Wednesday 2 November 2016

आखें


आखें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है और इनकी देख रेख करनी बेहद जरूरी है। आंखों की सेहत भी उतनी ही जरूरी है जितनी शरीर की सेहत की। मोतिया बिन्द आंखों के लिए एक खतरनाक रोग है। समय रहते इलाज न होने से आंखे जा भी सकती है। आइये जानते हैं मोतिया बिन्द के बारे में। जब आंखों की पुतलियों पर नीले रंग का पानी से जमा होने लगता है। और धीरे-धीरे आखों की पुतलियों को ढ़कने लगता है। इससे व्यक्ति की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है। और बाद में पूरी तरह से आंखों की रोशनी चली जाती है। 40 साल की उम्र के बाद मोतिया बिन्द के लक्षण अधिक होते हैं। समय रहते इलाज हो जाने से यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। और आपकी आंखे बची रह सकती है। मोतियाबिंद के कारण मोतियाबिंद के मुख्य कारण हैं। डायबिटीज होना, आंख पर चोट लगना, आंखों पर घाव बनना, गर्मी का कुप्रभाव, धूम्र दृष्टि होने से आदि मोतियाबिंद के प्रमुख कारण है। इससे देखने की क्षमता खत्म हो जाती है। और इंसान अंधा हो सकता है। *लंबे समय तक आंखों में सूजन का बने रहना। *जन्म से ही आंखों में सूजन का रहना। *कनीका में जख्म हो जाना। *आखों के परदे का किसी वजह से अलग हो जाना। *अधिक तेज रोशनी में काम करना। *गठिया का होना। *गुर्दे की समस्या या जलन होना। *खूनी बवासीर का होना। मोतियाबिंद के लक्षण 1. धीरे-धीरे आंखों की नजरों का कम होना। 2. तेज रोशनी के चारों तरफ रंगीन घेरा दिखना। 3.मोतियाबिंद में इंसान को हर चीज काली, पीली, लाल और हरी नजर आने लगती हैं। मोतियाबिंद के लिए आयुवेर्दिक हेल्थ टिप्स (Ayurvedic Health Tips) जो मोतिया बिन्द को शुरू में ही रोक सकती है। मोतियाबिंद पांच प्रकार का होता है जिसमें आंखों की स्थिति अलग-अलग प्रकार की होती है। -वातज मोतियाबिंद -पित्तज मोतियाबिंद -कफज मोतियाबिंद -सन्निपात मोतियाबिंद -परिम्लामिन मोतियाबिंद यह भी पढ़े:सेब की चाय और सारी बीमारियों से निजात वातज मोतियाबिंद में आंख कठोर और चंचल होने के साथ आखों की पुतली लाल रहती है। पित्तज मोतियाबिंद में कांसे बर्तन की तरह पीलापन होता है आखों में। कफज मोतियाबिंद में आंख की पुतली शंख की तरह सफेद, चिकनी और चंचल होती है। सन्निपात में आंख की पुतली लाल और सफेद दोनों का आवरण लिए हुए होती है। परिम्लामिन मोतियाबिंद में भद्दे रंग, मैली, रूखी और कांच की तरह दिखती है आंख की पुतली। सरल उपाय हाथों की दोनों हथेलियों को आंख पर ऐसे रखें जिससे आखों पर ज्यादा दबाब न पड़े और हल्का से आंख दबाएं। रोज दिन में चार से पांच बारी आधे-आधे मिनट तक करते रहें। आंवला आंखों के कई रोगों को दूर करता है आंवला। आंवले का ताजा रस दस ग्राम और दस ग्राम शहद को मिलाकर रोज सुबह सेवन करने से मोतियबिंद का बढ़ना रूक जाता है। खाटी भाजी खाटी भाजी के पत्तों के रस की कुछ बूंदों को आंख में सुबह और शाम डालते रहें। यह उपाय भी मोतियबिंद को ठीक करने का कारगर उपाय है। कद्दू इसके फूल का रस निकालें और और दो बार दिन में आंखों में डालते रहें। सलाद मोतियबिंद के रोगियों को अपने खाने में सलाद अधिक से अधिक करना चाहिए। ये नेत्र रोगों को दूर करता है। योग आप उपर दिए गए उपायों को अपनाने के साथ-साथ योग की कुछ क्रियाओं को भी जरूर करें। शीर्षासन, पद्मासन और आंखों के व्यायाम आदि। आंखों के लिए व्यायाम पहले एक आसान बिछा लें। अब उस पर पालथी मारकर बैठें। अब आंखों की पुतलियों को साथ-साथ दांए से बांए घुमाएं और फिर निचे से उपर की ओर देखें। इस योग को कम से कम दस बार जरूर करें। दूसरा उपाय अब आप अपनी गर्दन को स्थिर रखें और दोनों आंखों को गोलाई में घुमाएं एक बार सीधे और एक बार उल्टा।और आखिर में शीर्षासन करें। 1- मोतिया बिन्द के शुरूवाती दौर में नींबू के रस में हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर घिस लें और दिन में दो बार आंखों में अंजन करते रहने से मोतिया बिन्द का बढ़ना रूक जाता है। 2- रोगी को मोतिया बिन्द के शुरूवात में ही शहद की एक बूंद प्रतिदिन आंखों में टपकाते रहने से मोतिया बिन्द का नहीं बढ़ता है। 3- गाजर का 305 ग्राम रस और पालक का 120 ग्राम रस को मिलाकर पीते रहने से मोतिया बिन्द बनना रूक जाता है। 4- एक कप पानी में 1 चम्मच पीसा हुआ धनिया को उबाल लें और फिर इसे छान कर ठंण्डा कर लें फिर 2-2 बूंदे आंखों पर टपकाते रहने से शुरूवाती दौर के मोतिया बिन्द को बढ़ने से रोका जा सकता है। -आंवले का रस, पालक और गाजर का सेवन करने से भी इस रोग में लाभ मिलता है। -6 साबुत काली मिर्च के दाने और 6 बादाम को पीसकर सुबह मिश्री के साथ पानी में मिलाकर सेवन करें। -संतरे का जूस, दूध और घी का सेवन अधिक से अधिक करें। -पालक का जूस पीने से भी मोतियाबिंद के रोग में राहत मिलती है।। -एक ग्राम सेंधा नमक एक ग्राम गिलोय का रस और एक ग्राम शहद को आपस मे

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