Wednesday 2 November 2016

नीबू का छिलका गंभीर बीमारियों से बचा सकता है.


अधिकतर लोग नीबू निचोड़कर छिलका ऐसे ही फेंक देते हैं लेकिन इस पोस्ट को पढने के बाद आप ऐसा कभी नहीं करेंगे. नीबू के छिलके के उपरी पीले भाग में 5 से 10 गुना अधिक विटामिन C होता है. इस उपरी भाग को ZEST कहते हैं. यह शरीर से विषैले पदार्थों को निकाल फेंकता है. ब्लड प्रेशर मानसिक तनाव को दूर करता है.स्किन के हर तरह के इन्फेक्शन फंगस खाज खुजली को ठीक करता है. नीबू का छिलका 12 से भी ज्यादा तरह के कैंसर से निपटने में सक्षम है. यह स्वभाव से ठंडा होता है. इसलिए पेशाब में जलन गर्मी को भी ठीक कर देता है. #कैसे_प्रयोग_करें ----- अच्छे स्वस्थ पीले नीबू ठीक से धोकर पोंछ लें और फ्रीजर में डाल दें लगभग 6-7 घंटे बाद जब नीबू जमकर कड़ा हो जाए तो किसी तेज धार वाले पीलर की सहायता से नीबू की ऊपरी सतह को खुरच कर पीला भाग लछों के रूप में अलग कर लें इसे नीबू का zest कहते हैं. ध्यान रहे केवल पीला भाग लेना है नीचे का सफ़ेद भाग नहीं लेना है. इस zest को विभिन्न प्रकार से प्रयोग कर सकते हैं कुछ चुनिन्दा तरीके आपको बता रहा हूँ 1) पानी में उबालकर काढ़ा पिए या दालचीनी तुलसी की पत्ती गुलाब की पंखुरी लौंग सौंफ तेजपत्ता आदि मिला कर हर्बल tea बना सकते है. यह चाय विषैले पदार्थों को निकालेगी इम्यून सिस्टम भी अच्छा करेगी. 2) सलाद में मिक्स करके खा सकते हैं 3) किसी भी तरह की सब्जी पिज़्ज़ा चाट बर्गर पकौड़ी जैसी चीजे बनाये उसमे मिला सकते हैं 4) जिन दिनों में नीबू बहुतायात में मिले तो zest ज्यादा मात्रा में एकत्र करके सुखा कर एयरटाइट जार में रख लें और बाद के दिनों में प्रयूग करें. इस तरह से प्रयोग करने में गुणों का मात्रा कुछ कम जरुर हो जाएगी लेकिन फिर भी इसमें पाया जाना वाला एसेंशियल आयल सुरक्षित रहेगा और साधारण समस्याओं के लिए उपयोगी बना रहेगा इसे बहुत ज्यादा भूनना तलना या बेक नहीं करना चाहिए. कच्चा उपयोग करें या हल्का ही पकाएं. हमेशा ढक कर इसकी चाय या काढ़ा बनाये और भाप उठना बंद हो जाने के बाद ही ढक्कन खोले नहीं तो सब जरुरी तत्त्व तेजी से उड़ जाते हैं. इसका कोई नुक्सान नहीं है. ज्यादा मात्रा में कच्चा खाने पर गला खराब होने की शिकायत लोग करते हैं. साधारण घरेलू उपयोग के लिए इसकी हर्बल चाय सर्वोत्तम विकल्प है. यह पोस्ट कुछ लोगों पर प्रयोग करने के बाद लिखी है कई ऐसे लोग जो मूड अपसेट रहने शरीर में गर्मी होना पेशाब खुलकर न होना खांसी जुकाम बने रहने अनिद्रा से परेशान थे उनमे इसका अच्छा रिजल्ट मिला है. इसका गंभीर रोगों पर कोई अनुभव मेरा नहीं है.

लीवर की परेशानी है तो जरुर पढ़े


आज कल चंहु और लीवर के मरीज हैं, किसी को पीलिया हैं, किसी का लीवर सूजा हुआ हैं, किसी का फैटी हैं, और डॉक्टर बस नियमित दवाओ पर चला देते हैं मरीज को, मगर आराम किसी को मुश्किल से ही आते देखा हैं। लीवर हमारे शरीर का सबसे मुख्य अंग है, यदि आपका लीवर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पा रहा है तो समझिये कि खतरे की घंटी बज चुकी है। लीवर की खराबी के लक्षणों को अनदेखा करना बड़ा ही मुश्किल है और फिर भी हम उसे जाने अंजाने अनदेखा कर ही देते हैं। * लीवर की खराबी होने का कारण ज्यादा तेल खाना, ज्यादा शराब पीना और कई अन्य कारणों के बारे में तो हम जानते ही हैं। हालाकि लीवर की खराबी का कारण कई लोग जानते हैं पर लीवर जब खराब होना शुरु होता है तब हमारे शरीर में क्या क्या बदलाव पैदा होते हैं यानी की लक्षण क्या हैं, इसके बारे में कोई नहीं जानता। * क्या आप जानते हैं कि मुंह से गंदी बदबू आना भी लीवर की खराबी हो सकती है। क्यों चौंक गए ना? हम आपको कुछ परीक्षण बताएंगे जिससे आप पता लगा सकते हैं कि क्या आपका लीवर वाकई में खराब है। कोई भी बीमारी कभी भी चेतावनी का संकेत दिये बगैर नहीं आती, इसलिये आप सावधान रहें। * मुंह से बदबू -यदि लीवर सही से कार्य नही कर रहा है तो आपके मुंह से गंदी बदबू आएगी। ऐसा इसलिये होता है क्योकि मुंह में अमोनिया ज्याद रिसता है। * लीवर खराब होने का एक और संकेत है कि स्किन क्षतिग्रस्त होने लगेगी और उस पर थकान दिखाई पडने लगेगी। आंखों के नीचे की स्किन बहुत ही नाजुक होती है जिस पर आपकी हेल्थ का असर साफ दिखाई पड़ता है। * पाचन तंत्र में खराबी यदि आपके लीवर पर वसा जमा हुआ है और या फिर वह बड़ा हो गया है, तो फिर आपको पानी भी नहीं हजम होगा। * त्वचा पर सफेद धब्बे यदि आपकी त्वचा का रंग उड गया है और उस पर सफेद रंग के धब्बे पड़ने लगे हैं तो इसे हम लीवर स्पॉट के नाम से बुलाएंगे। * यदि आपकी पेशाब या मल हर रोज़ गहरे रंग का आने लगे तो लीवर गड़बड़ है। यदि ऐसा केवल एक बार होता है तो यह केवल पानी की कमी की वजह से हो सकता है। * यदि आपके आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगे और नाखून पीले दिखने लगे तो आपको जौन्डिस हो सकता है। इसका यह मतलब होता है कि आपका लीवर संक्रमित है। * लीवर एक एंजाइम पैदा करता है जिसका नाम होता है बाइल जो कि स्वाद में बहुत खराब लगता है। यदि आपके मुंह में कडुआहर लगे तो इसका मतलब है कि आपके मुंह तब बाइल पहुंच रहा है। * जब लीवर बड़ा हो जाता है तो पेट में सूजन आ जाती है, जिसको हम अक्सर मोटापा समझने की भूल कर बैठते हैं। * मानव पाचन तंत्र में लीवर एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। विभिन्न अंगों के कार्यों जिसमें भोजन चयापचय, ऊर्जा भंडारण, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलना, डिटॉक्सीफिकेशन,प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन और रसायनों का उत्पादन शामिल हैं। लेकिन कई चीजें जैसे वायरस, दवाएं, आनुवांशिक रोग और शराब लिवर को नुकसान पहुंचाने लगती है। लेकिन यहां दिये उपायों को अपनाकर आप अपने लीवर को मजबूत और बीमारियों से दूर रख सकते हैं। करे ये घरेलू कुछ उपाय :- * हल्दी लीवर के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए अत्यंत उपयोगी होती है। इसमें एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। हल्दी की रोगनिरोधन क्षमता हैपेटाइटिस बी व सी का कारण बनने वाले वायरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए हल्दी को अपने खाने में शामिल करें या रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पिएं * सेब का सिरका, लीवर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी घटती है। सेब के सिरके को आप कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं- एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं, या इस मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण को दिन में दो से तीन बार लें। * आंवला विटामिन सी के सबसे संपन्न स्रोतों में से एक है और इसका सेवन लीवर की कार्यशीलता को बनाये रखने में मदद करता है। अध्ययनों ने साबित किया है कि आंवला में लीवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व मौजूद हैं। लीवर के स्वास्थ्य के लिए आपको दिन में 4-5 कच्चे आंवले खाने चाहिए. * पपीता लीवर की बीमारियों के लिए सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक है, विशेष रूप से लीवर सिरोसिस के लिए। हर रोज दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पिएं। इस बीमारी से पूरी तरह निजात पाने के लिए इस मिश्रण का सेवन तीन से चार सप्ताहों के लिए करें. * सिंहपर्णी जड़ की चाय लीवर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले उपचारों में से एक है। अधिक लाभ पाने के लिए इस चाय को दिन में दो बार पिएं। आप चाहें तो जड़ को पानी में उबाल कर, पानी को छान कर पी सकते हैं। सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर बड़ी आसानी से मिल जाएगा। * लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए मुलेठी का इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। इसके इस्तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंड़ा होने पर छान लें। इस चाय रुपी पानी को दिन में एक या दो बार पिएं। * फीटकोंस्टीटूएंट्स की उपस्थिति के कारण, अलसी के बीज हार्मोंन को ब्लड में घूमने से रोकता है और लीवर के तनाव को कम करता है। टोस्ट पर, सलाद में या अनाज के साथ अलसी के बीज को पीसकर इस्तेमाल करने से लिवर के रोगों को दूर रखने में मदद करता है * एवोकैडो और अखरोट को अपने आहार में शामिल कर आप लीवर की बीमारियों के आक्रमण से बच सकते हैं। एवोकैडो और अखरोट में मौजूद ग्लुटथायन, लिवर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर इसकी सफाई करता है। * पालक और गाजर का रस का मिश्रण लीवर सिरोसिस के लिए काफी लाभदायक घरेलू उपाय है। पालक का रस और गाजर के रस को बराबर भाग में मिलाकर पिएं। लीवर की मरम्मत के लिए इस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम एक बार जरूर पिएं * सेब और पत्तेदार सब्जियों में मौजूद पेक्टिन पाचन तंत्र में उपस्थित विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर लीवर की रक्षा करता है। इसके अलावा, हरी सब्जियां पित्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं। * एक पौधा और है जो अपने आप उग आता है , जिसकी पत्तियां आंवले जैसी होती है. इन्ही पत्तियों के नीचे की ओर छोटे छोटे फुल आते है जो बाद में छोटे छोटे आंवलों में बदल जाते है . इसे भुई आंवला कहते है. इस पौधे को भूमि आंवला या भू- धात्री भी कहा जाता है .यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है.इसका सम्पूर्ण भाग , जड़ समेत इस्तेमाल किया जा सकता है.तथा कई बाज़ीगर भुई आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं . ये यकृत ( लीवर ) की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है . लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा . बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पढ़े को जड़ों समेत उखाडकर , उसका काढ़ा सुबह शाम लें . सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी

स्तन में गाँठ


स्तन में गाँठ स्तन में गाँठ होना बहुत आम समस्या होती जा रही है । यह चिंता का विषय भी है । अगर 1-2 ग्राम हल्दी के पावडर को सवेरे खाली पेट प्रतिदिन ले लिया जाए तो हर प्रकार की गांठें घुलनी प्रारम्भ हो जाती हैं । काचनार गुग्गल का प्रयोग भी गांठों को खत्म करने में सहायक है । कुछ पौधों का प्रयोग गाँठ पर लगाने के लिए किया जा सकता है । इससे गाँठ घुलनी शुरू हो जाती हैं : अरंड- अरंड के पत्ते पर थोडा सा सरसों का तेल लगाकर , हल्का सा गर्म करके स्तन पर नियमित रूप से बांधें । अरंड के तेल की मालिश करने से स्तन की गांठ भी घुलती हैं और स्तन में मुलायमी भी आती है जिससे गाँठ होने की सम्भावना कम हो जाती है । अरंड के पत्तों को उबालकर भी बाँध सकते हैं । अरंड के बीजों की गिरी को पीसकर उसका पेस्ट भी लगाया जा सकता है । अरंड के एक बड़े पत्ते को 200 ग्राम पानी में उबालकर, काढ़ा बनाकर, पीने से हार्मोन्स की गडबडी ठीक होती है, periods ठीक आते हैं ; इससे स्तन में गाँठ होने की सम्भावना भी कम हो जाती है । स्तन के nipple में crack हो या त्वचा फट जाए तो अरंड का तेल लगाना चाहिए । **गेंदा-- गेंदे के पौधे की पत्तियों को पीसकर , लुगदी बनाकर गाँठ पर नियमित रूप से बांधें । **पुनर्नवा-- पुनर्नवा (साठी ) की जड़ को घिसकर गाँठ पर लगाते रहें । **सेमल सेमल की जड़ की छाल को को पीसकर लगाएँ या सेमल के तने पर उभरे मोटे कांटो को घिसकर लगाएँ । **भुई आंवला-- इसके पत्ते पीसकर, लुगदी बनाकर लगाएँ । **धतूरा पत्ते को हल्का गर्म करके बांधें । **छुईमुई केवल जड़ घिसकर लगाएँ या फिर ; **अश्वगंधा की जड़ +छुईमुई की जड़ + छुईमुई की पत्तियां , इन सबको पीसकर स्तन की गाँठ पर लगाएँ। इससे स्तन का ढीलापन भी ठीक हो जाता है और दर्द और सूजन में भी आराम आता है । **शीशम शीशम के पत्तों की लुगदी गाँठ पर लगाने से गाँठ घुलती है । इसके पत्तों को गर्म करके थोडा तेल मलकर बाँधने से गाँठ तो घुलती ही है साथ ही दर्द और सूजन हो तो उसमें भी आराम आता है । ** पत्थरचटा इसके पत्ते पर सरसों का तेल मलकर, पत्ते को हल्का गर्म करके गाँठ पर बांधते रहें । इसके साथ ही प्राणायाम तो अवश्य ही करते रहें ; विशेषकर कपालभाति प्राणायाम

दिमाग की नस फटने का उपचार


जिन लोगो का ब्लड प्रेशर हाई रहता है उनलोगों को अक्सर एक उम्र का पडाब पार करने के बाद दिमाग की नस फट जाती है जिसको मेडिकल भाषा में APOPLEXY या CEREBRAL HEMORRHAGE भी कहते हैं 95% रोगी उपचार के बाद भी बच नहीं पाते है!! शरीर में एक साइड लकवा हो जाता है, उसका कारण दिमाग में अन्दर HEMORRHAGE (खून बहना) होता है! कई बार खून बंद हो जाता है लेकिन खून का थक्का दिमाग में रह जाता है !! रोगी बेहोशी की हालत में रहता है !! उपचार:- होमियोपैथी में लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है लेकिन इस केस में एक दवा आती है जिसका नाम है ARNICA 30. इसकी 1-1-1 बूंद सिर्फ रोगी की जीभ पर डालते रहिये जब तक रोगी को होश ना आये, या इम्प्रूवमेंट न हो, जब इम्प्रूवमेंट हो जाए इसको बंद कर दे औरआगे का उपचार लक्षणों के आधार पर होमियोपैथी डॉक्टर से करवाएं,!! ARNICA 30 खून तो बंद करेगी ही साथ में खून के थक्के को भी ABSORB (सुखा देगी) देगी!! इस पोस्ट को शेयर जरुर करें, आपका एक शेयर किसी रोगी के जान बचा सकता है !

पांच सालों तक दर्द से छुटकारा पायें..!!


थोड़ा सा नमक और जैतून का तेल मिलायें और पांच सालों तक दर्द से छुटकारा पायें..!! जब हमें सेहत से सम्बंधित कोई समस्या होती है तो हम तुरंत ही दवा का सहारा लेते हैं. जब के बहुत सारी इसी कुदरतीऔशदियाँ मोजूद हैं जो दवा से भी ज़यादा असरदार होती हैं. जैसे के अगर आप गर्दन के दर्द (osteochondrosis) से पीडित हैं , जो के बहुत ही दर्दनाक और हताश करने वाली स्थिति है उसे आप दवा के जगह कुछ प्राक्रितिक औषधियो से ठीक कर सकते हैं. औषधि तैयार करने की सामग्री : 10 चमच उच्च गुणवता का नमक 20 चमच जैतून अथवा सूरजमुखी का कच्चा तेल (unrefined oil) विधि: इसको बनाने की विधि बहुत ही आसान है,एक कांच के बर्तन में दोनों चीज़े मिला लें. बर्तन को अच्छी तरह से 2 दिन के लिए बंद (air tight) कर के रखें और दो दिन बाद एक हलके रंग की औषधि तैयार हो जाएगी . इस्तेमाल का तरीका: सुबह इस औषधि को प्रभावित जगह पर लगायें और हलके हाथों से मालिश करें.शुरुआत में 2-3 मिनट के लिए करें और धीरे धीरे अवधी बढाए. विशेषज्ञों के अनुसार ज़यादा से ज़यादा 20 मिनट की मालिश काफ़ी है. मालिश करने के बाद गीले तोलिये से साफ करें . अगर आपको तव्चा पर हलकी जलन महसूस हो तो बच्चों के इस्तेमाल का पाउडर लगायें इस से आपको जलन से राहत मिलेगी. 10 दिन में ये औषधि आपके खून के बहाव को बढाएगी और आपकी मासस्पेशिओं को पुनर्जीवित कर के आपके तंत्रिका तंत्र्र और हडियो को मज़बूत करेगी. इस इलाज के बाद आपका सर दर्द हमेशा के लिए चला जायेगा कियोंकि ये औषधि खून के बहाव को बढाने में मदद करती है और अच्छी दृष्टि भी प्रदान करती है. इस के इलावा ये आपके शारीर को ज़ेहरीले तत्वों से मुक्त करेगी और आपके पाचन तंत्र को मज़बूत करेगी. याद रखें इसके इस्तेमाल से आप थोड़ा असहज महसूस कर सकते हैं मगर इस होना सौभाविक है. इस के इस्तेमाल से आपको अश्चर्यजनक नतीजे मिलेगे , और सब से अच्छी बात ये है के पारंपरिक दवाओ के उलट इसका कोई दुष्प्रभाव भी नही है .