है.

इस तेल से उग आएंगे नए बाल...


अगर आप लगातार झड़ते या झड़ चुके बालों से थक चुके हैं, और दोबारा बालों को उगाना चाहते हैं, तो यह तेल आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। झड़ चुके बालों से दिखने वाली सिर की त्वचा भी इससे छुप जाएगी और आपके बालों का घनापन फिर लौट आएगा। जानिए कौन सा है यह तेल, और कैसे बनाया जाता है इसे - इस अनमोल और बेहतरीन तेल को बनाने के लिए आपको 5 चीजों की जरूरत होगी, जो आसानी से उपलब्ध हो सकती हैं। जानिए कौन सी 5 चीजें है - 1 लहसुन की कलियां - 6 से 7 2 ताजा कटा हुआ आंवला - 2 से 3 3 कटा हुआ प्याज - 1 छोटा 4 अरंडी का तेल यानि कैस्टर ऑइल - 3 चम्मच 5 नारियल का तेल - 4 चम्मच इन 5 चीजों को मिलाकर आप आसानी से इन तेल को बना सकते हैं। लेकिन इसे बनाना कैसे है, अब यह भी जान लीजिए - विधि‍ - सबसे पहले एक कटोरी में नारियल तेल और अरंडी के तेल को मिक्स कर लीजिए। अब तेल के इस मिश्रण में कटे हुए लहसुन, प्याज और आंवला डालें और इस मिश्रण को धीमी आंच पर लगभग 5 मिनट तक पकाएं। अब इसे आंच से हटा लें और कम से कम 1 घंटे तक इन सभी चीजों को तेल में ही रहने दें। हो गया आपका तेल तैयार। इस तेल को नियमित रूप से बालों में लगाने पर, बालों का झड़ना भी कम होगा और झड़ चुके बालों के कारण अगर सिर की त्वचा दिखाई देने लगी है, तो नए बालों से वह भी ढंक जाएगी। इसके अलावा बालों का घनापन बढ़ाने के लिए भी यह तेल बेहद फायदेमंद साबित होगा।

शराब छोड़ने के उपाय


✨कहतें हैं कि शराब पीने की जिसे आदत पड़ जाती है, आसानी से नहीं छुटती, लेकिन 🌟सेब का रस बार बार पीने से और भोजन के साथ सेब खाने से भी शराब की आदत छुट जाती है! यदि उबले हुए सेबों को दिन में तीन बार खिलाया जाए, तो कुछ ही दिनों में शराब पीने की लत छुट जाती है! 🌟500 ग्राम नई देसी अजवाइन को पीसकर उसे 7 लीटर पानी में दो दिन के लिए भिगो दें! फिर धीमी आंच पर इतना पकाएं कि पानी लगभग 2 लीटर रह जाए! ठंडा होने पर छान कर बोतल में भर दें! शराब की तलब लगने पर 5 चम्मच की मात्रा में पीते रहने से भी शराब पीने की आदत छुट जाती है! 🌟शिमला मिर्च(कैप्सिकम) जो कि मोटी-मोटी होती हैं व खाने में तीखी नहीं होती व सब्जी बनाने में प्रयोग करी जाती हैं ,ले लीजिए और उनका जूसर से रस निकाल लीजिए व इस रस का सेवन दिन में दो बार आधा कप नाश्ते या भोजन के बाद करें । आप चमत्कारिक रूप से पाएंगे कि आपकी शराब की तलब अपने आप घटने लगी है और एक दिन आप खुद ही पीने से इंकार कर देते हैं चाहे कोई कितना भी दबाव क्यों न डाले । ये दोनो उपाय सन्यासियों के आजमाए हुए हैं जोकि लोगों की शराब छुड़ाने के लिए प्रसिद्ध रहे हैं।

किडनी के मरीजों के लिए डाइट चार्ट


----------------------------------------------- जो आज डाइट प्लान बता रहे है उससे बहुत रोगी ठीक हो चुके है व् अपनी अन्य बीमारियो से मुक्ति पा चुके है किडनी रोग के इलावा भी।कई भाइयो का क्रिएटिनिन और यूरिया की समस्या सही हुयी, उन्होंने अपनी रिपोर्ट्स भी भेजी, और कई भाइयो को थोड़ी बहुत कन्फ्यूज़न थी के किडनी के रोगी क्या खाए और क्या सावधानिया रखे, तो उनके लिए आज आप सब को बता रहे हैं किडनी रोगियों के लिए।डाइट चार्ट हमने सैकडो किड्नी के रोगियों से बात किया जिससे यह पता चला कि उन्हे क्या खाना चाहिए क्या नही इसके बारे मे उन्हे बताया ही नही गया इसलिए हम अपने अनुभव के आधार पर एक सुन्दर डाइट चार्ट बनकर दे रहा हु फिर भी अपने डॉक्टर और वैद्य को दिखाकर उसमे थोड़ा कम ज्यादा कर सकते है। किडनी के रोग में परहेज किड्नी के रोगी को नमकीन चटपटी खट्टी चीजे तली हुई चीजें बेकरी आइटम जैसे पाव, ब्रेड, बटर,खारी बिस्कुट, नान खटाई, सूप, नारियल पानी,जूस, कोल्ड ड्रिंक सभी प्रकार की दाले, करेला,भिन्डी, बैंगन, टमाटर,शिमला मिर्ची, पत्ते वाली सब्जी जैसे पालक, चौराई, मेथी, फलो का रस,सूखा मेवा, अंकुरित दाल, बेसन, पापड़, आचार,चटनी, फरसन, बेकिंग पाउडर एवं सोडा लेने की मनाही है। किडनी के रोगी के लिए चाय। अदरक और तुलसी के पत्ते वाली काली चाय मे थोड़ा सा काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, तेजपत्ता, अजवायन और लवंग का चूर्ण डालकर बनाए, सुबह शाम 100- 150ग्राम चाय दे, ध्यान रखे, इसमें चाय पत्ती ना डाले। किडनी के रोगी के लिए नाश्ता। उपमा, पोहा, कुरमुरा दलिया, साबुदाना , साबुदाना खिचड़ी। किडनी के रोगी के लिए रोटी किडनी के रोगी के लिए रोटी सूखी होनी चाहिए, मतलब बिना घी, तेल लगाये, मक्का, जवार, बाजारी की हो तो उत्तम, नही तो गेहू थोड़ा मोटा पिसा हुआ ले मैदे या बारीक पिसे आटे की ना बनवाए। किडनी के रोगी के लिए सब्जी : हमेशा दो तरह की सब्जी ले एक जमीन के नीचे होने वाली जैसे आलू सूरन, मूली गाजर, शकरकन्द, दूसरी जमीन के उपर वाली लौकी, गोभी पत्ते वाली गोभी,सहजन नेनुआ, तुरई, परवल, रायता आदि। किडनी के रोगी के लिए सलाद ककड़ी, खीरा, गाजर, बीट रूट, पत्ते वाली गोभी,मूली, प्याज लेकिन मूली का सेवन रात्रि मे ना करे। किडनी के रोगी के लिए तेल मसाला: धनिया,हल्दी, हरि मिर्च, हींग,अजवाइन, दालचीनी, छोटी इलायची, लवंग, बड़ी इलायची,तेजपत्ता, जीरा, स्याह जीरा और तेल शुद्ध सरसो का तेल प्रयोग करे। किडनी के रोगी के लिए दूध दही पनीर : गाय का दूध मलाई निकलकर 100 – 150 ग्राम नाश्ते के समय, दही 1 कटोरी दोपहर भोजन के समय और पनीर 30 ग्राम डिनर के साथ ले। किडनी के रोगी के लिए फल: सेब बिना छिलके के,बेर,अमरूद, पपीता और अननास मे से कोई एक फल। किडनी के रोगी के लिए मीठा:1, 2 रसगुल्ला, श्रीखंड। इनमे जो भी आप खाए वो आप कम मात्रा में ही खाए। Vaid Deepak Kumar के सौजन्य से गुर्दे की सूजनकारण और उपाय ➖➖➖➖➖➖➖ कभी-कभी गुर्दे में खराबी के कारण गुर्दे (वृक्क) अपने सामान्य आकार से बड़े हो जाते हैंऔर उसमें दर्द होता है। इस तरह गुर्दे को फूल जाने को गुर्दे की सूजन कहते हैं। इसमें दर्दगुर्दे के स्थान से चलकर कमर तक फैल जाता है। लक्षण : गुर्दे रोगग्रस्त होने से रोगी का पेशाब पीले रंग का होता है। इस रोग से पीड़ित रोगी का शरीर भी पीला पड़ जाता है, पलकेसूज जाती हैं, पेशाब करते समय कष्ट होता है, पेशाब रुक-रुककर आता, कभी-कभी अधिक मात्रा में पेशाब आता, पेशाब के साथ खून आता हैऔरपेशाब के साथ धातु आता (मूत्रघात) है। इस रोग से पीड़ित रोगी में कभी-कभी बेहोशी के लक्षण भी दिखाई देते हैं। भोजन तथा परहेज : गुर्दे की सूजन से पीड़ित रोगी को भोजन करने के बाद तुरन्त पेशाब करना चाहिए। इससे गुर्दे की बीमारी, कमरदर्द, जिगर के रोग, गठिया, पौरुष ग्रंथि की वृद्धि आदि अनेक बीमारियों से बचाव होता है।ज्यादा मात्रा में दूध, दही, पनीर व दूध से बनीकोई भी वस्तु न खाएं। इस रोग से पीड़ित रोगी को ज्यादा मांस, मछली, मुर्गा, ज्यादा पोटेशियम वाले पदार्थ, चॉकलेट, काफी, दूध, चूर्ण, बीयर, वाइन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।इस रोग में सूखे फल, सब्जी, केक, पेस्ट्री, नमकीन, मक्खन आदि नहीं खाना चाहिए। विभिन्न औषधियों से उपचार 1. फिटकरी : भुनी हुई फिटकरी 1 ग्राम दिन में कम से कम 3 बार लेने से गुर्दे की सूजन दूर होती है। 2. दालचीनी : दालचीनी खाने से गुर्दे की बीमारी मिटती है। 3. सत्यानाशी : सत्यानाशी का दूध सेवन करने से गुर्दे का दर्द, पेशाब की परेशानी आदि दूर होती है। 4. तुलसी : छाया में सुखाया हुआ 20 ग्राम तुलसीका पत्ता, अजवायन 20 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम 2-2 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ लें। इसके सेवन से गुर्दे की सूजन के कारण उत्पन्न दर्द व बैचनीदूर होती है। 5. नारंगी : सुबह नाश्ते से पहले 1-2 नांरगी खाकर गर्म पानी पीना चाहिए या नारंगी का रस पीना चाहिए। इससे गुर्दे की सूजन व अन्य रोग ठीक होता है। नारंगी गुर्दो को साफ रखने में उपयोगी होता है। गुर्दे के रोग में सेब और अंगूर का उपयोग करना भी लाभकारी होता है। गुर्दो को स्वस्थ रखने के लिए सुबह खाली पेट फलों का रस उपयोग करें। 6. गाजर : गुर्दे के रोग से पीड़ित रोगी को गाजर के बीज 2 चम्मच 1 गिलास पानी में उबालकर पीना चाहिए। इससे पेशाब की रुकावट दूर होती है और गुर्दे की सूजन दूर होती है। 7. बथुआ : गुर्दे के रोग में बथुआ फायदेमन्द होता है। पेशाब कतरा-कतरा सा आता हो या पेशाब रुक-रुककर आता हो तो इसका रस पीने से पेशाब खुलकर आने लगता है। 8. अरबी : गुर्दे के रोग और गुर्दे की कमजोरी आदि को दूर करने के लिए अरबी खाना फायदेमन्द होता है। 9. तरबूज : गुर्दे के सूजन में तरबूज खाना फायदेमन्द होता है। 10. ककड़ी : गाजर और ककड़ी या गाजर और शलजम का रस पीने से गुर्दे की सूजन, दर्द व अन्य रोग ठीक होते हैं। यह मूत्र रोग के लिए भी लाभकारी होता है। 11. आलू : गुर्दे के रोगी को आलू खाना चाहिए। इसमें सोडियम की मात्रा बहुत पायी जाती है औरपोटेशियम की मात्रा कम होती है। 12. चंदन : चंदन के तेल की 5 से 10 बूंद बताशे परडालकर दूध के साथ प्रतिदिन 3 बार खाने से गुर्दे की सूजन दूर होती है और दर्द शान्त होता है। 13. सिनुआर : सिनुआर के पत्तों का रस 10 से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से गुर्दे की सूजन मिटती है। साथ ही सिनुआर, करन्ज, नीम और धतूरे के पत्तों को पीसकर हल्का गर्म करके गुर्दे के स्थान पर बांधने से लाभ मिलता है। 14. हुरहुर : पीले फूलों वाली हुरहुर के पत्तों को पीसकर नाभि के बाएं व दाएं तरफ लेप करने से फायदा होता है। 16. कलमीशोरा : कलमीशोरा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम की मात्रा में गोखरू के काढ़े के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से लाभ मिलता है। यह गुर्दे की पथरी के साथ होने वाले दर्द को दूर करता है। 15. आम : प्रतिदिन आम खाने से गुर्दे की कमजोरीदूर होती है।18. मकोय : मकोय का रस 10-15 मिलीलीटर की मात्रामें प्रतिदिन सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है। इससे गुर्दे और मूत्राशय की सूजन व पीड़ा दूर होती है। 16. जंगली प्याज : कन्द का चूर्ण, ककड़ी के बीज और त्रिफला का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर आधा चम्मच दिन में 2 बार सुबह-शाम प्रतिदिन खिलाने से गुर्दे के रोग में आराम मिलता है। 17. मूली : गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब बनना बन्द हो गया हो तो मूली का रस 20-40 मिलीलीटर दिन में 2से 3 बार पीना चाहिए।पेशाब में धातु का आना (मूत्राघात) रोग में मूली खाना लाभकारी होता है।मूली के पत्तों का रस 10-20 मिलीलीटर और कलमीशोरा का रस 1-2 मिलीलीटर को मिलाकर रोगी को पिलाने से पेशाब साफ आता है और गुर्दे की सूजन दूर होती है।प्रतिदिन आधा गिलास मूली का रस पीने से पेशाबके समय होने वाली जलन और दर्द दूर होता है। 18. अडूसा (वासा): अडूसे और नीम के पत्ते को गर्म करके नाभि के निचले भाग पर सिंकाई करें और अडूसे के पत्तों का 5 मिलीलीटर रस व शहद 5 ग्राम मिलाकर पीने से गुर्दे के भयंकर दर्द तुरन्त ठीक होता है। 19. पान: पान का सेवन करने से गुर्दे की सूजन व अन्य रोग में लाभ मिलता है। 20. पुनर्नवा : पुनर्नवा के 10 से 20 मिलीलीटर पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा सेवन करने से गुर्दे के रोगों में बेहद लाभकारी होता है। 21. नींबू : नींबू के पेड़ की जड़ का चूर्ण 1 ग्राम पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से गुर्दे की बीमारी में लाभ मिलता है।लौकी के टुकड़े-टुकड़े करके गर्म करके दर्द वाले जगह पर रखने और इसके रस से मालिश करने से गुर्दे का दर्द जल्द ठीक होता है। 22 लौकी : लौकी के रस से गुर्दे वाले स्थान पर मालिश करने और पीस करके लेप करने से गुर्दे का दर्द तुरन्त कम हो जाता है। 23. अंगूर : अंगूर की बेल के 30 ग्राम पत्ते को पीसकर नमक मिले पानी में मिलाकर पीने से गुर्दे का दर्द ठीक होता है। 24. अपामार्ग : अपामार्ग की 5-10 ग्राम ताजी जड़को पानी में घोलकर गुर्दे के दर्द से पीड़ित रोगी को पिलाने से दर्द में तुरन्त आराम मिलता है। यह औषधि मूत्राशय की पथरी को टुकड़े-टुकड़े करके निकाल देती है। 25. एरण्ड : एरण्ड की मींगी को पीसकर गर्म करकेगुर्दे वाले स्थान पर लेप करने से गुर्दे की सूजन व दर्द ठीक होता है ....धन्यवाद

पीले दांत चमकाने के घरेलू नुस्खे (Home remedies for yellow teeth)


दांत हमारे शरीर का काफी महत्वपूर्ण अंग हैं, जिनके बिना हमारी सूरत काफी खराब दिखती है। इस बात का अंदाज़ा आपको अपने दादा दादी को देखकर लग ही गया होगा। अगर आप कम उम्र में अपने दांतों को गंवाना नहीं चाहते हैं तो अपने दांतों की रोज़ाना देखभाल करना काफी ज़रूरी है। रोज़ाना सही प्रकार दांतों को साफ़ नहीं करने से उनपर पीलेपन की परत आ जाती है। आजकल ज़्यादातर महिलाएं अपने दांतों को लेकर काफी सजग रहती हैं क्योंकि जब वे पीले दांतों के साथ मुस्कुराती हैं तो इससे उनकी सुंदरता और स्वरुप पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः पीले दांतों को दूर करने के लिए आपको कोई ना कोई उपाय अपनाने ही चाहिये। नीचे इसके कुछ घरेलू नुस्खे दिए गए हैं। एक मुस्कुराता हुआ चेहरा हमेशा पसंद किया जाता है| मुस्कुराता हुआ चेहरा खुशी और पवित्रता का लक्षण है| मुस्कान की सुंदरता पीले दाँतों से कम हो जाती है| दाँतों का पीलापन होने की कई वजह हो सकती हैं| बढती उम्र, वंशानुगत कारण, अनुचित दंत स्वच्छता, चाय और कॉफी का ज्यादा सेवन, तंबाकू और सिगरेट के अत्यधिक उपभोग दाँतों के पीले होने का कारण हो सकते हैं| अक्सर लोग दाँतों का पीलापन हटाने के लिए चिकित्सा उपचार करते हैं पर इसमें समय और पैसा खर्च होता है| दाँतों का पीलापन और बदबू की समस्याओं से बचाव के लिए आप कुछ प्राकृतिक उपचार का प्रयोग कर सकते हैं। पीले दांत चमकाने के घरेलू नुस्खे (Home remedies for yellow teeth) पीले दाँत के लिए (peele danton ke liye) घरेलु उपाय – खाने का सोडा या बेकिंग सोडा (home remedy for peele daant in Hindi) बेकिंग पाउडर का उपयोग करके हम दांतों के पीले रंग को मिटा सकते हैं| एक बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा लेकर उसे आधे कप पानी में मिलाएं| इस मिश्रण से कुल्ला करें| बेहतर परिणाम के लिए दिन में दो से तीन बार कुल्ला करें| स्ट्रॉबेरी (Strawberries) स्ट्रॉबेरी में अच्छी मात्र में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी होता है जो दांत सफ़ेद करने के मदद करता है| 3 स्ट्रॉबेरी लेकर उसे पीसकर अपने दाँतों पर 1 मिनट के लिए घिसें| 1 हफ्ते में हर दिन 3 बार यह उपचार करें| नींबू से पीले दाँत साफ करने के उपाय (Lemon) नींबू के रस में एक चुटकी नमक मिलाकर अपने दांत घिसें| नींबू के रस के बजाय नींबू का छिल्का भी इस्तेमाल कर सकते हैं| नींबू का छिल्का दाँतों पर घिसकर फिर पानी से कुल्ला करें| सेब (Apples) सेब की अम्लता दाँतों को सफ़ेद करने में मदद करती है| सेब अच्छी तरह से चबाकर खाएं| इसमें तंतु की अच्छी मात्र होती है जो दांतों को सफ़ेद करने में मदद करती है| पीले दाँतों के लिए नमक (Salt) नमक जीवाणुरोधी होता है जो दांतों के कोनो से कीटाणुओं को मारकर दांतों को सफेदी देता है| इसके आलावा दाँतों को खनिज घटक दिलाता है| दाँतों को घिसते समय मसूड़ों को ज्यादा ना घिसें जिससे उन्हें नुकसान हो सकता है| लकड़ी का कोयला (Charcoal) रोज के टूथपेस्ट में लकड़ी के कोयले की पाउडर मिलाएं| इससे दांत घिसें| दिन में २ बार इस्तेमाल करने से दांत चमकने लगेंगे|

🌺इन सात मसालों में होते हैं हीलिंग गुण🌺


▶▶क्या आप जानते है की हमारे किचन में कितने ही ऐसे मसाले मौजूद है! अगर नही, तो फिर चलिए मिलकर जानते है, उन मसालों केबारें में जिनके प्रयोग से हम खाने में स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ के औषधि के तौर पर हर रोज करते है। ▶हीलिंग गुणों से भरपूर मसाले ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🍃मसाले हमारे भोजन को जायका प्रदान करने के अलावा, कुछ मसालेऔषधीय गुणों से भरपूर होते है। मसाले हमारे भोजन का स्वाद तो बढ़ाते ही हैं, हमारी सेहत की रक्षा भी करते हैं। कुछ मसाले तो अपने खास गुणों के कारण घरेलू औषधि के रूप में भी काम आते हैं। 🍃आइए ऐसे ही कुछ मसालों के बारे में जानकारी लेते हैं, जो कुछ बुनयादी स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए इस्तेमाल किये जा सकते हैं। ▶ एंटी-बैक्टीरियल हल्दी ➖➖➖➖➖➖➖ 🍃हल्दी के बिना खाने के रंग और स्वाद की कल्पना भी नहीं की जासकती है। हल्दी हीलिंग के मामले में सबसे पहले नंबर पर आती है। ऐसा माना जाता है कि हल्दी सबसे शक्तिशाली मसाला है, जिसमें प्राकृतिक रूप से मिलने वाला एंटी-सेप्टिक और एंटी-बैक्टीरियलगुण होते है। हल्दी में करक्यूमिन नाम का एक प्राकृतिक तत्व होता है, जो सूजन कम करने में मदद करता है। हल्दी त्वचा संबंधी परेशानियों को दूर करने में भी मददगार है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने के लिए खुद को तैयार कर लेता है। ▶आयरन का स्रोत जीरा ➖➖➖➖➖➖➖ 🍃जीरे में भी एंटी-बैक्टीरियल विशेषताएं पाई जाती है। जीरा आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है, जिसे नियमित रूप से खाने से खून की कमी दूर होती है। खाना हजम नहीं होता या फिर एसीडिटी है तो कच्चा जीरा मुंह में डाल कर खा लें, आराम मिलेगा। वैसेजीरे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इससे खाने से गैस, अपच जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। कई लोग जीरे की इसी विशेषता के कारण जीरे का प्रयोग रोटियों या परांठों में भी करते है। ▶तीखी लाल मिर्च ➖➖➖➖➖ 🍃लालमिर्च भोजन में स्वादिष्ट तीखा स्वाद डालने वाला प्रमुख मसाला है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट बुरे कोलेस्ट्रॉल से बचाव में सहायता करता है। यह कैलोरी जलाने में भी अहम भूमिका निभाता है। साथ ही लाल मिर्च पाचन शक्ति बढ़ाती है। ▶ सुगंधित दालचीनी ➖➖➖➖➖➖ 🍃एक शोध के अनुसार, खाने को सुगंधित करने वाली यह छाल डायबिटीज रोगियों के लिये बहुत लाभकारी होती है। दालचीनी कैल्शियम और फाइबर का एक बहुत अच्छा स्रोत है। दालचीनी मधुमेह को संतुलित करने के लिए एक प्रभावी औषधि है, इसलिए इसे गरीब आदमी का इंसुलिन भी कहते हैं। दालचीनी ना सिर्फ खाने का जायका बढ़ाती है, बल्कि यह शरीर में रक्त शर्करा को भी नियंत्रण में रखता है। जिन लोगों को मधुमेह नहीं है वे इसका सेवन करके मधुमेह से बच सकते हैं। और जो मधुमेह के मरीज हैं वे इसके सेवन से ब्लड शुगर को कम कर सकते है। इसके अलावा डायरिया, खराब खून का दौरा, पेट की खराबी और मासिक के दौरान खराब मूड को यह ठीक करती है। ▶पेट के लिए अजवायन ➖➖➖➖➖➖➖ 🍃अजवायन को किसी से कम न समझे! अजवायन में स्वास्थ्य सौंदर्य, सुगंध तथा ऊर्जा प्रदान करने वाले तत्व होते हैं। यह बहुत ही उपयोगी होती है। अजवायन गैस या एसिडिटी की समस्या में बहुत की असरदार होता है। अगर आपको बहुत अधिक एसिडिटी हो तो आप थोड़े से गुनगुने पानी के साथ अजवायन को ले सकते है। मगर इसका ज्यादा सेवान करने से पेट में जलन हो सकती है। ▶गर्म मसाले की शान जायफल ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🍃जायफल बहुत ही थोड़ी मात्रा में गर्म मसाले में प्रयोग किया जाने वाला एक मसाला है। यह बहुत ही गुणकारी होता है। इसके औषधीय गुण इसे और महत्वपूर्ण बनाते हैं। एक जायफल कई बीमारियों में काम आता है। जायफल में एंटी बैक्टीरियल तत्वपाये जाते हैं। यह दांतों की सड़न से लड़ता है। साथ ही दिमाग को मजबूत कर के एल्जाइमर से लड़ता है। इसे खाने में मिला कर खाने से भूख बढती है। ▶स्वास्थ्य को दुरुस्त रखें लौंग ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🍃लौंग की भारतीय खाने में खास जगह है। इसके उपयोग से खाने में स्वाद के साथ-साथ कुछ अहम गुण भी जुड जाते हैं। इसका उपयोग तेल व एंटीसेप्टिक रुप में किया जाता है। लौंग में आपके स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के कई गुण होते हैं। दांत या मसूढ़े में दर्द है तो मुंह में एक लौंग रख लें। दर्द मेंलाभ मिलेगा। सीने में दर्द, बुखार, पेट की परेशानियां और सर्दी-जुकाम में भी लौंग फायदेमंद साबित होता है।🌺

आखें


आखें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है और इनकी देख रेख करनी बेहद जरूरी है। आंखों की सेहत भी उतनी ही जरूरी है जितनी शरीर की सेहत की। मोतिया बिन्द आंखों के लिए एक खतरनाक रोग है। समय रहते इलाज न होने से आंखे जा भी सकती है। आइये जानते हैं मोतिया बिन्द के बारे में। जब आंखों की पुतलियों पर नीले रंग का पानी से जमा होने लगता है। और धीरे-धीरे आखों की पुतलियों को ढ़कने लगता है। इससे व्यक्ति की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है। और बाद में पूरी तरह से आंखों की रोशनी चली जाती है। 40 साल की उम्र के बाद मोतिया बिन्द के लक्षण अधिक होते हैं। समय रहते इलाज हो जाने से यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। और आपकी आंखे बची रह सकती है। मोतियाबिंद के कारण मोतियाबिंद के मुख्य कारण हैं। डायबिटीज होना, आंख पर चोट लगना, आंखों पर घाव बनना, गर्मी का कुप्रभाव, धूम्र दृष्टि होने से आदि मोतियाबिंद के प्रमुख कारण है। इससे देखने की क्षमता खत्म हो जाती है। और इंसान अंधा हो सकता है। *लंबे समय तक आंखों में सूजन का बने रहना। *जन्म से ही आंखों में सूजन का रहना। *कनीका में जख्म हो जाना। *आखों के परदे का किसी वजह से अलग हो जाना। *अधिक तेज रोशनी में काम करना। *गठिया का होना। *गुर्दे की समस्या या जलन होना। *खूनी बवासीर का होना। मोतियाबिंद के लक्षण 1. धीरे-धीरे आंखों की नजरों का कम होना। 2. तेज रोशनी के चारों तरफ रंगीन घेरा दिखना। 3.मोतियाबिंद में इंसान को हर चीज काली, पीली, लाल और हरी नजर आने लगती हैं। मोतियाबिंद के लिए आयुवेर्दिक हेल्थ टिप्स (Ayurvedic Health Tips) जो मोतिया बिन्द को शुरू में ही रोक सकती है। मोतियाबिंद पांच प्रकार का होता है जिसमें आंखों की स्थिति अलग-अलग प्रकार की होती है। -वातज मोतियाबिंद -पित्तज मोतियाबिंद -कफज मोतियाबिंद -सन्निपात मोतियाबिंद -परिम्लामिन मोतियाबिंद यह भी पढ़े:सेब की चाय और सारी बीमारियों से निजात वातज मोतियाबिंद में आंख कठोर और चंचल होने के साथ आखों की पुतली लाल रहती है। पित्तज मोतियाबिंद में कांसे बर्तन की तरह पीलापन होता है आखों में। कफज मोतियाबिंद में आंख की पुतली शंख की तरह सफेद, चिकनी और चंचल होती है। सन्निपात में आंख की पुतली लाल और सफेद दोनों का आवरण लिए हुए होती है। परिम्लामिन मोतियाबिंद में भद्दे रंग, मैली, रूखी और कांच की तरह दिखती है आंख की पुतली। सरल उपाय हाथों की दोनों हथेलियों को आंख पर ऐसे रखें जिससे आखों पर ज्यादा दबाब न पड़े और हल्का से आंख दबाएं। रोज दिन में चार से पांच बारी आधे-आधे मिनट तक करते रहें। आंवला आंखों के कई रोगों को दूर करता है आंवला। आंवले का ताजा रस दस ग्राम और दस ग्राम शहद को मिलाकर रोज सुबह सेवन करने से मोतियबिंद का बढ़ना रूक जाता है। खाटी भाजी खाटी भाजी के पत्तों के रस की कुछ बूंदों को आंख में सुबह और शाम डालते रहें। यह उपाय भी मोतियबिंद को ठीक करने का कारगर उपाय है। कद्दू इसके फूल का रस निकालें और और दो बार दिन में आंखों में डालते रहें। सलाद मोतियबिंद के रोगियों को अपने खाने में सलाद अधिक से अधिक करना चाहिए। ये नेत्र रोगों को दूर करता है। योग आप उपर दिए गए उपायों को अपनाने के साथ-साथ योग की कुछ क्रियाओं को भी जरूर करें। शीर्षासन, पद्मासन और आंखों के व्यायाम आदि। आंखों के लिए व्यायाम पहले एक आसान बिछा लें। अब उस पर पालथी मारकर बैठें। अब आंखों की पुतलियों को साथ-साथ दांए से बांए घुमाएं और फिर निचे से उपर की ओर देखें। इस योग को कम से कम दस बार जरूर करें। दूसरा उपाय अब आप अपनी गर्दन को स्थिर रखें और दोनों आंखों को गोलाई में घुमाएं एक बार सीधे और एक बार उल्टा।और आखिर में शीर्षासन करें। 1- मोतिया बिन्द के शुरूवाती दौर में नींबू के रस में हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर घिस लें और दिन में दो बार आंखों में अंजन करते रहने से मोतिया बिन्द का बढ़ना रूक जाता है। 2- रोगी को मोतिया बिन्द के शुरूवात में ही शहद की एक बूंद प्रतिदिन आंखों में टपकाते रहने से मोतिया बिन्द का नहीं बढ़ता है। 3- गाजर का 305 ग्राम रस और पालक का 120 ग्राम रस को मिलाकर पीते रहने से मोतिया बिन्द बनना रूक जाता है। 4- एक कप पानी में 1 चम्मच पीसा हुआ धनिया को उबाल लें और फिर इसे छान कर ठंण्डा कर लें फिर 2-2 बूंदे आंखों पर टपकाते रहने से शुरूवाती दौर के मोतिया बिन्द को बढ़ने से रोका जा सकता है। -आंवले का रस, पालक और गाजर का सेवन करने से भी इस रोग में लाभ मिलता है। -6 साबुत काली मिर्च के दाने और 6 बादाम को पीसकर सुबह मिश्री के साथ पानी में मिलाकर सेवन करें। -संतरे का जूस, दूध और घी का सेवन अधिक से अधिक करें। -पालक का जूस पीने से भी मोतियाबिंद के रोग में राहत मिलती है।। -एक ग्राम सेंधा नमक एक ग्राम गिलोय का रस और एक ग्राम शहद को आपस मे

Savlapan, धूप में सांवलापन.


धूप में अधिक देर तक काम करने के कारण त्वचा में सांवलापन आ जाता है। इससे त्वचा में पानी की कमी हो जाती है और त्वचा रूखी हो जाती है। उपचार : लाल टमाटर या अंगूर का रस चेहरे पर लगाने से चेहरे का सांवलापन कुछ ही समय में दूर हो जाता है। चमेली के 10-20 फूलों को पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की चमक बढ़ जाती है। सफेद चावलों को पानी में भिगोकर उस पानी से चेहरे को धोने से चेहरे की झांईयां और कालिमा मिटकर चेहरे का रंग साफ और सुंदर हो जाता है। 100 ग्राम खीरे के टुकड़े करके 500 मिलीलीटर पानी में उबाल लें और जब उबलते हुए पानी आधा बाकी रह जाये तो पानी को उतार लें और इस पानी से चेहरा धो लें। इस क्रिया को रोजाना करने से त्वचा का सांवलापन कम हो जाता है। लगभग 12 चम्मच बेसन, 3 चम्मच दही या दूध और थोड़ा सा पानी मिलाकर लेप सा बनाकर पहले चेहरें पर मले और फिर पूरे शरीर पर मलने के लगभग 10 मिनट बाद स्नान करें तथा स्नान में साबुन का उपयोग न करें। इस प्रकार के लेप को प्रतिदिन करते रहने से त्वचा का सांवलापन दूर हो जाता है। 5-5 ग्राम मैंसिल, लोध, दोनों हल्दी और सरसों को पीसकर पानी में मिला लें और चेहरे पर लगाएं। इसकों चेहरे पर लगाने के आधे घंटे के बाद धोने से सांवली त्वचा में लाभ होता है तेज धूप में घूमने से हाथ, पैर और चेहरे की त्वचा का रंग काला पड़ने लगता है तथा त्वचा झुलसने लगती है। इसे सनबर्न कहते हैं। इसके लिए बाहर जाने से पहले चेहरे को ठंड़े पानी से धोना चाहिए तथा ठंड़ा पानी पीकर बाहर जाना चाहिए। दिन में एक बार बर्फ का टुकड़ा चेहरे पर लगाना चाहिए। चंदन का बुरादा, बेसन, गुलाबजल एवं नींबू को मिलाकर चेहरे पर लेप करना चाहिए। दिन में 1 बार गुलाबजल में रूई को भिगोकर चेहरे को साफ करना चाहिए। सनबर्न के कारण चेहरे की त्वचा अधिक काली पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में कच्चे दूध को चेहरे पर सुबह-शाम लगाना चाहिए जब दूध सूख जाए तो उसे ठंड़े पानी से धोना चाहिए।

48 घंटे में कैंसर का सफाया... जानिए चमत्कारिक दवा


हाल ही में हुए एक शोध में यह बात साबित हुई है किअंगूर के बीजों का सत्व या अर्क ल्यूकेमिया और कैंसर के अन्य प्रकारों को बहुत ही सकारात्मक ढंग से ठीक करने में बेहद मददगार साबित होता है। शोध में यह साबित हो चुका है कि अंगूर के बीज सिर्फ 48 घंटे में हर तरह के कैंसर को 76 प्रतिशत तक विकीर्ण करने में सक्षम है। अमेरिकन एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक कैसर रिसर्च के अनुसार अगूर के बीज में पाया जाने वाला जेएनके प्रोटीन, कैंसर कोशिकाओं की विकीर्णों को नियंत्रित करने का काम करता है। तो अब अच्छी सेहत के लिए सिर्फ अंगूर का ही सेवन न करें बल्कि इसके चमत्कारिक बीजों से भी दोस्ती करें। कैंसर के इलाज के तौर पर अंगूर के बीज काफी कारगर घरेलु उपाय है।

बाँझपन सन्तान का ना होना की चिकित्सा


बाँझपन सन्तान का ना होना की चिकित्सा- सामान्यतः कामचुड़ामणि रस 1 ग्राम , पुष्पधन्वा रस 10 ग्राम ,प्रवाल पिष्टी 10 ग्राम ,कुकुटाण्डत्वक भस्म 5 ग्राम , त्रिवंग भस्म 5 ग्राम , गिलोय सत्व 10 ग्राम सितोपलादि चूर्ण 50 ग्राम , पूर्णचन्द्र रस वृहत 5 ग्राम , सबको एक मे मिलाकर खरल मेँ घुटाई करके । कम से कम 60 खुराक बना लिजिये । और 1-1 पुड़िया सुबह और शाम शहद से चाटने को दिजीये । और चन्द्रप्रभावटी 2 गोली कामदेव घृत 1 चम्मच , फलकल्याण घृत या फलघृत 1 चम्मच गाय के दुध से दिजिये । और अशोकारिष्ट , लोध्रासव , पत्रांगासव , दशमुलारिष्ट सभी मे से 10-10 मिली लिजिये पानी 40 मिली मिलाकर पियेँ । इससे युट्रेस , ओवरी , के सारे विकार दूर होकर सन्तान की प्राप्ति होती है साथ मे भुजंगासगन , कन्धरासन , धनुरासन , गर्भाशन का अभ्यास करिये । सभी दवायेँ बिना किसी वैद्य की सलाह के ना लिजिये । ये तो एक लाक्षणिक चिकित्सा मैने बताया वास्तव मे बिना डाक्टर से मिले किसी गम्भीर रोग का उपचार सम्भव नहीँ होता । फिर वही बात होती है आपकी बतायी दवा से हमेँ लाभ नहीँ हुआ । जय धनवन्तरी जय आयुर्वेद , जय शिव शम्भो ।

गठिया


गठिया, सुनने में यह रोग आज जितना सामान्य लगता है इसमें तकलीफें उतनी ही अधिक हैं । वैसे तो गठिया का उपचार आज एलोपैथ, आयुर्वेद और होम्योपैथ- चिकित्सा की तीनों विधाओं में मौजूद है । जब एलोपैथ से इसमें खास आराम नहीं मिलता तो इस दुष्ट रोग से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक पद्धति एक बेहतरीन विकल्प साबित होती है । आवश्यकता है, इस रोग के लक्षण पहचानकर, सही समय पर इसका उपचार किसी अच्छे आयुर्वेदिक विशेषज्ञ के परामर्श से करवाएं । आमवात जिसे गठिया भी कहा जाता है अत्यंत पीडादायक बीमारी है । अपक्व आहार रस याने “आम” वात के साथ संयोग करके गठिया रोग को उत्पन्न करता है । अत: इसे आमवात भी कहा जाता है। इस रोग में घुटनों व शरीर के दूसरे जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है, जिसमें यदि असावधानी बरतें तो यह आगे चलकर उंगलियों व जोड़ों में सूजन और लाल रंग का घाव उत्पन्न कर देता है । इतना ही नहीं, अनदेखी करने पर इससे हाथ-पैर टेढ़े हो जाते हैं । इस बीमारी में हाथ व पैर को हिलाना भी मुश्किल हो जाता है । यूरिक एसीड के कण(क्रिस्टल्स)घुटनों व अन्य जोड़ों में जमा हो जाते हैं । जोड़ों में दर्द के कारण रोगी का बुरा हाल रहता है । गठिया के पीछे यूरिक एसिड की प्रमुख भूमिका रहती है । इस रोग की सबसे बडी पहचान ये है कि रात को जोड़ों का दर्द बढता है और सुबह अकडन महसूस होती है । यदि शीघ्र ही उपचार कर नियंत्रण नहीं किया गया तो जोडों को स्थायी नुकसान हो सकता है । महिलाओं में एस्ट्रोजिन हार्मोन की कमी होने पर गठिया के लक्षण प्रकट होने लगते हैं । अधिक खाना और व्यायाम नहीं करने से जोडों में विकार उत्पन्न होकर गठिया जन्म लेता है । गठिया के मरीजों के लिए डाइट पर ध्यान देना बहुत जरूरी है । अधिक तेल व मिर्च वाले भोजन से परहेज रखें और डाइट में प्रोटीन की अधिकता वाली चीजें न लें । भोजन में बथुआ, मेथी, सरसों का साग, पालक, हरी सब्जियों, मूंग, मसूर, परवल, तोरई, लौकी, अंगूर, अनार, पपीता, आदि का सेवन फायदेमंद है । इसके अलावा नियमित रूप से लहसुन व अदरक आदि का सेवन भी इसके उपचार में फायदेमंद है । हर सिंगार (पारिजात) की 4-5 ताजी पत्तियां लेकर पानी के साथ पीस ले या पानी के साथ मिक्सर में चलालें । यह नुस्खा सुबह-शाम लें 3-4 सप्ताह में गठिया और वात रोग में जबरदस्त लाभ होगा । (बहुत कारगर है ये ) निशोथ, सेंधा नमक और सोंठ बराबर मात्रा में मिला कर एक ग्राम चूर्ण कांजी(एक खट्टा सा पेय) के साथ दिन में दो बार खाने के बाद लें । इससे दस्त होंगे और देह में संचित विषपदार्थ मल के द्वारा निकल जाते हैं । दस्तों से घबराने की आवश्यकता नहीं है किन्तु यदि अधिक हों तो मात्रा कम कर दें । इस चूर्ण को एक सप्ताह तक लेकर बंद कर दें । इसके बाद नीचे लिखी दवा का तीन दिन बाद सेवन कराएं । एरण्ड तेल दो चम्मच, रास्नासप्तक क्वाथ दो चम्मच मिला कर दिन में दो बार दें । इसे भी खाली पेट न लें और एक सप्ताह तक देने के बाद बंद कर दें जैसे कि ऊपर की दवा बंद की हैं । सोंठ 10 ग्राम, गोखरू 10 ग्राम मिलाकर 250 मिलीलीटर पानी में पकाएं । एक-चौथाई रह जाने के बाद छान कर प्रतिदिन दो बार आधा आधा करके पिलाएं । ये रोज ताजा बनाएं । नाश्ते के बाद ही लें यानि खाली पेट दवा नहीं लेनी है । चित्रकादि बटी एक-एक गोली दिन में तीन बार गर्म जल से लें । वातारि गुग्गुलु एक गोली, आमवातारि रस दो गोली, महायोगराज गुग्गुलु दो गोली, वातगजांकुश रस एक गोली को रास्नादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ दिन में तीन बार लें । गज केशरी रस एक गोली, अश्वगंधादि गुग्गुलु दो गोली दिन में तीन बार अदरख के रस तथा शहद को मिला कर निगल लें । विषगर्भ तेल से मालिश करवाएं और फिर ऊपर से कपड़ा लपेट दें ताकि हवा न लग पाए । गर्म जल, बाजरा, मूंग, जौ, करेला, परवल, तोरई, लहसुन, प्याज, हींग, सोंठ, गोमूत्र, मूली, एरण्ड का तेल, दूध का सेवन करें । गुड़, अधिक जागना, बासी व गरिष्ठ भोजन, मांस, मछली, मल-मूत्र के वेग को रोकना व उड़द का सेवन न करें । दवाओं का सेवन कम से कम छह मास से साल भर तक करें । सभी मित्रों से निवेदन है की कृपा इसे कॉपी पेस्ट कर लें या शेयर कर लें । सबसे अच्छा किसी डायरी में नोट कर लें, ताकि किसी अन्य की भी सहायता की जा सके । धन्यवाद् सहित ।

एक्ज़िमा और सोराइसिस को ख़त्म करने के लिए विशेष रामबाण उपाय। Eczema and Psoriasis Treatment


एक्जीमा क्या हैं। इस रोग में त्वचा शुष्क हो जाती है और बार-बार खुजली करने का मन करता है क्योंकि त्वचा की ऊपरी सतह पर नमी की कमी हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा को कोई सुरक्षा नहीं रहती, और जीवाणुओं और कोशाणुओं के लिए हमला करने और त्वचा के भीतर घुसने के लिए आसान हो जाता है। एक्जिमा के गंभीर मामलों में त्वचा के ग्रसित जगहों से में पस और रक्त का स्राव भी होने लगता है। यह रोग डर्माटाईटिस के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य रूप से यह रोग खून की खराबी के कारण होता है और चिकित्सा न कराने पर तेजी से शरीर में फैलता है। एक्जिमा के रोग से ग्रस्त रोगी अन्य विकारों के भी शिकार होते हैं। यह किसी भी उम्र के पुरुष या महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। लेकिन कुछ आयुर्वेदिक उपचारों को अपनाकर इस समस्‍या के लक्षणों को कम किया जा सकता है। आइये जाने इस रामबाण प्रयोग के बारे में। 250 ग्राम सरसों का तेल लेकर लोहे की कढ़ाही में चढ़ा कर आग पर रख दे। जब तेल खूब उबलने लगे तब इसमें ५० ग्राम नीम की कोमल कोंपल (नयी पत्तिया) डाल दे। कोपलों के काले पड़ते ही कड़ाही को तुरंत नीचे उतार ले अन्यथा तेल में आग लग कर तेल जल सकता हैं। ठंडा होने पर तेल को छान कर बोतल में भर ले। दिन में चार बार एक्ज़िमा पर लगाये, कुछ ही दिनों में एक्ज़िमा नष्ट हो जायेगा। एक वर्ष तक लगते रहेंगे तो ये रोग दोबारा नहीं होगा। सहायक प्रयोग – चार ग्राम चिरायता और चार ग्राम कुटकी लेकर शीशे या चीनी के बर्तन में 125 ग्राम पानी डालकर रात को उसमे भिगो दे और ऊपर से ढक कर रख दे। प्रात: काल रात को भिगोया हुआ चिरायता और कुटकी का पानी निथार कर कपडे से छान कर पी ले और पीने के बाद 3-4 घंटे तक कुछ नहीं खाए और उसी समय अगले दिन के लिए उसी पात्र में 125 ग्राम पानी डाले। इस प्रकार चार दिन तक वही चिरायता और कुटकी काम देंगे। तत्पश्चात उनको फेंककर नया चार चार ग्राम चिरायता और कुटकी डालकर भिगोये और चार चार दिन के बाद बदलते रहे। यह पानी लगातार दो चार सप्ताह पीने से एक्ज़िमा, फोड़े फुंसी आदि चर्म रोग नष्ट होते हैं, मुंहासे निकलना बंद होते हैं और रक्त साफ़ होता हैं। विशेष – 1. एक्ज़िमा में इस कड़वे पानी को पीने के अलावा इस पानी से एक्ज़िमा वाले स्थान को धोया करे। 2. इस प्रयोग से एक्ज़िमा और रक्तदोष के अतिरिक्त हड्डी की टी बी, अपरस(सोराइसिस) और कैंसर आदि अनेक बीमारिया दूर होती हैं। इन कठिन बीमारियो में आवश्यकतानुसार एक दो महीने तक ये पानी पीना चाहिए। छोटे बच्चो को ये दो चम्मच की मात्र में पिलाना चाहिए। बच्चो को ऊपर से थोड़ा पानी पिलाया जा सकता हैं। 3. इस प्रयोग से सोराइसिस जैसा कठिन चर्म रोग दूर होता हैं। इस प्रयोग को एक दो महीने करने से सोराइसिस जैसी लाइलाज बीमारी में आशातीत लाभ होता हैं। 4. हर प्रकार के ज्वर में विशेषकर बसे हुए ज्वर में ये प्रयोग अत्यंत लाभकारी हैं। परहेज – खटाई खासकर इमली आमचूर की खटाई, दही, अचार, भारी, तली, तेज मिर्च मसालेदार भोजन तथा नशीले पदार्थो का सेवन ना करे। नमक का सेवन भी ना करे। और अगर थोड़ा बहुत नमक खाना हो तो सिर्फ सेंधा नमक ही खाए।

ठंडाई


गर्मी की मार से हर तरफ लोग परेशान हैं। ऐसे में लोग गला तर करने के लिए ठंडी चीजों की तलाश में रहते हैं। परंपरागत ठंडाई हाई कैलोरी से भरी कोल्ड ड्रिंक्स का अच्छा विकल्प है। और भी क्यों ना? ना ही इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है और न ही कोई परेशानी। बाजारों में जिस तरह से ठंडाई की मांग बढ़ी है, इसकी दुकानें भी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। गर्मी में ठंडाई न सिर्फ गर्मी से राहत दिलाती है बल्कि बीमारियों से भी दूर रखती है। गर्मी में पेय पदार्थ आपकी शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते जिससे आप गर्मी का मुकाबला आसानी से कर सकते हैं। ठंडाई आपके शरीर में तरोताजगी व फुर्ती बनाए रखती है। इसे आप घर पर भी आसानी से बना सकते हैं। बाजार में ठंडाई का मसाला तैयार मिलता है। बस घर पर लाइए उसे दूध में मिलाइए और छानिए और ठंडाई का लुत्फ उठाइए। आईए जानें ठंडाई सेहत के लिए कितनी फायदेमंद है। #जिन लोगों को पेट में जलन की समस्या होती है उनके लिए ठंडाई काफी फायदेमंद है। सुबह सुबह खाली पेट ठंडाई का सेवन से यह समस्या दूर हो जाती है। #अगर आप मुंह के छालों व आंखों में होने वाली जलन से परेशान है तो नियमित रुप से ठंडाई का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है। #सुबह घर से बाहर निकलने के पहले एक गिलास ठंडाई पीने से आप दिन भर फिट रहते हैं। ठंडाई से दिन भर भागदौड़ करने की एनर्जी मिलती है। #कई बार लोगों को सुबह के वक्त ठंडाई का सेवन करने से जुकाम हो जाता है। ऐसी स्थिति में जुकाम ठीक न होने तक ठंडाई का सेवन न करें। ठंडाई का सेवन दिन भर में कभी भी कर सकते हैं। #नियमित रूप से पौष्टिक ठंडाई का सेवन करने से शरीर में ताजगी और शीतलता बनी रहती है। बादम, केसर पिस्ता से बनी ठंडाई आपके दिमाग के लिए फायदेमंद है। इसको पीने से दिमागी शक्ति बढ़ती है। #गर्मी के मौसम में अक्सर डिहाइड्रेशन, लू लगना, डायरिया, फूड पॉयजनिंग जैसी समस्या हो जाती है। लेकिन ठंडाई से आप इन रोगों से दूर रहते हैं। यह समस्याएं तब होती है जब आपके शरीर में पानी की कमी होती है। #ठंडाई में शामिल सौंफ, पिस्ता, काली मिर्च, गुलाब के फूल, खसखस, तरबूज के बीज और हरी इलायची जहां शरीर और दिमाग को तरोताजा रखते हैं, वहीं बादाम और केसर इसे पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाते हैं। ठंडाई बनाने की विधि। तो हम आपको घर पर ठंडाई बनाने की विधि बताने जा रहे हैं। आवश्यक सामग्री दूध – 1 लीटर पानी – 2 कटोरी चीनी – 5 कटोरी बादाम – 1 कटोरी पिस्ता – 1/ 2 कटोरी सौंफ – 1 कटोरी सफेद काली मिर्च – 3 छोटे चम्मच खसखस – 1 कटोरी खरबूजें के बीज – 1 कटोरी छोटी इलाइची – 20 ग्राम गुलाब जल – 2 चम्मच गुलाब की पंखुड़ियाँ – 1/2 कटोरी गर्मी के लिए स्पेशल ठंडाई बनाने की विधि – 1- एक बर्तन में चीनी और पानी को मिलाकर 5 -6 मिनट तक पकाकर ठंडा करें। ऐसे ठंडाई के लिए चाशनी तैयार होती है। 2- अब सौंफ, काली मिर्च, बादाम, खरबूजे के बीज, इलाइची के दाने और खस खस को साफ़ करके अलग-अलग बरतनों में रात भर के लिये भिगो कर रख दें। 3- पानी में भीगी हुई छीली बादाम, 2 चम्मच चीनी का घोल, सौंफ़, कालीमिर्च, खरबूजे के बीज, इलायची के दाने, गुलाब की पंखुड़ियाँ, गुलाब जल और खसखस को एक साथ बारीक़ पीस लें। 4- पिसे हुए मिश्रण को चीनी के घोल में मिलाकर छान लें और इसमें बर्फ़ वाला दूध मिलाकर अच्छे से मीटर कर लें। 5- इस मिश्रण में कटे हुए पिस्ता मिलाएँ और आपकी स्पेशल ठंडाई तैयार है। तो इस बार इसे बनाकर गर्मी के मौसम को आनंदमय बनाएँ।

एसिडिटी अम्लपित्त देह में गर्मी बढ़ जाना


एसिडिटी अम्लपित्त देह में गर्मी बढ़ जाना नकसीर फूटना दाने होना सिटपिटी पित्ती उछलना खाया पिया मुह में आना जी घबराना गैस का सीने तक चढ़ना आदि बिमारी के लिए एक महतत्वपूर्ण औषधि प्रबंध| इसका कोई बगल प्रभाव नहीं है और तुरंत असर करता है| 1 . अविपत्तिकर चूर्ण :- 100 ग्राम 2. मुक्ताशुक्ति :- 10 ग्राम 3 . कहरवा पिष्टी :- 05 ग्राम 4 प्रवाल पंचामृत :- 05 ग्राम इन सभी औषधियों को आपस में मिलाकर मिश्रण बना ले | इस मिश्रण में से रोजाना आधा चम्मच पानी के साथ खाए | इस चूर्ण के साथ एक एक चम्मच गुलकंद दिन में तीन बार लेवें |

चेचक Chickenpox----Chechak Badi mata


जब चेचक का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो इस रोग को ठीक होने में 10-15 दिन लग जाते हैं। लेकिन इस रोग में चेहरे पर जो दाग पड़ जाते हैं उसे ठीक होने में लगभग 5-6 महीने का समय लग जाता है। यह रोग अधिकतर बसन्त ऋतु तथा ग्रीष्मकाल में होता है। यदि इस रोग का उपचार जल्दी ही न किया जाए तो इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। चेचक का रोग 3 प्रकार का होता है- 1. रोमान्तिका या दुलारी माता 2. मसूरिका (छोटी माता या शीतला माता) 3. बड़ी माता (शीतला माता) रोमान्तिका (दुलारी माता):- जब किसी व्यक्ति को रोमान्तिका का रोग हो जाता है तो इसके दाने उसके शरीर की त्वचा के रोमकूपो पर निकलते हैं। इसलिए इस चेचक को रोमान्तिका कहते हैं। इस प्रकार के चेचक से पीड़ित रोगी की मृत्यु नहीं होती है। इस रोग में निकलने वाले दाने 2-3 दिन में ठीक हो जाते हैं। यह रोग 12 वर्श से कम आयु के बच्चों को अधिक होता है। इस रोग के दाने बहुत बारीक होते हैं। चेचक का रोमान्तिका रोग अपने आप ही ठीक हो जाता है। रोमान्तिका (दुलारी माता) के लक्षण- रोमान्तिका रोग में रोगी व्यक्ति के चेहरे पर लाल रंग के दाने निकलने लगते हैं तथा जब ये दाने निकलते हैं तो रोगी व्यक्ति को बुखार हो जाता है और बैचेनी सी होने लगती हैं। यह दाने 2-3 दिनों के बाद फफोलों का रूप ले लेते हैं तथा इसके बाद कुछ दिनों बाद ये सूख कर झड़ने लगते हैं। मसूरिका (छोटी माता या शीतला माता):- जब किसी व्यक्ति को चेचक का मसूरिका रोग हो जाता है तो उसके शरीर पर मसूर की दाल के बराबर के दाने निकलने लगते हैं। इसलिए इसे चेचक का मसूरिका रोग कहते हैं। इस चेचक को ठीक होने में कम से कम 11-12 दिनों का समय लग जाता है। कभी-कभी इस चेचक को ठीक होने में बहुत अधिक समय भी लग जाता है। इस चेचक के कारण शरीर पर घाव भी हो जाते हैं, जिससे रोगी के शरीर में कहीं-कहीं निशान भी पड़ जाते हैं। इस रोग के कारण त्वचा पर पड़े निशान कम से कम 2 महीने के बाद साफ होते हैं। यह बहुत ज्यादा संक्रामक रोग है। इस रोग के दाने कम से कम 10 दिनों में निकल आते हैं। जब यह रोग आक्रमक होता है तो रोगी के शरीर पर बहुत सारे दाने निकल आते है और इनके निकलने के 5-6 घण्टों के अन्दर ही इनमें पीब भर जाती है और दाने 1-2 दिनों में फफोलों की तरह त्वचा पर नज़र आने लग जाते हैं। यदि इस रोग का उपचार सही से किया जाए तो यह कुछ ही दिनों में ये ठीक हो जाते हैं। मसूरिका रोग के लक्षण- जब रोगी को मसूरिका चेचक हो जाता है तो उसे बुखार हो जाता है, सिर में दर्द होने लगता है, उसकी आंखें पानी से भर आती हैं और उसे जुकाम हो जाता है। रोगी को रोशनी अच्छी नहीं लगती है, खांसी हो जाती है, छींके आने लगती है। मसूरिका रोग में रोगी के शरीर पर कम से कम 2 दिनों में दाने निकलने लगते हैं। इस रोग में दाने कभी-कभी बिना बुखार आए भी निकलने लगते हैं। बड़ी माता (शीतला माता)- चेचक रोग में बड़ी माता से पीड़ित व्यक्ति को बहुत अधिक परेशानी होती है। इस चेचक के रोग को ठीक होने में कम से कम 20 से 30 दिनों का समय लग जाता है तथा इसके निशान त्वचा पर जीवन भर रहते हैं। बड़ी माता (शीतला माता) के लक्षण- बड़ी माता (शीतला माता) चेचक के दाने बड़े-बड़े फफोलों के रूप में शरीर पर निकलने लगते हैं इसलिए इसको बड़ी माता कहते हैं। जब इसके दाने फूटते हैं तो उनमे से पानी निकलने लगता है और कभी-कभी उनमें पीब तथा मवाद भी पड़ जाती है तथा बदबू भी आने लगती है। इस चेचक के कारण रोगी की आंखों में फुल्ली पड़ जाती है या रोगी बहरा हो जाता है। इस चेचक के दाग गहरे होते हैं तथा जीवन भर नहीं मिटते है। जिस व्यक्ति को चेचक के दाने निकलने को होते हैं, उस व्यक्ति की भूख मर जाती है, रोगी की जीभ का स्वाद बिगड़ जाता है, उसके शरीर में सुस्ती, कमजोरी और सिर में भारीपन होने लगता है। रोगी व्यक्ति को कब्ज रहने लगता है तथा उसकी रीढ़ की हड्डी में दर्द भी होने लगता है। चेचक रोग होने का कारण:- किसी भी तरह का चेचक रोग होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में दूषित द्रव्य का जमा हो जाना है। यह एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को भी हो जाता है। यह रोग गन्दगी के तथा गन्दे पदार्थों का सेवन करने से होता है। चेचक रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :- चेचक रोग से पीड़ित रोगी को पूरे दिन में कई बार पके नारियल का पानी के चेचक के दागों पर लगाना चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन कुछ दिनों तक उपचार करने से चेचक के दाग ठीक होने लगते हैं। रोमान्तिका चेचक को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को सफाई वाले स्थानों पर ही आराम करना चाहिए तथा उसे भोजन में दूध और फलों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। यदि रोगी व्यक्ति को कब्ज हो तो उसे एनिमा क्रिया करनी चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। मसूरिका चेचक के रोग में रोगी व्यक्ति को छाया में आराम करना चाहिए तथा यह ध्यान रखना चाहिए कि वह जहां पर आराम कर रहा है वह स्थान साफ-सुथरा तथा हवादार होना चाहिए। रोगी व्यक्ति को अपनी आंखों को गुलाब जल या फिटकरी के पानी से दिन में 2-3 बार धोना चाहिए तथा इसके बाद पलकों को आपस में चिपकने से बचाने के लिए अच्छी किस्म की बैसलीन या शुद्ध घी का काजल लगाना चाहिए। रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए और अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। पानी में नींबू के रस को मिलाकर पीने से रोगी को बहुत फायदा मिलता है। जब तक बुखार न उतर जाए तब तक रोगी को कुछ भी नहीं खाना चाहिए। जब बुखार ठीक हो जाए तब रोगी को फलों का रस पीना चाहिए। रोगी व्यक्ति को दोपहर के समय फल तथा सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इसके बाद रोगी व्यक्ति को 3-4 दिनों बाद नाश्ते में 1 गिलास दूध तथा फलों का रस पीना चाहिए फिर सामान्य भोजन करना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से मसूरिका चेचक जल्द ही ठीक हो जाता है। यदि चेचक के दाग बहुत अधिक पुराना हो गए हो तो ये बहुत मुश्किल से ठीक होते हैं। जब चेचक के दाने सूखकर झड़ने लगे तो उन पर साफ गीली मिट्टी का लेप अच्छी तरह से कुछ दिनों तक लगातार लगाने से चेचक के दाग कुछ ही दिनों में दूर हो जाते हैं तथा रोगी का चेहरा भी साफ हो जाता है। बड़ी माता के रोग को ठीक करने के लिए करेले की बेल, पत्ते तथा फल के 10 मिलीलीटर रस में 1 चम्मच शहद मिलकर रोगी व्यक्ति को दिन में 3 बार चटाने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। कच्चे करेले को काटकर पानी में उबाल लें। फिर उस पानी को गुनगुना ही दिन में कम से कम 3 बार रोगी को प्रतिदिन पिलाएं। इससे कुछ ही दिनों में बड़ी माता का रोग ठीक हो जाता हैं। पानापोटी के 3-4 पत्ते और 7 कालीमिर्च के दानों को एक साथ पीसकर पानी में मिलाकर 3 दिनों तक रोगी को पिलाने से बड़ी माता ठीक हो जाती है। रुद्राक्ष को पानी में घिसकर चेचक के रोगी के घावों पर लगाने से उसकी जलन दूर होती है और घाव भी जल्दी ठीक होते हैं। चेचक के रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों उपवास रखना चाहिए। उपवास के दौरान रोगी को पानी में नींबू का रस मिलाकर दिन में कम से कम 6 बार पीना चाहिए तथा गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि पेट साफ हो सके। रोगी व्यक्ति को सुबह तथा शाम के समय में उदरस्नान तथा मेहनस्नान करना चाहिए। चेचक के निशानों को दूर करने के लिए अंकोल का तेल, आटे और हल्दी को एक साथ मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को चेहरे पर कुछ दिनों तक लगाने से चेचक के दाग चेहरे से दूर हो जाते हैं और चेहरा साफ हो जाता है। बनफ्शा की जड़, कूट, जलाया हुआ बारहसिंगा, मुर्दासंग, अर्मनी का बुरादा तथा उशुक को 1-1 ग्राम लेकर मक्खन मिले दूध में पीसकर लेप बना लें। इस लेप को चेचक के निशानों पर कुछ दिनों तक प्रतिदिन लगाने से यह निशान कुछ दिनों में ही साफ हो जाते हैं। हाथी के दांत का चूर्ण, अर्मनी का बुरादा और पामोलिव साबुन को आपस में मिलाकर लेप तैयार कर लें। इस लेप को रात को सोते समय चेहरे पर चेचक के निशानों पर लगाएं और सुबह के समय में उठने पर चेहरे को पानी से धो डालें। इस प्रकार से प्रतिदिन चेहरे पर लेप करने से कुछ ही दिनों में चेचक के दाग समाप्त हो जाते हैं और चेहरा बिल्कुल साफ और सुन्दर बन जाता है।

शास्त्रीय संगीत के विविध *राग* और वे सुननेसे मिलनेवाले *फायदे*


1 *राग दुर्गा** – आत्मविश्वास बढानेवाला. 2 *राग यमन* – कार्यशक्ती बढानेवाला. 3 *राग देसकार* – उत्थान व संतुलन साधनेवाला 4 *राग बिलावल* – अध्यात्मिक उन्नती व संतुलन साधनेवाला. 5 *राग हंसध्वनी* – सत्य असत्य को परिभाषित करनेवाला राग. 6 राग *श्याम कल्याण* – मुलाधार उत्तेजीत करनेवाला और आत्मविश्वास बढानेवाला. 7 *राग हमीर* – आक्रमकता बढानेवाला, यश देगा व शक्ती और उर्जा निर्माण करनेवाला. 8 *राग केदार* – स्वकर्तृत्वपर पूर्ण विश्वास निर्माण भरपूर उर्जा निर्माण करनेवाला और मुलाधार उत्तेजित करनेवाला. 9 *राग भूपाली* – शांतता निर्माण संतुलन साधकर अहंकार मिटाता है. 10 *राग अहिरभैरव** – शुद्ध इच्छा प्रेम एवं भक्तीभाव निर्माण करता है व आध्यात्मिक उन्नतीस पोषक वातावरण निर्मितीकरके समाधान देगा. 11 *राग भैरवी** – इडा नाडी सशक्त करता है भावनाप्रधान राग सर्व सदिच्छा पूर्णकरके प्रेम वृध्दिंगत करेगा . 12 *राग मालकंस** – अतिशय शांत - मधुर राग प्रेमभाव निर्माण करता है व संसारिक सुख वृध्दिंगत करेगा. 13 *राग भैरव** – शांत वृत्ती व शुध्द इच्छा निर्माण करता है आध्यात्मिक प्रगतीके लिये पोषक एवं शिवतत्व जाग्रुत करनेवाला राग हौ. 14 *राग जयजयवंती** – सुख समृद्धि देनोनाला राग यश दायक है.विशुद्धीकीसभी समस्या दूर करनेकी क्षमता रखता है. 15 *राग भिमपलासी** – संसार सुख व प्रेम देता है. 16 *राग सारंग** – कल्पना शक्ती व कार्यकुशलता बढाकर नवनिर्मिती ज्ञान प्रदान करता है आत्मविश्वास बढाकर परिस्थितीका ग्यान देता है. अत्यंत मधुर राग. 17 *राग गौरी* – शुध्द ईच्छा, मर्यादाशिलता, प्रेम, समाधान, उत्थान इत्यादी गुणवर्धक राग.

मधुमेह चिकित्सा


बड़ा गोखरू (पत्ते,फल, एवं जड़ सहित ), विजय सार, चिरौंजी, साल की सारिल लकड़ी, खैर की सारिल लकड़ी, बबूल की छाल, अपामार्ग की जड़ – इन सबको अलग-अलग कूट-पिस कर छान लें और बराबर मात्रा में मिला दें। यदि आपने इन सबका चूर्ण 250 ग्राम लिया है, तो सोंठ, पीपल, कालीमिर्च, नाग केसर, दालचीनी, छोटी इलाइची, जायफल, कोहू के फूल, खीरे के बीज, लौंग, जावित्री, त्रिकुटा,अकरकरा, चीते की छाल, नागौरी असगंध – 25-25 ग्राम लेकर कूटकर छानकर उपर्युक्त चूर्ण में मिला दें। फिर इसमें असली वंशलोचन, जो प्राकृतिक बाँस से उत्पन्न होता है और नीली झाई का होता है, 200 ग्राम पीस कर मिला दें। इसे चौड़े मुह की शीशी या मर्तबान में रखकर खूब अच्छी तरह मिलाकर बंद करके रख लें। मात्रा – 10 ग्राम प्रात: – 10 ग्राम शाम (गर्म दूध ताजेजल के साथ ) लाभ – इस चूर्ण के 45 दिन तक सेवन के बाद रक्त- प्रमेह यानी मूत्र से रक्त आना, पित्त का प्रकोप, पथरी, एवं मधुमेह नष्ट हो जाता हैं। इससे पेशाब की जलन, पेशाब का रूकना, स्वप्न दोष भी दूर हो जाता हैं। यह धातु के विकार को भी नष्ट करता है। सामान्य औषधियाँ (एक सन्यासी का दिया हुआ हुआ नुस्खा ) A. अनार की कली, कत्था मिलाकर 5 ग्राम की मात्रा में (अनार कली 7; कत्था – 1 ) B. सौंफ, त्रिफला, गोखरू, हल्दी, वायविडंग-देवदारु- चूर्ण बनाकर इसमें इनके बराबर घुली भांग का चूर्ण मिला दें। 5 % कालीमिर्च का चूर्ण मिला दें। 5 ग्राम की मात्रा में सायंकाल।

संतान प्राप्ति के चमत्कारिक योग


A. चन्द्रामृत घृत – यह केवल स्त्री के गर्भाशय विकार के योग है। पुरुष इसका दूसरा पहलू है। वह दुर्बल है (पौरुष में, नपुंसक है, तो उसकी चिकित्सा अलग है। कंघी, मूलेठी, नाग केशर, कायफल, बड़ के अंकुर,खांड, नागौरी असगंध, शिवलिंग के बीज, कौंच की बड़, – 200 – 200 ग्राम। इन सबको पीसकर लुगदी बनाकर चार गुणा पानी, बराबर घी डालकर घोंटे और आग पर गर्म करके पानी लुगदी जलाकर घी मात्र शेष रहे तो ठंडा करके छानकर चाँदी भस्म 2 ग्राम। इस दवा के योग से तीन महीने में बन्ध्या भी पुत्रवती होती है ; ऐसा सभी प्राचीन आचार्यों का कथन है। मात्रा – 10 ग्राम प्रातः 10 ग्राम सांय गाय के दूध के साथ। B. फलामृत घृत – मंजीठ, मुलेठी , मीठा कूट, त्रिफला, सांड, बबरियारा की जड़ , मेदा , विदारीकन्द , असगंध , अजमोद , हल्दी , दारूहल्दी, हिंग , कुटकी , लाल कमल , कुमुदनी , दास , काकोली , गजपिपर , खिरैटी, विधारे की जड़- एक चौथाई धुली हुई भाँग – इन सब को खूब महीन पिसे (बकरी या गाय के दूध में ) प्रत्येक की मात्रा 50 ग्राम होगी , भांग की मात्रा 350 ग्राम होगी। शतावरी का 16 किलो रस , 4 किलो गाय का घी , 16 किलो गाय का दूध – इन सब को घोंट कर आग पर चढ़ा दें। जब सब जलकर घी बच जाये; तो ठंडा करके निचोड़ छानकर बोतल में बंद करने से पूर्व 10 ग्राम चाँदी का भस्म मिलाएं और हिला-मिला कर रख लें। मात्रा – इसकी मात्रा 5 ग्राम की है। 5 ग्राम प्रातः, 5 ग्राम सांय – 3 ग्राम से शुरू करें। लाभ- 108 दिन में स्त्री का कायाकल्प होता है। लिकारिया , खुनीविकोरिया, रूका हुआ मासिक , गर्भाशय विकार, योनी विकार , नेत्रविकार, रक्तविकार सभी दूर होता है।झड़ते बाल मजबूत होकर घने होते है, त्वचा कोमल चमकदार होती है, नेत्रों की ज्योति बढती है। वह इनही दिनों में या इसके बाद तीन महीनो के अन्दर बलबान संतान को धारण करती है। विशेष – यह एक ही औषधि स्त्री के सभी रोगों को दूर करती है। यह सच में अमृत है।

1 मिनट में हार्ट अटैक का ख़तरा टाले


किसी को हार्ट अटैक आता देखकर घबरा जाना स्वाभाविक है। परंतु बिना धैर्य खोए आप मरीज की जान बचाने के लिए जरूरी कदम उठा सकते हैं। क्या आप जानते हैं एक ऐसा उपाय जिसका असर एक मिनट में होता है और मरीज की जान बच सकती है। लाइफस्टाइल में बड़े पैमाने पर आ चुके बदलाव ने ह्रदय की कार्यक्षमता को प्रभावित किया है। हार्ट अटैक की घटनाओं में पिछले कुछ सालों में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है। ऐसे मौकों पर मरीज की हालत देखकर आसपास के लोग डर जाते हैं। इस घबराहट के बीच सिर्फ व्यक्ति को अस्पताल ले जाने का खयाल दिमाग में कौंधता है। परंतु मरीज की बिगड़ती हालत के चलते कुछ उपाय भी अपनाए जाना जरूरी हैं। जिससे अस्पताल पहुंचने के पहले मरीज़ की जान बचाई जा सके। अधिकतर लोग इस बात से अनजान रहते हैं हर घर में एक ऐसा पदार्थ मौजूद है जो एक मिनिट में हार्ट अटैक से मरीज़ की जान बचा सकता है। लाल मिर्च के खास गुणों के चलते इस पर कई शोध किए जा चुके हैं। शोधकर्ताओं के सामने इसके कई आश्चर्यजनक पहलू सामने आए हैं। एक प्रसिद्ध हर्बल उपायों से चिकित्सा करने वाले डॉक्टर ने माना है उनके 35 साल के लंबे करियर में उनके पास आए सभी हार्ट अटैक मरीजों की जान बचाई जा सकी। जिसमें लाल मिर्च के इस्तेमाल से बना एक घोल सबसे ज्यादा कारगर साबित हुआ। लाल मिर्च के खास गुण इसमें पाए जाने वाले स्कोवाइल ( Scoville ) की वजह से होते हैं। लाल मिर्च में कम से कम 90,000 युनिट स्कोवाइल पाया जाता है। अगर आप किसी को भी हार्ट अटैक आते देखते हैं तो एक चम्मच लाल मिर्च एक ग्लास पानी में घोलकर मरीज को दे दीजिए। एक मिनट के भीतर मरीज की हालत में सुधार आ जाएगा। इस घोल का असर सिर्फ एक अवस्था में होता है जिसमें मरीज का होश में होना आवश्यक है। ऐसे हालात जिनमें मरीज बेहोशी की हालत में हो दूसरे उपाय को अपनाया जाना बेहद जरूरी है। लाल मिर्च का ज्यूस बनाकर इसकी कुछ बूंदें मरीज की जीभ के नीचे डाल देने से उसकी हालत में तेजी से सुधार आता है। लाल मिर्च में एक शक्तिशाली उत्तेजक पाया जाता है। जिसकी वजह से इसके उपयोग से ह्रदय गति बढ़ जाती है। इसके अलावा रक्त का प्रवाह शरीर के हर हिस्से में होने लगता है। इसमें हेमोस्टेटिक (hemostatic) प्रभाव होता है जिससे खून निकलना तुरंत बंद हो जाता है। लाल मिर्च के इस प्रभाव के कारण हार्ट अटैक के दौरान मरीज़ को ठीक होने में मदद मिलती है। हार्ट अटैक से बचाव के लिए तुंरत उपयोग करने हेतु एक बेहद कारगर घोल बनाकर रखा जा सकता है। लाल मिर्च पाउडर, ताज़ी लाल मिर्च और वोदका (50 % अल्कोहल के लिए) के इस्तेमाल से यह घोल तैयार किया जाता है। कांच की बोतल में एक चौथाई हिस्सा लाल मिर्च से भर दीजिए। इस पाउडर के डूबने जितनी वोदका इसमें मिला दीजिए। अब मिक्सर में ताजी लाल मिर्च को अल्कोहल के साथ में सॉस जैसा घोल तैयार कर लीजिए। इस घोल को कांच की बोतल में बाकी बचे तीन चौथाई हिस्से में भर दीजिए। अब आपकी बोतल पूरी तरह से भर चुकी है। कांच की बोतल को कई बार हिलाइए। इस मिश्रण को एक अंधेरी जगह में दो हफ्तों के लिए छोड दीजिए। दो हफ्तों बाद इस मिश्रण को छान लीजिए। अगर आप ज्यादा असरकारक मिश्रण चाहते हैं तो इस घोल के तीन माह के लिए अंधेरी जगह पर छोड़ दीजिए। हार्ट अटैक आने के बाद होश में बने रहने वाले मरीज़ को इस मिश्रण की 5 से 10 बूंदें दी जानी चाहिए। 5 मिनट के अंतराल के बाद फिर से उतनी मात्रा में यह घोल मरीज को दिया जाना चाहिए। 5 मिनिट के अंतराल के साथ मरीज की हालत में सुधार आने तक यह प्रक्रिया दोहराई जा सकती है। अगर मरीज बेहोश है तो उसकी जीभ के नीचे इस मिश्रण की 1 से 3 बूंदे डाल दी जानी चाहिए। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाना चाहिए जब तक मरीज की हालात में सुधार न आ जाए। वैज्ञानिक शोधों से साबित हो चुका है लाल मिर्च में 26 अलग प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। कैल्शियम, ज़िंक, सेलेनियम और मैग्निशियम जैसे शक्तिशाली तत्वों से भरपूर लाल मिर्च में कई मिनरल के अलावा विटामिन सी और विटामिन ए की भी भरपूर मात्रा होती है। हर भारतीय घर में मसाले का अभिन्न हिस्सा लाल मिर्च में ह्रदय को स्वस्थ रखने के कुछ बेहद खास और विस्मयकारी गुण पाए जाते हैं। किसी भी तरह की ह्रदय संबंधी समस्या से बचने में लाल मिर्च बहुत कारगर है।

मुहाँसे एवम मुहँसो के दाग


मुहाँसे एवम मुहँसो के दाग युवा पीडी की एक आम समस्या है| हम यहा कुछ घरेलू उपाय दे रहे जो चिरकाल से हमारे घरो मे उपयोग मे लाए जा रहे है| - तुलसी के पत्तो का बारीक चूर्ण माखन मे मिला कर लगाए | - जायफल को दूध मे घिस कर चेहरे पर लेप करे | - प्रतिदिन २ बार नारियल का पानी लगाए | - जीरे को पानी मे उबाल कर उस पानी से मुख धोवे | - ज्वार के कच्चे दाने पीस कर उसमे थोड़ा कत्था व चूना मिलाकर लगाने से मुहाँसे ठीक हो जाते है | - तिल की खली को जलाकर उसकी राख मे गोमूत्र मिलाकर लगाने से कुछ दिन मे मुहाँसे ठीक हो जाते है |

भांग


भांग को सामान्यत: एक नशीला पौधा माना जाता है, जिसे लोग मस्ती के लिए उपयोग में लाते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि शिवजी को प्रिय भांग का पौधा औषधीय गुणों से भरा पड़ा है। भांग के मादा पौधों में स्थित मंजरियों से निकले राल से गांजा प्राप्त किया जाता है। भांग के पौधों में केनाबिनोल नामक रसायन पाया जाता है। भांग कफशामक एवं पित्तकोपक होता है। आज हम आपको इसके औषधीय गुणों से परिचित कराते हैं।-नींद न आने की स्थिति में इसे चिकित्सकों द्वारा औषधि के रूप में प्रयोग कराया जाता है।- पत्तियों के स्वरस का अर्क बनाकर कान में 2-3 बूँद डालना सिरदर्द के लिए अच्छी औषधि है।-मानसिक रोगों में चिकित्सक इसे 125 मिलीग्राम की मात्रा में आधी मात्रा हींग मिलाकर प्रयोग कराते हैं।-काली मिर्च के साथ भांग का चूर्ण चिकित्सकीय परामर्श में सुबह और शाम रोगी को चटाने मात्र से भूख बढ़ जाती है। चिकित्सक के परामर्श से इसे अन्य औषधियों के साथ निश्चित मात्रा में लेने से श्रेष्ठ वाजीकारक (सेक्सुअल -एक्टिविटी बढ़ाने वाला) प्रभाव प्राप्त होता है।-भांग के पत्तों के चूर्ण को घाव पर लगाने सेघाव शीघ्र ही भरने लगता है।-इसके बीजों से तेल प्राप्त कर जोड़ों के दर्द में मालिश करने से भी लाभ मिलता है।-भांग के चूर्ण से दुगुनी मात्रा में शुंठी का चूर्ण और चार गुणी मात्रा में जीरा मिलाकर देने पर कोलाईटीस या बार -बार मल त्याग करने (आंवयुक्त अतिसार) में लाभ मिलताहै। ये तो रही इसके औषधीय प्रयोग की बात, अगरइसका मात्रा से अधिक सेवन किया जाए तो यह शरीर को कमजोर एवं विचारहीन बना देता है। अत: इसका औषधि के रूप में सेवन करने से अच्छेप्रभाव और अधिक सेवन करने से दुष्प्रभाव दोनों ही मिलते हैं।

किडनी फेल हो चुकी थी जिंजर (अदरक ) मसाज से नार्मल हो गये


मदुरै के INSA प्रोफेसर साईंटिस्ट जिनकी किडनी फेल हो चुकी थी दो साल से डायलिस पर थे जिंजर (अदरक ) मसाज से नार्मल हो गये 125 gm अदरक धोकर 15 sec के लिए मिक्सी मे पीसकर , सूती कपडे की पोटली बनाकर 2-3 लीटर पानी मे उबलने दे फिर थोडी देर बाद उस पोटली को निचोडकर 20-30 मिनट धीमे आंच पर रखे, फिर इसे उतार ले और एक छोटे तौलिये को इसमें डुबो कर निचोडकर रोगी को उल्टा लिटाकर कमर के नीचे सेंक करे जब तक गर्म लगना बन्द ना हो जाए यही क्रिया करें । बचे हुए पानी के साथ दोहराये फिर अदरक के तेल से 2-3 मिनट तक मसाज दे उसके बाद थोड़ा तेल लगा दे व 2-3 मिनट लेटे रहे ; उठकर 2-3 मिनट बैठै फिर खडे हो इस इलाज के दौरान कुछ दवाईयो से खाने की चीजों का परहेज है नमक आधा करना है । बन्दगौभी ,टमाटर ,भिडीं, अडां , किडनी मे मना करने वाली चीज नही खानी है । एक चुटकी अजवायण रोज लेना है हर खाने के बाद आधे चाय चम्मच जितनी हल्दी लेनी है| सम्पर्क करे G shanMugam. 9360009019 व मेल करें shan1938@gmail for kidney stone-- कुलथी को उबाल के उसका रस घी में छोंक के पीना अच्छा है।घी की मात्रा 50 गराम हो अगर पच जाये तो।मकई के भुट्टे के बाल को उबाल के पानी भी अच्छा है।मांसाहारी अगर हो कोई तो बटेर का मांस डेढ़ माह खाने से पथर गायब हो जायेगा।यह सब घरेलू इलाज है।

एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों है ?


(1) पहली बात आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करती है, जबकि एलोपेथी की दवाएं किसी भी बीमारी को केवल कंट्रोल में रखती है| (2) दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का 85% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और केवल 15% हिस्सा में आयुर्वेदिक दवाइयां आती है, जबकि एलोपेथी का 15% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और 85% हिस्सा इलाज के लिए है (3) तीसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद की दवाएं घर में, पड़ोस में या नजदीकी जंगल में आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जबकि एलोपेथी दवाएं ऐसी है कि आप गाँव में रहते हो तो आपको कई किलोमीटर चलकर शहर आना पड़ेगा और डॉक्टर से लिखवाना पड़ेगा | (4) चौथा कारण है कि ये आयुर्वेदिक दवाएं बहुत ही सस्ती है , जबकि एलोपेथी दवाओं कि कीमत बहुत ज्यादा है| एक अनुमान के मुताबिक एक आदमी की जिंदगी की कमाई का लगभग 40% हिस्सा बीमारी और इलाज में ही खर्च होता है| (5) पांचवा कारण है कि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, जबकि एलोपेथी दवा को एक बीमारी में इस्तेमाल करो तो उसके साथ दूसरी बीमारी अपनी जड़े मजबूत करने लगती है| (6) छटा कारण है कि आयुर्वेद में सिद्धांत है कि इंसान कभी बीमार ही न हो | और इसके छोटे छोटे उपाय है जो बहुत ही आसान है | जिनका उपयोग करके स्वस्थ रहा जा सकता है | जबकि एलोपेथी के पास इसका कोई सिद्दांत नहीं है| (7) सातवा बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का इलाज लाखों वर्षो पुराना है, जबकि एलोपेथी दवाओं की खोज कुछ शताब्दियों पहले हुवा |

बड़े काम की छोटी छोटी बातें


व्यक्ति फल खाता है, परंतु यह नहीं जानता कि कैसे खायें। पका हुआ केला शहद के साथ खायें, अति स्वास्थ्यवर्धक होगा। अधपका केला नहीं खाना चाहिए।केले को दूध के साथ मिलाकर शेक न बनायें बल्कि पहले दो केले खाये फिर उपर से गर्म दूध पियें देह मांसल(पुष्ठ) होगी। -गर्भनिरोधक- मासिक धर्म से शुद्ध होने पर (पांचवें दिन से) चमेली की एक कली (चमेली का फूल, जो खिला न हो) पानी के साथ रोज लगातार तीन दिन तक निगलने से एक वर्ष तक गर्भनिरोधक का काम करेगा। -जब नींद न आये- पैर के नाखूनों पर तेल लगायें। भांग पीस कर तलुवों पर लगायें, जल्द नींद आ जायेगी। -तुलसी के एक मुट्ठी भर पत्ते तकिये के नीचे रख दें। -नेत्रज्योति- रोज नहाने से पूर्व पांव के अंगूठों में सरसों का तेल मलें, नेत्रज्योति बुढ़ापे तक कमजोर नहीं होगी। -मोतियाबिंद- रोज माथे पर असली चंदन घिस कर लगायें, मोतियाबिंद नहीं होगा। -दीर्घायु- जिस दिन बच्चा पैदा हो, उस दिन से 10 दिन तक लगातार बच्चे को असली सोने के चावल का आठवां भाग घिस कर थोड़ा सा जल मिला कर चटायें। -जब बाल अधिक झड़ते हों- तांबे की कटोरी में दही डाल कर उसमें तांबे के तीन-चार छोटे-छोटे टुकड़े डाल दें। 3-4 दिन बाद उन टुकड़ों से दही को घिसें, अब दही हरे रंग की हो जायेगी। इस दही को अच्छी तरह सिर पर मलें, आधे घंटे बाद बालों को रीठी शिकाकाई से धो लें। -घर के चूहे भगायें- घर में एक चूहे को किसी तरह पकड़ कर नीले रंग में रंग दें। इससे होगा यह कि बाकी चूहे उसे देख कर घर से बाहर भाग जायेंगे। -आंखें दुखना- यदि यह महसूस हो कि आंखों में दर्द होने वाला है या फिर दर्द आरंभ हो गया हो, तो ऐसी स्थिति में उसी समय उसी ओर के कान में रुई ठूंस लें। यदि दोनों आंखों में दर्द है, तो दोनों कानों में रुई ठूंस लें। 2-3 घंटे के लिए दर्द ठीक हो जायेगा। -हर प्रकार की खांसी दूर करें- गुदा पर दिन भर में 3-4 बार तेल चुपड़ते रहें, खांसी दूर हो जायेगी। -पसली में दर्द- हींग को गरम पानी में घोल कर दर्द वाली पसली पर लेप करें, पसली का दर्द ठीक होगा। -दाद, खाज, सिर की गंज- पका हुआ केला (केले का गूदा) नींबू के रस में पीस कर मलहम की तरह प्रभावित जगह पर लेप करें। इससे दाद, खाज, गंज में लाभ होगा। - खूनी बवासीर में भुने हुए चने गरम-गरम खाने से आराम मिलता है -जब दस्त हो रही हो- तो लौकी का रायता खायें। -पैर के तलवे में जलनहो रही हो तो लौकी को काट कर तलवे पर मलें। - हल्के दस्त में काली चाय (बिना दूध) में नींबू निचोड़ कर पियें। -हृदय रोगियों के लिए पेय-जामुन, आम, अर्जुन की छाल ले कर दरदरा कूट लें रात को एक गिलास पानी में उसे भिगो दें ,सुबह इसे छान कर एक चम्मच शहद के साथ मिला कर इसे पी जायें, यदि साथ ही मधुमेह भी हो, तो शहद न डालें, बल्कि रात में उस गिलास में मेथी के दाने भी भिगो दें। मेथी मधुमेह को नियंत्रित करता है। -जुकाम के रोगी को हर चीज गर्म ही खानी चाहिये, जैसे, खाना, चाय, कॉफी, सूप, दाल आदि। पीने का पानी गुनगुना होना चाहिये। अचार, चटनी, फ्रिज में रखी कोई चीज या ठंडी चीज न लें। -जिन बच्चों का कद धीरे-धीरे बढ़ता हो (ज्यादातर 8-10 साल की उम्र के बीच के बच्चों के लिए)- एक खजूर, चार काली किशमिश, एक कप साफ पानी में रात को भिगोयें। सुबह दूध के साथ उन्हें खाने को दें या दूध में डाल कर खाने को दें, नुस्खा कारगर है। तोतलापन-इस समस्या से जूझने वाले बच्चों को कुछ समय तक रोज एक हरा ताजा आंवला खिलायें। लाभ होगा। -आम टॉनिक (शक्ति व स्फूर्तिदायक)आम के 11 ऐसे पत्ते, जो पेड़ पर लगे- लगे ही पीले पड़ गये हों, उन्हें एक लीटर पानी में 4-5 इलायची डाल कर तब तक पकायें, जब तक पानी आधा न रह जाये। फिर उसे उतार कर इच्छानुसार दूध, चीनी डाल कर चाय की तरह पियें। ऐसा करने से कमजोरी दूर होगी। -कमजोर नजर के लिये पिसी बादाम, सौंफ और मिश्री, इन तीनों को सौ-सौ ग्राम ले करएक साथ पीस लें फिर टाइट ढक्कन वाली शीशी में बंद कर रख लें। रोज रात एक चम्मच भर कर दूध के साथ सेवन करें, इससे नेत्रदृष्टि अच्छी हो जायेगी।

सांप काटने का इससे बढ़िया उपचार कहीं नहीं मिलेगा जरूर देखें पता नहीं कब आपके काम आ जाए ।


दोस्तो सबसे पहले साँपो के बारे मे एक महत्वपूर्ण बात आप ये जान लीजिये ! कि अपने देश भारत मे 550 किस्म के साँप है ! जैसे एक cobra है ,viper है ,karit है ! ऐसी 550 किस्म की साँपो की जातियाँ हैं ! इनमे से मुश्किल से 10 साँप है जो जहरीले है सिर्फ 10 ! बाकी सब non poisonous है! इसका मतलब ये हुआ 540 साँप ऐसे है जिनके काटने से आपको कुछ नहीं होगा !! बिलकुल चिंता मत करिए ! लेकिन साँप के काटने का डर इतना है (हाय साँप ने काट लिया ) और कि कई बार आदमी heart attack से मर जाता है !जहर से नहीं मरता cardiac arrest से मर जाता है ! तो डर इतना है मन मे ! तो ये डर निकलना चाहिए ! वो डर कैसे निकलेगा ? जब आपको ये पता होगा कि 550 तरह के साँप है उनमे से सिर्फ 10 साँप जहरीले हैं ! जिनके काटने से कोई मरता है ! इनमे से जो सबसे जहरीला साँप है उसका नाम है ! russell viper ! उसके बाद है karit इसके बाद है viper और एक है cobra ! king cobra जिसको आप कहते है काला नाग !! ये 4 तो बहुत ही खतरनाक और जहरीले है इनमे से किसी ने काट लिया तो 99 % chances है कि death होगी ! लेकिन अगर आप थोड़ी होशियारी दिखाये तो आप रोगी को बचा सकते हैं होशियारी क्या दिखनी है ? आपने देखा होगा साँप जब भी काटता है तो उसके दो दाँत है जिनमे जहर है जो शरीर के मास के अंदर घुस जाते हैं ! और खून मे वो अपना जहर छोड़ देता है ! तो फिर ये जहर ऊपर की तरफ जाता है ! मान लीजिये हाथ पर साँप ने काट लिया तो फिर जहर दिल की तरफ जाएगा उसके बाद पूरे शरीर मे पहुंचेगा ! ऐसे ही अगर पैर पर काट लिया तो फिर ऊपर की और heart तक जाएगा और फिर पूरे शरीर मे पहुंचेगा ! कहीं भी काटेगा तो दिल तक जाएगा ! और पूरे मे खून मे पूरे शरीर मे उसे पहुँचने मे 3 घंटे लगेंगे ! मतलब ये है कि रोगी 3 घंटे तक तो नहीं ही मरेगा ! जब पूरे दिमाग के एक एक हिस्से मे बाकी सब जगह पर जहर पहुँच जाएगा तभी उसकी death होगी otherwise नहीं होगी ! तो 3 घंटे का time है रोगी को बचाने का और उस तीन घंटे मे अगर आप कुछ कर ले तो बहुत अच्छा है ! क्या कर सकते हैं ?? घर मे कोई पुराना इंजेक्शन (injection) हो तो उसे ले और आगे जहां सुई(needle) लगी होती है वहाँ से काटे ! सुई(needle) जिस पलास्टिक मे फिट होती है उस प्लास्टिक वाले हिस्से को काटे !! जैसे ही आप सुई के पीछे लगे पलास्टिक वाले हिस्से को काटेंगे तो वो injection एक सक्षम पाईप की तरह हो जाएगा ! बिलकुल वैसा ही जैसा होली के दिनो मे बच्चो की पिचकारी होती है ! उसके बाद आप रोगी के शरीर पर जहां साँप ने काटा है वो निशान ढूँढे ! बिलकुल आसानी से मिल जाएगा क्यूंकि जहां साँप काटता है वहाँ कुछ सूजन आ जाती है और दो निशान जिन पर हल्का खून लगा होता है आपको मिल जाएँगे ! अब आपको वो injection( जिसका सुई वाला हिस्सा आपने काट दिया है) लेना है और उन दो निशान मे से पहले एक निशान पर रख कर उसको खीचना है ! जैसी आप निशान पर injection रखेंगे वो निशान पर चिपक जाएगा तो उसमे vacuum crate हो जाएगा ! और आप खींचेगे तो खून उस injection मे भर जाएगा ! बिलकुल वैसे ही जैसे बच्चे पिचकारी से पानी भरते हैं ! तो आप इंजेक्शन से खींचते रहिए !और आप first time निकलेंगे तो देखेंगे कि उस खून का रंग हल्का blackish होगा या dark होगा तो समझ लीजिये उसमे जहर मिक्स हो गया है ! तो जब तक वो dark और blackish रंग blood निकलता रहे आप खिंचीये ! तो वो सारा निकल आएगा ! क्यूंकि साँप जो काटता है उसमे जहर ज्यादा नहीं होता है 0.5 मिलीग्राम के आस पास होता है क्यूंकि इससे ज्यादा उसके दाँतो मे रह ही नहीं सकता ! तो 0.5 ,0.6 मिलीग्राम है दो तीन बार मे आपने खीच लिया तो बाहर आ जाएगा ! और जैसे ही बाहर आएगा आप देखेंगे कि रोगी मे कुछ बदलाव आ रहा है थोड़ी consciousness (चेतना) आ जाएगी ! साँप काटने से व्यकित unconsciousness हो जाता है या semi consciousness हो जाता है और जहर को बाहर खींचने से चेतना आ जाती है ! consciousness आ गई तो वो मरेगा नहीं ! तो ये आप उसके लिए first aid (प्राथमिक सहायता) कर सकते हैं ! इसी injection को आप बीच से कट कर दीजिये बिलकुल बीच कट कर दीजिये 50% इधर 50% उधर ! तो आगे का जो छेद है उसका आकार और बढ़ जाएगा और खून और जल्दी से उसमे भरेगा ! तो ये आप रोगी के लिए first aid (प्राथमिक सहायता) के लिए ये कर सकते हैं ! ____________________________ दूसरा एक medicine आप चाहें तो हमेशा अपने घर मे रख सकते हैं बहुत सस्ती है homeopathy मे आती है ! उसका नाम है NAJA (N A J A ) ! homeopathy medicine है किसी भी homeopathy shop मे आपको मिल जाएगी ! और इसकी potency है 200 ! आप दुकान पर जाकर कहें NAJA 200 देदो ! तो दुकानदार आपको दे देगा ! ये 5 मिलीलीटर आप घर मे खरीद कर रख लीजिएगा 100 लोगो की जान इससे बच जाएगी ! और इसकी कीमत सिर्फ पाँच रुपए है ! इसकी बोतल भी आती है 100 मिलीग्राम की 70 से 80 रुपए की उससे आप कम से कम 10000 लोगो की जान बचा सकते हैं जिनको साँप ने काटा है ! और ये जो medicine है NAJA ये दुनिया के सबसे खतरनाक साँप का ही poison है जिसको कहते है क्रैक ! इस साँप का poison दुनिया मे सबसे खराब माना जाता है ! इसके बारे मे कहते है अगर इसने किसी को काटा तो उसे भगवान ही बचा सकता है ! medicine भी वहाँ काम नहीं करती उसी का ये poison है लेकिन delusion form मे है तो घबराने की कोई बात नहीं ! आयुर्वेद का सिद्धांत आप जानते है लोहा लोहे को काटता है तो जब जहर चला जाता है शरीर के अंदर तो दूसरे साँप का जहर ही काम आता है ! तो ये NAJA 200 आप घर मे रख लीजिये !अब देनी कैसे है रोगी को वो आप जान लीजिये ! 1 बूंद उसकी जीभ पर रखे और 10 मिनट बाद फिर 1 बूंद रखे और फिर 10 मिनट बाद 1 बूंद रखे !! 3 बार डाल के छोड़ दीजिये !बस इतना काफी है ! और राजीव भाई video मे बताते है कि ये दवा रोगी की जिंदगी को हमेशा हमेशा के लिए बचा लेगी ! और साँप काटने के एलोपेथी मे जो injection है वो आम अस्तप्तालों मे नहीं मिल पाते ! डाक्टर आपको कहेगा इस अस्तपाताल मे ले जाओ उसमे ले जाओ आदि आदि !! और जो ये एलोपेथी वालो के पास injection है इसकी कीमत 10 से 15 हजार रुपए है ! और अगर मिल जाएँ तो डाक्टर एक साथ 8 से -10 injection ठोक देता है ! कभी कभी 15 तक ठोक देता है मतलब लाख-डेड लाख तो आपका एक बार मे साफ !! और यहाँ सिर्फ 10 रुपए की medicine से आप उसकी जान बचा सकते हैं ! और राजीव भाई इस video मे बताते है कि injection जितना effective है मैं इस दवा(NAJA) की गारंटी लेता हूँ ये दवा एलोपेथी के injection से 100 गुना (times) ज्यादा effective है ! तो अंत आप याद रखिए घर मे किसी को साँप काटे और अगर दवा(NAJA) घर मे न हो ! फटाफट कहीं से injection लेकर first aid (प्राथमिक सहायता) के लिए आप injection वाला उपाय शुरू करे ! और अगर दवा है तो फटाफट पहले दवा पिला दे और उधर से injection वाला उपचार भी करते रहे ! दवा injection वाले उपचार से ज्यादा जरूरी है !! ________________________________ तो ये जानकारी आप हमेशा याद रखे पता नहीं कब काम आ जाए हो सकता है आपके ही जीवन मे काम आ जाए ! या पड़ोसी के जीवन मे या किसी रिश्तेदार के काम आ जाए! तो first aid के लिए injection की सुई काटने वाला तरीका और ये NAJA 200 hoeopathy दवा ! 10 – 10 मिनट बाद 1 – 1 बूंद तीन बार रोगी की जान बचा सकती है !! बहुत बहुत धन्यवाद !! ★ सौजन्य- राजीव दीक्षित जी के वीडियो सीरीज से साभार....

Tuesday 1 November 2016

आँखों की रौशनी को बढ़ायें और 15 साल जवान हो जाएँ इस चमत्कारिक औषधि से..!!


आँखों की रौशनी को बढ़ाने और उसके आस पास के तव्चा को पुनर्जीवित करने का उपचार बहुत ही आसान है इस की सारी सामग्री आप की रसोई में ही मिल जायगी और इसे बनाने की विधि बहुत ही सरल है. ये चमत्कारी औषधि निकट दृष्टि दोष (Myopia) के इलाज में बहुत लाभकारी है | इस औषधि की सबसे अच्छी बात ये है के ये बिलकुल सुरक्षित है और इसके कोई दुश्पर्भाव नहीं हैं कियोंकि ये प्रक्रितिक तत्वों से बनी है | और ये औषधि बनाने के लिए आपकी जेब पर भी ज़यादा भार नही पड़ेगा कियोंकि ये बहुत हे कम कीमत में तैयार हो जाती है | इसके रोजाना इस्तेमाल से आँखों के आस पास की तव्चा नरम और मुलायम हो जाती है | और इसके इलावा इसके इस्तेमाल से आपके बाल भी अच्छे हो जाएँगे और बालों का झड़ना कम हो जायेगा इसे एक बार ज़रूर इस्तेमाल करें कियोंकि इस में आपका कुछ खर्च नही होगा बल्कि बेशकीमती सेहत से जुड़े फायदे होंगे | त्यार करने की सामग्री : लहसुन की 3 कलियाँ (3 cloves garlic) 10 चमच शुद्ध शहद (organic honey) 200 ग्राम अलसी का तेल ( linseed oil) 4 नीम्बू बनाने की विधि: सबसे पहले लहसुन को छील कर काटें और पीस लें | इसके बाद नीम्बू को छील कर काट लें और उसे कांच के बर्तन में रखें और उसमे लहसुन , शहद और अलसी का तेल डाल दें | सभी चीज़ों को अच्छे से किसी लकड़ी के चमच से मिला लें | आप की औषधि तयार है | इस मिश्रण को जमाये नही | एक चमच खाना खाने से पहले दिन में 3 बार लें | इसे त्वचा पर नही लगाए| ये चमत्कारी मिश्रण आपकी नज़र को बढ़ाएगा साथ ही साथ आपके चेहरे को चमकदार बना कर आपको जवान दिखने में मदद करेगा | इसके नतीजे देख कर आप दंग रह जायेंगे |

★★★ जल जाने पर नीम का मरहम ★★★


★ सामग्री नीम का तेल एक किलो... राल बारीक पिसी हुई एक पाव... गंधविरोजा एक छटांक.. ● म्रऱहम बनाने की विधि सबसे पहले नीम के तेल को एक कढ़ाही में डालकर खौलने के लिये आगपर चढ़ा दें जब तेल खूब गरम हो जाये तब उसमे राल व गंधविरोजा डालकर चलाये जब तीनो चीज मिलकर एक दिल हो जांये तब उतारकर किसी मिट्टी के बड़े बर्तन (नांद )में जिसमें चालिस लीटर पानी भरा हो डाल दें ( यह अन्य तेलों की तरह छिटकेगा नहीं ) व चार पांच घण्टे बाद किसी मोटे कपड़े से छान कर एक बड़ी परात में रख कर एक एक लीटर पानी डालकर चालीस पचास बार फेंटकर धुल जाये तब एक जार या मिट्टी के बर्तन मे रख लें यह बहोत ही ठंडा व चिकना मरहम बनकर तैयार हो जायेगा !! ■ नोट.... यह मरहम अस्सी पर्सेंट जले हुये रोगी को भी लगाने पर तुरन्त ठंडक व आराम देता है !! पन्द्रह से बीस दिन मरहम लगाने पर रोगी को पूर्ण रूप से ठीक कर त्वचा को प्राकृतिक रंग देता है !! .....इस विधि से तैयार करने पर इतनी ही सामग्री में चार पांच किलो मरहम तैयार हो जाता है !!...