Tuesday 1 November 2016

देखिये ना एलोपैथी की वायरल फीवर के लिए दीजाने वाली चिकित्सा कितनी ज्यादा दोषपूर्ण है:---


एलोपैथी चिकित्सक वायरल फीवर के लिए यह प्रिस्क्रिप्शन अमूमन लिखते हैं- 1. एंटीबीओटिक्स 2. पेरासिटामोल 3. एंटासिड 4. एंटी एलर्जिक अब आप इनके प्रभाव पर गौर करें- 1. एंटीबीओटिक्स असल में बैक्टरिया नष्ट करती हैं वायरस को नष्ट करने में उनका कोई योगदान है ही नहीं । 2.पेरासिटामोल शारीर का तापमान कम करती है, जबकि यह सिद्ध हो चूका है कि शरीर का तापमान एक डिग्री बढ़ने से वायरस की ग्रोथ 97% कम हो जाती है, अर्थात पेरासिटामोल से वायरस की ग्रोथ और ज्यादा बढ़ेगी। 3. हमारे पेट में मौजूद एसिड (HCL) पाचन के साथ साथ बैक्टीरिया ,वायरस और फंगस को भी नष्ट करता है।जब हम इसे एंटासिड से न्यूट्रल करते है तो इससे हमारे शरीर में वायरस का दमन व नाश रुक जाता है और हमारी मुसीबते और अधिक बढ़ जाती हैं। 4. एंटी एलर्जीक दवाई हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को प्रत्यक्ष रूप से ही कम कर देती है तो वायरस को बढ़ने का और अधिक मौका मिलता है, और हम और ज्यादा बीमार होते जाते हैं.... अब आप ही बताएं यह इलाज़ हो रहा है या कुछ और???जबकि सबसे ज्यादा वायरल फीवर के मरीज एलॉपथी डॉ के पास ही अपने इलाज़ के लिए पहुँचते हैं... बेचारे, अभागे, निर्दोष, निरीह और मासूम लोग। ~डॉ मोहम्मद रोशन मेडिकल ऑफिसर आयुष चिकित्सा विभाग राजस्थान सरकार मोबाईल नम्बर 9352547335- 9887692139

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