Tuesday 20 October 2015

भयंकर डिस्क स्लिप और कमर दर्द का उपचार :-


भयंकर डिस्क स्लिप और कमर दर्द का उपचार :- सब से पहले आप ग्वार पाठा (एलोवेरा) लीजिये इसको पहले शोध ले। शोध की विधि नीचे बताई गयी हैं। इसका छिलका उतार ले और गुद्दा को कुचल कर बारीक कर ले अब इस में अंदाज़ से आटा मिलाकर इसको देसी घी में भून कर खांड मिला कर हलवा बना ले और 20-20 ग्राम के लड्डू बना ले। ज़रूरत अनुसार तीन से चार हफ्ते तक सुबह खाली पेट खाए। इस से भयंकर से भयंकर कमर दर्द और स्लिप डिस्क में आराम मिलता हैं। ग्वार पाठे के गुणों के कारण ही इस की सब्जी अक्सर गाँवों में बनायीं जाती हैं। ग्वार पाठे के लिए ज़रूरी हैं के इसको ऐसी जगह से लिया जाए जहाँ पर सफाई हो और प्रदुषण से मुक्त स्थान हो । क्योंकि इसमें एक गुण होता हैं के ये अपने आस पास की सारी गंदगी को खींच लेता हैं जो इस में समाई रहती हैं। जैसे माहोल से इसको लिया जाएगा वैसा ही ये शुद्ध और अशुद्ध होगा। ग्वार पाठा का शोधन करने का उपाय :- एक पात्र में गोबर के कण्डे (छाण जो अक्सर गाँवों में गोबर को सुखाकर चूल्हे में जलाने के लिए बनाये जाते हैं) की राख बिछा ले। उस पर ग्वार पाठे को रख दे और इसके ऊपर भी राख बिछा दे। 4 से 6 घंटे रखने के बाद पानी से धो ले, इस प्रकार ग्वार पाठे का शोधन हो जाता हैं। ग्वार पाठा काफी गर्म होता हैं जिन लोगो को अधिक गर्मी की समस्या हो वह ये प्रयोग न करे। योग चिकित्सा- जिन लोगों को स्लिप डिस्क या साइटिका की तकलीफ है, वे भुजंगासन से लाभ उठा सकते हैं। लेकिन सावधानी के साथ। संस्कृत में भुजंग का अर्थ है सांप और यह आसन ऐसा है जैसे सांप ने फन उठाया हो। आसन की विधि :- पेट के बल लेट जाएं और हाथों को जमीन पर कंधों के नीचे रखें। अब श्वास लेते हुए नाभि को जमीन पर ही रखते हुए छाती और सिर को ऊपर उठाएं और पीठ को कमान की तरह मोड़ें। पूरे शरीर को उतना खींचे जितना संभव हो। फिर धीरे-धीरे श्वास अंदर लें और छोड़ते हुए सिर को नीचे लाएं। लाभ :- पीठ की, उदर की और शरीर के ऊपरी भाग की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह आसन रीढ़-तंत्रिका में हुए विस्थापन को ठीक करता है और सिम्पैथेटिक नाड़ियों को बल प्रदान करता है। किसी भी कारण से पीठ दर्द में इस आसन से काफी लाभ होता है। सावधानी :- अगर आप पेप्टिक अल्सर, हर्निया या हाइपरथायरॉयड से पीड़ित हों, तो यह आसन न करें। ध्यान रखें कि जब शरीर को पीछे की तरफ मोड़ते हैं, तो जोर का झटका न लगे, क्योंकि इससे मांसपेशियों को सख्त चोट आ सकती है।

मोटापा है क्या.. ये है जादुई फार्मूला......! * यह सच है कि मोटापा कम करने का ऐसा कोई जादुई फॉर्मूला अभी तक नहीं बना है लेकिन अगर रोजमर्रा की जिंदगी में थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इसे जरूर कम किया जा सकता है * आज कल लोग मोटापा कम करने के लिये ना जाने कौन कौन से हथकंडे अपनाते हैं, तो ऐसे में अगर आप इस आसान से घरेलू नुस्‍खे अपना लेगें तो इसमें कोई बुरार्इ नहीं है। * मैं अक्सर ब्लॉग पर देखता हूं कि तरह तरह के उपाय लोग अक्सर एक दूसरे से बांटते हैं। उनमें सबसे ज्यादा मोटापा कम करने के उपाय है। ये अजीब सी बात है। * आज से 15-20 साल पहले लोग पूछा करते थे कि हम मोटे कैसे हो सकते हैं...?जबकि आज लोग पूछते हैं कि हम पतले कैसे हो सकते हैं....? अब में और तब में बेशक बहुत अंतर आ गया है। हमारा रहन सहन पूरी तरह से बदल गया है। हमारी खाने पीने की आदत बदल गयी है। औऱ बदल गयी है जीवनशैली। हालांकि बाजार में इन दिनों मोटापा कम करने के हजारों दवा मौजूद हैं। इनमें से आधी से ज्यादा सिर्फ खट्टे मीठे चूर्ण हैं। जिन्हें खाने के बाद पता चलता है कि हम ठगे गए। खैर ये तो बाजार की बात है। जिसकी ज्यादा डिमांड होती है वो बाजार में बेचा जाता है। मोटापा कम करने के लिए हम अक्सर दवाओं की ओर भागते हैं। लेकिन, कभी अपनी दिनचर्या को ठीक करने की बात नहीं सोचते। * एक समय था जब लोग सुबह पार्कों में जाकर व्ययाम किया करते थे। लोगों का खानपान बेहद संतुलित था। लेकिन, आज चाइनिंग फास्ट फूड और साँस ने ना सिर्फ बच्चों की बल्कि बड़ों के भी पेट खराब किए हुए हैं। इसमें बाजार में मिलने वाला लाल साँस जो असल में सड़े कद्दू का होता है औऱ सोया साँस जो काले रंग का होता है और चाउमीन में डला होता है। सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। लेकिन, हम इन्हें लगातार खा रहे हैं औऱ पेट की बैंड बजा रहे हैं। बस जिह्वा का टेस्ट नहीं बिगडना चाहिए भले पेट बिगड जाए बीमारियाँ लग जाए . * गलत ढंग से आहार-विहार यानी खान-पान, रहन-सहन से जब शरीर पर चर्बी चढ़ती है तो पेट बाहर निकल आता है, कमर मोटी हो जाती है और कूल्हे भारी हो जाते हैं। इसी अनुपात से हाथ-पैर और गर्दन पर भी मोटापा आने लगता है। जबड़ों के नीचे गरदन मोटी होना और तोंद बढ़ना मोटापे के मोटे लक्षण हैं। * मोटापे से जहाँ शरीर भद्दा और बेडौल दिखाई देता है, वहीं स्वास्थ्य से सम्बंधित कुछ व्याधियाँ पैदा हो जाती हैं, लिहाजा मोटापा किसी भी सूरत में अच्छा नहीं होता। बहुत कम स्त्रियाँ मोटापे का शिकार होने से बच पाती हैं। हर समय कुछ न कुछ खाने की शौकीन, मिठाइयाँ, तले पदार्थों का अधिक सेवन करने वाली और शारीरिक परिश्रम न करने वाली स्त्रियों के शरीर पर मोटापा आ जाता है। पहले तो स्त्रियां घर में कपडे इत्यादि धो लेती थी उनकी एक्सार्साइज हो जाती थी इसलिए मोटापा नहीं होता था ...जबसे वाशिंग मशीन आई है एक मुसीबत साथ लाई है मोटापा ....कपडे मशीन में डाले और सोफे पे रक्खा रिमोट टी वी का हाथ में लिया सीरियल नहीं छूटे बस मोटापा फिर किसको आएगा ....? * शरीर पर अधिक चर्बी बढ़ने से पेट बाहर निकल आता है और हाथ-पैर, गर्दन, कमर इत्यादि जगहों पर भी चर्बी जमा हो जाती है। जिससे शरीर बेड़ौल होने लगता हैं बहुत कम लोग ऐसे हैं जो वसा से दूर रह पाते हैं। यानी लोग मिठाईयों, तले पदार्थों और स्‍नैक्स इत्यादि को आसानी से नहीं छोड़ पाते।पहले सुबह चबा- चबा लोग चने का सेवन करते थे मुंह व्यायाम होता था और सेहत भी ठीक हो जाती थी अब नींद खुली तो बेड पे चाय और मेगी का सेवन होता है जबकि मैदा और आरारोट सिर्फ कब्ज ही बना सकता है । * भोजन के अन्त में पानी पीना उचित नहीं, बल्कि एक-डेढ़ घण्टे बाद ही पानी पीना चाहिए। इससे पेट और कमर पर मोटापा नहीं चढ़ता, बल्कि मोटापा हो भी तो कम हो जाता है। * आहार भूख से थोडा कम ही लेना चाहिए। इससे पाचन भी ठीक होता है और पेट बड़ा नहीं होता। पेट में गैस नहीं बने इसका खयाल रखना चाहिए। गैस के तनाव से तनकर पेट बड़ा होने लगता है। दोनो समय शौच के लिए अवश्य जाना चाहिए। * मैं आपको कुछ ऐसे उपाय बताता हूं जो मोटापा कम करने में सहायत सिद्ध हो सकते हैं। और आपकी सेहत भी ठीक कर सकते हैं। * पहला उपाय ये है कि आपको आलस छोड़ना पड़ेगा और समय से विस्तर से उठ जाए । * सुबह जल्दी उठने की आदात डाले औऱ सैर पर निकले। * कम से कम एक घंटा सैर करें और हल्का व्ययाम करें। हो सके तो तेज तेज चले। * सुबह उठकर गर्म पानी पीये कम से कम दो गिलास।और पेट साफ होने के बाद एक घंटा कुछ ना खाए। * नीबूं पानी पीये अपनी सेहत हिसाब से। नमकीन या मीठा। और इसमें शहद मिलाया जाए तो मोटापा तेजी से कम होता है। इसके अलावा नमक कम खाये। * पत्ता गोभी खाये खूब बढ़िया उबालकर। * तुलसी के पत्तो का रस 10 बूंद और दो चम्मच शहद एक ग्लास पानी मे मिलाकर कुछ दिन पीने से मोटापा कम होता है तली -भुनी व मैदे से बनी चीजे न खाये। ताजी सब्जियां व ताजे फल लें। खाने के बाद एक कप तेज गरम पानी घूंट लेकर पीए। मोटापा कम होगा। * अनामिका अंगुली के टौप भाग पर अंगूठे से दबाकर कम से कम 5 मिनट तक एक्यूप्रेशर करे। दिन में दो या तीन बार ऐसा कर सकते हैं। शरीर का वेट सन्तुलित रहेगा। इसके अलावा अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो इसे पीना छोड़े। अगर नहीं छोड़ सकते तो कम कर दें। और साथ ही इसके साथ तली भुनी चीजे खाना बंद करें। इसकी जगह सलाद खाए। और अगर आप मांसाहारी है तो आप। रोस्टेड चिकन खाये। वो भी एक या दो पीस और हां...इस दिन एक घंटा ज्यादा व्यायाम करना ना भूले। * खाना खाते समय कभी पानी न पीएं। खाने के कम से कम 10-15 मिनट बाद गुनगुना पानी पीएं। बादी या वात पैदा करने वाले पदार्थ जैसे चावल, अरबी, मीट आदि का सेवन कम ही करें और रात को तो बिल्कुल न खाएं। खाने के बाद टीवी नहीं देखें और न तत्काल सोएं बल्कि कुछ देर टहलें। * हफ्ते में एक बार गर्म पानी से पेट पर सेक करें। ऎसा करने से पसीना अधिक आएगा और चर्बी कम होगी। पेट की स्किन में कसाव आता है। * खाने में प्रोटीन की मात्रा बढाएं। ये पचने में ज्यादा समय लेते हैं और पेट देर तक भरा रहता है। अंडे का सफे द भाग, फैट फ्री दूध व दही, ग्रिल्ड फिश और सब्जियां आपको स्लिम व फिट बनाएंगी। * दोपहर और रात के बीच में भूख लगने पर तले स्नेक्स खाने के बजाय ग्रीन या ब्लैक टी पिएं। इसमें थायनाइन नामक अमीनो एसिड होता है जो मस्तिष्क में रिलैक्सग केमिकल्स का स्त्राव करता है और आपकी भूख पर कंट्रोल करता है।तथा गर्भावस्था के समय पेट पर तेल से धीरे-धीरे मालिश करते रहना चाहिए,प्रसव बाद हल्के दबाव के साथ पेट को बांध कर रखें। ऎसा करने पेट ज्यादा उभरेगा नहीं। * भोजन में गेहूं के आटे की चपाती लेना बन्द करके जौ-चने के आटे की चपाती लेना शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो चना व 2 किलो जौ। इन्हें मिलाकर पिसवा लें और इसी आटे की चपाती खाएं। इससे सिर्फ पेट और कमर ही नहीं सारे शरीर का मोटापा कम हो जाएगा। * पेट व कमर का आकार कम करने के लिए सुबह उठने के बाद या रात को सोने से पहले नाभि के ऊपर के उदर भाग को 'बफारे की भाप' से सेंक करना चाहिए। इस हेतु एक तपेली पानी में एक मुट्ठी अजवायन और एक चम्मच नमक डालकर उबलने रख दें। जब भाप उठने लगे, तब इस पर जाली या आटा छानने की छन्नी रख दें। दो छोटे नैपकिन या कपड़े ठण्डे पानी में गीले कर निचोड़ लें और तह करके एक-एक कर जाली पर रख गरम करें और पेट पर रखकर सेंकें। प्रतिदिन 10 मिनट सेंक करना पर्याप्त है। कुछ दिनो में पेट का आकार घटने लगेगा। * अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो लहसुन की दो कलियां भून लें उसमें सफेद जीरा व सौंफ सैंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन सुबह खाली पेट गर्म पानी से करें। लहसुन की चटनी खाना चाहिए और लहसुन को कुचलकर पानी का घोल बनाकर पीना चाहिए। लहसुन की पांच-छ: कलियां पीसकर पानी में भिगो दें। सुबह पीस लें। और उसमें भुनी हींग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण रोज फांकना चाहिए. एक और जादुई फार्मूला भी अपनाये :- ---------------------------------------- * इस चाय को अगर आप नियमित पीयेगे तो आप देखते ही देखते पतली हो जायेगे । चलो आपको बता ही देते है कि कैसे बनाई जाती है ये हनी एंड सिनामन चाय। सामग्री:- -------- 2 चम्‍मच शहद 1 चम्‍मच दालचीनी 1 कप या 237 एम एल पानी व‍िधि- ------- 1 कप पानी में 1 भाग दालचीनी और 1 चम्‍मच शहद मिला कर खौला लें। अब एक कप में दूसरा भाग दालचीनी डाल कर उसके ऊपर से खौलाया हुआ पानी उडे़लें। फिर इसे ढंक दें और पीने लायक ठंडा होने दें। जब पानी ठंडा हो जाए तब उसमें शहद मिला कर मिक्‍स करें। रात को सोने से पहले आधा कप चाय पियें और आधी कप चाय को ठंडा हो जाने के बाद फ्रिज में रख दें। फिर बची हुई चाय को दूसरे दिन बिना गरम किये हुए पियें। * कुछ और भी है प्रयोग .....! * केवल सेवफल का ही आहार में सेवन करने से लाभ होता है। अरनी के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस दिन में तीन बार पीने से स्थूलता दूर होती है। * चंद्रप्रभावटी की 2-2 गोलियाँ रोज दो बार गोमूत्र के साथ लेने से एवं दूध-भात का भोजन करने से 'डनलप' जैसा शरीर भी घटकर छरहरा हो जायेगा। * आरोग्यवर्धिनीवटी की 3-3 गोली दो बार लेने से व 2 से 5 ग्राम त्रिफला का रात में सेवन करने से भी मोटापा कम होता है। इस दौरान केवल मूँग, खाखरे, परमल का ही आहार लें। साथ में हल्का सा व्यायाम व योगासन करना चाहिए। * एक गिलास कुनकुने पानी में आधे नींबू का रस, दस बूँद अदरक का रस एवं दस ग्राम शहद मिलाकर रोज सुबह नियमित रूप से पीने से मोटापे का नियंत्रण करना सहज हो जाता है। मोटापा घटाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय :- <<<<<<<<<<<<<<>>>>>>>>>>>>>>> * गेहूं ,चावल,बाजरा और साबुत मूंग को समान मात्रा में लेकर सेककर इसका दलिया बना लें ! इस दलिये में अजवायन २० ग्राम तथा सफ़ेद तिल ५० ग्राम भी मिला दें ! ५० ग्राम दलिये को ४०० मि.ली.पानी में पकाएं ! स्वादानुसार सब्जियां और हल्का नमक मिला लें ! नियमित रूप से एक महीनें तक इस दलिये के सेवन से मोटापा और मधुमेह में आश्चर्यजनक लाभ होता है. * अश्वगंधा के एक पत्ते को हाथ से मसलकर गोली बनाकर प्रतिदिन सुबह,दोपहर,शाम को भोजन से एक घंटा पहले या खाली पेट जल के साथ निगल लें ! एक सप्ताह के नियमित सेवन के साथ फल,सब्जियों,दूध,छाछ और जूस पर रहते हुए कई किलो वजन कम किया जा सकता है ! * मूली के रस में थोडा नमक और निम्बू का रस मिलाकर नियमित रूप से पीने से मोटापा कम हो जाता है और शरीर सुडौल हो जाता है . * आहार में गेहूं के आटे और मैदा से बने सभी व्यंजनों का सेवन एक माह तक बिलकुल बंद रखें तथा इसमें रोटी भी शामिल है अब अपना पेट पहले के ४-६ दिन तक केवल दाल,सब्जियां और मौसमी फल खाकर ही भरें और दालों में आप सिर्फ छिलके वाली मूंग कि दाल ,अरहर या मसूर कि दाल ही ले सकतें हैं चनें या उडद कि दाल नहीं तथा सब्जियों में जो इच्छा करें वही ले सकते हैं गाजर,मूली,ककड़ी,पालक,पतागोभी,पके टमाटर और हरी मिर्च लेकर सलाद बना लें . सलाद पर मनचाही मात्रा में कालीमिर्च,सैंधा नमक,जीरा बुरककर और निम्बू निचोड़ कर खाएं बस गेहूं कि बनी रोटी छोडकर दाल,सब्जी,सलाद और एक गिलास छाछ का भोजन करते हुए घूंट घूंट करके पीते हुए पेट भरना चाहिए . इसमें मात्रा ज्यादा भी हो जाए तो चिंता कि कोई बात नहीं . इस प्रकार ६-७ दिन तक खाते रहें . इसके बाद गेहूं कि बनी रोटी कि जगह चना और जौ के बने आटे कि रोटी खाना शुरू करें फिर ५ किलो देशी चना और एक किलो जौ को मिलकर साफ़ करके पिसवा लें ! ६-७ दिन तक इस आटे से बनी रोटी आधी मात्रा में और आधी मात्रा में दाल,सब्जी,सलाद और छाछ लेना शुरू करें .एक महीने बाद गेहूं कि रोटी खाना शुरू कर सकते हैं लेकिन शुरुआत एक रोटी से करते हुए धीरे धीरे बढाते जाएँ . भादों के महीने में छाछ का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिए इस महीनें में छाछ का प्रयोग नां करें ... * एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर उसको छानकर एक एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार नियमित सेवन करने से मोटापा दूर होता है .. * चित्रक कि जड़ का चूर्ण एक ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह शाम नियमित रूप से सेवन करने और खानपान का परहेज करनें से भी मोटापा दूर किया जा सकता है . * बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है। * सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है। * अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है। * भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है। * 120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है। * विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है। वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है। * तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है। तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।तथा तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है। * रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें। त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है। * हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है। * सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है। * सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है। * गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है। * गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है। * गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है। * गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है। * तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है। * दही को खाने से मोटापा कम होता है।तथा छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। * आलू को उबालकर गर्म रेत में सेंकर खाने से मोटापा दूर होता है। * 100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है। * 4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है। * पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है। * डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है। * एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।तथा एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है। एरंड को अंडी भी कहा जाता है .. * पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है। * पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है। * पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है। * जवाखार 35 ग्राम और चित्रकमूल 175 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह 5 ग्राम चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और 250 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है। या फिर जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है। * चित्रक की जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट की बीमारियां और मोटापा समाप्त होता है। * प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है। * मोटापा कम करेगी यह स्पेशल चाय एक चम्मच सूखा अदरक पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, दो चम्मच गुड़, आधा चम्मच सौंफ, एक टी बैग और एक कप पानी। सौंफ को दो मिनट पानी में उबालिए और गर्म पानी में 1 मिनट के लिए टी बैग डालें। इससे फ्लेवर आ जाएगा। और चाय का स्वाद भी कुछ बदल जाएगा जो पीने में अच्छा लगेगा। आखिर में सारे पदार्थ इसमें मिला दें और गुड़ मिलाकर इसे घोलें। जब गुड़ मिल जाए तो स्वाद के साथ पीएं। * सबसे पहले मोटापे से पीड़ित रोगी को समझना चाहिए कि जब तक आप अपने खान-पान में सुधार नहीं करेगें, तब तक आपका मोटापा दूर नहीं हो सकता है। सादा भोजन और व्यायाम शरीर में अधिक चर्बी को पिघलाता है। मालिश उसमें सहायता करती है और रोगी के शरीर मे कमजोरी नहीं आने देती है, साथ ही चर्बी घटने पर शरीर के मांस को ढीला नहीं पड़ने देती, बल्कि मालिश शरीर को मजबूत तथा आकर्षक बना देती है। इसलिए मोटापा कम करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने भोजन में सुधार करे तथा प्रतिदिन व्यायाम करें। ठण्डी मालिश मोटापा दूर करने में विशेष सहायता करती है, इसके अलावा तेल मालिश या सूखी मालिश भी की जा सकती है। वैसे तेल मालिश का उपयोग कम ही करें तो अच्छा है क्योंकि तेल की मालिश तभी अधिक लाभ देती है जब रोगी उपवास कर रहा हो। * रोगी को उबली हुई सब्जियां, क्रीम निकला हुआ दूध, संतरा, नींबू आदि खट्टे फल तथा 1-2 चपाती नियमित रूप से कई महीने तक लेनी चाहिए। रोगी को तली और भुनी हुई चीजों को अपने भोजन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए। उपचार के दौरान रोगी को बीच-बीच में 1-2 दिन का उपवास भी रखना चाहिए। उपवास के दिनों में केवल नींबू पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। इस प्रकार के भोजन व उपचार से कुछ दिनों तक तो रोगी को कमजोरी महसूस होगी, परन्तु कुछ दिनों के अभ्यास से जब शरीर इसका आदि हो जाएगा, तब रोगी अपने को अच्छा महसूस करने लगेगा। * जिन लोगों को मोटापा थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण हो गया हो, उन्हें मोटापा दूर करने के लिए क्रीम निकले दूध के स्थान पर गाय का दूध पीना चाहिए, इससे रोगी को कोई नुकसान नहीं होगा। रोगी के लिए आवश्यक यह है कि वह एक समय में ही भोजन करे और सुबह और शाम 250 ग्राम से 300 ग्राम दूध के साथ कुछ फल भी ले, इससे रोगी को जल्दी लाभ होगा।

गहरी नींद के आसान उपाय


गहरी नींद के आसान उपाय*** * रात्रि भोजन करने के बाद पन्द्रह से बीस मिनट धीमी चाल से सैर कर लेने के बाद ही बिस्तर पर जाने की आदत बना लेनी चाहिए। इससे अच्छी नींद के अलावा पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है। * अगर तनाव की वजह से नींद नहीं आ रही हो या फिर मन में घबराहट सी हो तब अपना मन पसंद संगीत सुनें या फिर अच्छा साहित्य या स्वास्थ्य से संबंधित पुस्तकें पढ़ें, ऐसा करने से मन में शांति का भाव आएगा, जो गहरी नींद में काफी सहायक होता है। * अनिद्रा के रोगी को अपने हाथ-पैर मुँह स्वच्छ जल से धोकर बिस्तर पर जाना जाहिए। इससे नींद आने में कठिनाई नहीं होगी। एक खास बात यह कि बाजार में मिलने वाले सुगंधित तेलों का प्रयोग नींद लाने के लिए नहीं करें, नहीं तो यह आपकी आदत में शामिल हो जाएगा। * सोते समय दिनभर का घटनाक्रम भूल जाएँ। अगले दिन के कार्यक्रम के बारे में भी कुछ न सोचें। सारी बातें सुबह तक के लिए छोड़ दें। दिनचर्या के बारे में सोचने से मस्तिष्क में तनाव भर जाता है, जिस कारण नींद नहीं आती। * अपना पलंग मन-मुताबिक ही चुनें और जिस मुद्रा में आपको सोने में आराम महसूस होता हो, उसी मुद्रा में पहले सोने की कोशिश करें। अनचाही मुद्रा में सोने से शरीर की थकावट बनी रहती है, जो नींद में बाधा उत्पन्न करती है। * अगर अनिद्रा की समस्या पुरानी और गंभीर है, नींद की गोलियाँ खाने की आदत बनी हुई है तो किसी योग चिकित्सक की सलाह लेकर शवासन का अभ्यास करें और रात को सोते वक्त शवासन करें। इससे पूरे शरीर की माँसपेशियों का तनाव निकल जाता है और मस्तिष्क को आराम मिलता है, जिस कारण आसानी से नींद आ जाती है। * अच्छी नींद के लिए कमरे का हवादार होना भी जरूरी है। अगर मौसम बाहर सोने के अनुकूल है तो छत पर या बाहर सोने को प्राथमिकता दें। कमरे में कूलर-पँखा या फिर एयर कंडीशनर का शोर ज्यादा रहता है, तो इनकी भी मरम्मत करवा लेनी चाहिए, क्योंकि शोर से मस्तिष्क उत्तेजित रहता है, जिस कारण निद्रा में बाधा पड़ जाती है। * सोने से पहले चाय-कॉफी या अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करें। इससे मस्तिष्क की शिराएँ उत्तेजित हो जाती हैं, जो कि गहरी नींद आने में बाधक होती हैं।

डैंड्रफ यानी रुसी का सरल घरेलु उपचार।


आज हम बताने जा रहे हैं आपको डैंड्रफ यानी रुसी का सरल घरेलु उपचार। जो के शत प्रतिशत कारगार हैं, अगर एक बार में सम्पूर्ण आराम ना आये तो ज़्यादा से ज़्यादा २ या ३ बार में आपकी रुसी ऐसे गायब हो जाएगी जैसे गधे के सर से सींग। आवश्यक सामग्री। नीम्बू – 1 दही – आधा कटोरी दूध – 1 कटोरी आयुर्वेदिक तेल – 20 मिली अगर कोई आयुर्वेदिक तेल मिलने में परेशानी हो तो मैंने नवरतन ठंडा ठंडा तेल इस्तेमाल किया था, ये भी आयुर्वेदिक तेल हैं। आप भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सब से पहले अपने सिर की जड़ो में में नीम्बू के रस से मालिश करे, अच्छी तरह 5 मिन्ट. तक, इस के बाद दही से 5 मिन्ट. तक मालिश करे। इसके बाद आयुर्वेदिक तेल से 5 मिन्ट. तक मालिश करे। और फिर 10 मिन्ट. तक कुछ न करे। 10 मिनट के बाद दूध को सिर में डाले और इस से मालिश करे, धीरे धीरे दूध डालते रहे और मालिश करते रहे। इस के 15 मिनट के बाद आप अपना सिर साधारण पानी से धुलाई करे। अब देखिये चमत्कार। ये प्रयोग आप सप्ताह में एक बार ज़रूर करे। आपको कभी भी रुसी की कोई समस्या नहीं आएगी। और सर में दोबारा कभी कोई फालतू शैम्पू या साबुन लगाने के ज़रूरत नहीं, ये भांड लोग टेलीविज़न पर पैसो की खातिर आपको ज़हर भी खाने की सलाह देते हैं, ये ही आपके सब से बड़े दुश्मन हैं।

बूढ़ोँ को जवान बनाने वाली होमियोपैथिक औषधियाँ


बूढ़ोँ को जवान बनाने वाली होमियोपैथिक औषधियाँ ध्यान दे दवाये किसी योग्य होम्योपैथी डाक्टर के देखरेख मेँ लेँ 1) एवेना स्टीवा - Q ( Avena sativa - Q ) : 1. यह दवा मस्तिष्क , नाड़ी संस्थान मेँ जोश और शक्ति उत्पन्न करती है । थोड़ा काम करने पर थक जाना , नीँद न आना , याद न रहना आदि रोगोँ को दूर करती है । मानसिक परिश्रम करने वालोँ के लिए लाभप्रद है । 32 ML ₹ 35 2. ह्रदय की कमजोरी , ह्रदय अधिक धड़कना , बिना कारण क्रोध आ जाना तथा अधिक शराब पीने के कारण नीँद न आनेँ मेँ भी लाभप्रद है । 3. रात को स्वप्न मेँ या बिना स्वप्न के मूत्र - पखाना करते समय वीर्य निकल जाना , वीर्य पतला और वीर्यकीटोँ का कमजोर होना तथा मर्दाना कमजोरी मेँ बहुत लाभप्रद है । 2) जैल्सीमियम - Q ( Gelsimiun - Q ) : रात को इन्द्री मेँ जोश आकर या बिना सपने मेँ वीर्य निकल जाना , गुप्ताँग ठंडा , ढ़ीला - ढ़ाला और लटका हुआ , हस्तमैथुन के रोगियोँ के स्वप्नदोष , वीर्य प्रमेह , रोगी चिड़चिड़ा और साहसहीन हो तो 5 - 10 बूँदेँ थोड़े जल मेँ मिलाकर दिन मेँ 2 - 3 बार देँ । 32 ML ₹ 40 3) एग्नस कास्टस - Q ( Agnus castus - Q ) : जवानी की कुचेष्टाओँ , हस्तमैथुन और अधिक वीर्यनाश कर लेने के कारण रोगी जवानी मेँ बूढ़ा दिखाई दे , मानसिक शक्ति घट गई हो , वीर्य पतला और आसानी से मूत्र और पखाना के साथ या स्वप्न मेँ निकल जाये , नपुंसकता , लिँग ढ़ीला और संभोग की इच्छा न हो । सुजाक से उत्पन्न नपुंसकता की यह मुख्य औषधि है । वीर्यनाश से दृष्टी कमजोर होना , समय से पूर्व बुढ़ापा आ जाना , रोगी आत्महत्या करने का विचार करेँ और अत्यन्त दुखी हो । 5-10 बूँद जल मेँ मिलाकर दिन मेँ 2-3 बार देँ । 30 ML ₹ 35 4) स्टेफिसेग्रिया - Q ( Staphysagria - Q ) : हस्तमैथुन का रोगी जो दूसरोँ से आँख न मिलाये , हस्तमैथुन के कारण आँखेँ अंदर धसी हो और उनके नीचे काली लाईने हो , सख्त निराशावादी , दुखी , दिमाग कमजोर , कोई बात याद न रहे , थोड़ा लिखने - पढ़ने पर थकावट हो जाये , बुढ़ोँ की नपुँसकता मेँ कामवासना और संभोग की इच्छा न होना , परंतु संभोग के योग्य न होना । रोगी जिसमेँ संभोग इच्छा बिल्कुल न हो और संभोग के समय इन्द्री मेँ जोश न आये , लिँग ठंडा तथा पुराने सुजाक से उत्पन्न नपुंसकता मेँ 5 - 8 बूँदेँ पानी मेँ मिलाकर दिन मेँ 2 - 3 बार देँ । 32 ML ₹ 45 5) एसिड फास - Q ( Acid phos - Q ) : जब काफी समय तक वीर्यनाश करते रहने , स्वप्नदोष , वीर्य प्रमेह के कारण शरीर खोखला , दुबला और कमजोर हो चुका हो , टाँगोँ मेँ कमजोरी , रीढ़ की हड्डी मेँ रात को जलन और गर्मी प्रतीत हो , लिँग टेढ़ा , अंडकोष लटके हुए , इन्द्री मेँ संभोग के समय जोश न आये और इन्द्री भली प्रकार उत्तेजित न हो , स्त्री के पास जाते ही उत्तेजना आने से पहले ही वीर्य निकल जाये , अण्डकोषोँ पर च्यूंटियाँ चलती प्रतित होँ , संभोग करने पर इन्द्री शीघ्र ढीली हो जाने से रोगी संभोग न कर सके , चेहरा पीला व पिचका हुआ और आँखेँ अंदर धंसी हुई होँ , नपुंसकता , वीर्यनाश कर लेने के कारण ह्रदय अधिक धड़के , वजन गिरता जाये , भुख कम लगे , पढ़ने - लिखने और मानसिक कार्य करने पर सिरदर्द हो जाये , कमरदर्द , बाल झड़ने और बाल समय से पहले सफेद हो जायेँ , रक्ताल्पता , भोजन न पचने से दस्त आयेँ , वीर्य प्रमेह , रोगी दुखी और अकेला रहेँ । हस्तमैथुन के रोगियोँ के लिए सर्वोत्तम औषधि है । 4 - 6 बूँदेँ पानी मेँ मिलाकर दिन मेँ 2-3 बार देँ । 32 ML ₹ 35 6) डमियाना - Q( Damiana - Q ) : अधिक संभोग और वीर्यनाश करने , आतशक , सुजाक , मस्तिष्क पर चोट लग जाने या किसी भी कारण से हुई नपुंसकता मेँ अनुभूत है । रोगी की शारीरिक व मानसिक शक्ति और नाड़ी संस्थान कमजोर हो चुका हो , संभोग करते ही साँस फूल जाये , थोड़े परिश्रम से थकावट हो जाये , इन्द्री से लेसदार तरल निकलता हो । 5-7 बूँदेँ थोड़े पानी मेँ मिलाकर दिन मेँ 2-3 बार देँ । 32 ML ₹ 45 7) अश्वगन्धा - Q ( Ashwagandha - Q) : नपुंसकता तथा मर्दाना शक्ति बिल्कुल कम हो जाने से रोगी दुबला हो गया हो , मानसिक शक्ति कमजोर हो चुकी हो , पढ़ा - लिखा याद न रहता हो , कमर व टाँगोँ मेँ दर्द हो , रोगी सर्दी सहन न कर सके , बार - बार सर्दी , जुकाम हो जाये , पढ़ाई मेँ कमजोर , स्वप्नदोष हो और जवानी मेँ बुढ़ापा आ जाये तो इसके 1 - 2 मास प्रयोग करने से काया पलट जाती और नई शक्ति , जोश और जवानी आ जाती है । 5 - 10 बूँदेँ थोड़े पानी मेँ मिलाकर दिन 2 - 3 बार देँ । 32 ML ₹ 40 8) जिनसेँग - Q ( Ginseng - Q ) : बार बार संभोग करने से वीर्य स्खलन करने से आमवात जैसी दर्दे होना , पुरुषोँ के गुप्त अंगोँ की कमजोरी , मूत्रमार्ग के किनारे पर कामोत्तेजक गुदगुदी होने और लैँगिक उत्तेजना होना मेँ उपयोगी । 3-4 बूँद आधे कप पानी मेँ मि